Kapur Aarti – कर्पूरगौरम् करुणावतारम - Summary
Kapur Aarti is a beautiful way to connect with the divine. वेदों के अनुसार कपूर की सुगंध भगवान को प्रसन्न करती है। कपूर की आरती से घर के भीतर सकारात्मक ऊर्जा फैलती है और आस-पास के वातावरण को शुद्ध किया जाता है। यही नहीं, यह शरीर को भी दोष मुक्त करके पवित्र करने में मदद करती है। किसी भी देवी-देवता की आरती के बाद कर्पूरगौरम् करुणावतारम मंत्र को बोलने का अर्थ बहुत गहरा है。
कर्पूर का महत्व
भगवान शिव की यह स्तुति शिव-पार्वती के विवाह के समय विष्णु द्वारा गाई गई मानी जाती है। आम तौर पर यह माना जाता है कि शिव शमशान वासी हैं और उनका स्वरूप भयंकर है। लेकिन, यह स्तुति यह बताती है कि उनका स्वरूप बहुत दिव्य है।
शिव को सृष्टि का अधिपति माना जाता है, और उन्हें मृत्युलोक के देवता के रूप में पूजते हैं। उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे संसार के सभी जीवों का अधिपति हैं, मनुष्य सहित। इस स्तुति को गाने का उद्देश्य यह है कि जो इस समस्त संसार का अधिपति है, वह हमारे मन में वास करे। शिव श्मशान में निवास करते हैं और मृत्यु के भय को दूर करने वाले हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि हमारे मन में शिव का वास हो और मृत्यु का भय दूर हो। 🕉️
Kapur Aarti
करपूर गौरम करूणावतारम
संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |
सदा वसंतम हृदयारविंदे
भवम भवानी सहितं नमामि ||
मंगलम भगवान् विष्णु
मंगलम गरुड़ध्वज |
मंगलम पुन्डरी काक्षो
मंगलायतनो हरि ||
सर्व मंगल मांग्लयै
शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्रयम्बके गौरी
नारायणी नमोस्तुते ||
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा
बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात
करोमि यद्यपि सकलं परस्मै
नारायणाय इति समर्पयामि ||
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे
हे नाथ नारायण वासुदेव |
जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव
गोविन्द दामोदर माधवेती ||
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