लक्ष्मी पूजा विधि मंत्र सहित (Laxmi Puja Vidhi Mantra Sahit) - Summary
दीपावली का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में दिवाली एक प्रमुख त्योहार है, जिसे हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक अमावस्या पर मनाया जाता है।
दिवाली का त्योहार मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण अवसर होता है। मान्यता है कि दिवाली की रात माता लक्ष्मी अपनी कृपा विशेष रूप से बिखेरती हैं। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की रात देवी लक्ष्मी स्वर्ग से धरती पर आती हैं और हर घर में जाती हैं। जिन घरों में साफ-सफाई, उजाला और विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है, वहाँ माँ लक्ष्मी निवास करती हैं। इससे जीवन में सुख, समृद्धि, वैभव और धन की कभी कमी नहीं आती है।
लक्ष्मी-गणेश पूजा मुहूर्त
धनतेरस शुभ मुहूर्त [2024]-
पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर होगी। इसका समापन 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर होगा। इस साल धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर 2024, दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।
लक्ष्मी पूजा विधि – Laxmi Pooja Vidhi Mantra Sahit
- दिवाली के दिन सबसे पहले सुबह उठकर घर के हर कोने की साफ-सफाई कर लें। स्नान के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- इसके बाद घर को सजाएं और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएँ।
- मुख्य दरवाजे पर तोरण द्वार सजाएँ और दरवाजे के दोनों तरफ शुभ-लाभ और स्वास्तिक का चिह्न बनाएं।
- शाम को पूजा की तैयारी करें। पूजा स्थल पर एक चौकी रखें, लाल कपड़ा बिछाएँ और गंगाजल का छिड़काव करते हुए देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती और कुबेर देवता की प्रतिमाएँ स्थापित करें।
- सभी पूजन सामग्री एकत्र करें और चौकी के पास जल से भरा कलश रखें।
- शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजा आरंभ करें। विधि-विधान से लक्ष्मी पूजन करें।
- महालक्ष्मी की पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते और किताबों की पूजा करें।
- अंत में माता लक्ष्मी की आरती करें और घर के सभी हिस्सों में घी और तेल लगाएँ।
दिवाली लक्ष्मी पूजन का महत्व
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा करने से घर में रिद्धि-सिद्धि के साथ सुख, समृद्धि और धन का आगमन होता है। भगवान गणेश, देवी सरस्वती, कुबेर और हनुमान जी की भी इस दिन विशेष पूजा की जाती है।
लक्ष्मी पूजन विधि मंत्र सहित (Laxmi Puja Vidhi Mantra Sahit)
महालक्ष्मी पूजनकर्ता स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और माथे पर तिलक लगाकर शुभ मुहूर्त में पूजन प्रारंभ करें। अपने आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठें।
अपनी जानकारी के लिए पूजन शुरू करने से पहले दी गई विधि को एक बार जरूर पढ़ लें।
पवित्रकरण:
बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की अनामिका से निम्न मंत्र बोलते हुए अपने ऊपर एवं पूजन सामग्री पर जल छिड़कें-
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः।
पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं।
आसन:
निम्न मंत्र से अपने आसन पर जल छिड़कें-
ॐ पृथ्वी त्वया घता लोका देवि त्वं विष्णुना घृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु च आसनम्।
आचमन:
दाहिने हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें-
ॐ केशवाय नमः स्वाहा,
ॐ नारायणाय नमः स्वाहा,
ॐ माधवाय नमः स्वाहा।
यह कहकर हाथ धो लें-
ॐ गोविन्दाय नमः हस्तं प्रक्षालयामि।
दीपक:
दीपक प्रज्वलित करें (हाथ धोकर) दीपक पर पुष्प एवं कुंकु से पूजन करें-
दीप देवि महादेवि शुभं भवतु मे सदा।
यावत्पूजा-समाप्तिः स्यातावत् प्रज्वल सुस्थिराः।
(पूजन कर प्रणाम करें)
स्वस्ति-वाचन:
निम्न मंगल मंत्र बोलें-
ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्वर्धातु।
द्युः शांतिः अंतरिक्षगुं शांतिः पृथिवी शांतिरापः
शांतिरोषधयः शांतिः। वनस्पतयः शांतिर्विश्वे देवाः
शांतिर्ब्रह्म शांतिः सर्वगुं शांतिः शांतिरेव शांति सा
मा शांतिरेधि। यतो यतः समिहसे ततो नो अभयं कुरु।
शंन्नः कुरु प्राजाभ्यो अभयं नः पशुभ्यः। सुशांतिर्भवतु।
ॐ सिद्धि बुद्धि सहिताय श्री मन्ममहागणाधिपतये नमः।
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