महालक्ष्मी व्रत कथा और पूजा विधि – Mahalaxmi Vrat Katha Hindi

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महालक्ष्मी व्रत कथा Hindi

आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि लक्ष्मी पूजा का श्रेष्ठ दिन है। इस दिन महालक्ष्मी व्रत रखकर शाम के समय देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस बार 28 सितंबर 2021 को यह व्रत है जिसे गजलक्ष्मी व्रत या हाथी पूजा भी कहा जाता। इस व्रत में हाथी की पूजा और लक्ष्मीजी के गजलक्ष्मी स्वरूप की पूजा की जाती है।

महालक्ष्मी व्रत धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें। दिनभर व्रत रखकर शाम को लक्ष्मीजी की विधिविधान से पूजा करें। शाम को पूजा के लिए सबसे पहले अपने हाथ में 16 गांठों वाला लाल धागा बांध लें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी लक्ष्मी की प्रतिमा विराजित करें। गाय के घी का दीप प्रज्जवलित करें। महालक्ष्मी के मस्तक पर कुमकुम का तिलक लगाएं।

महालक्ष्मी व्रत कथा – Malaxami Vrat Katha Book

प्राचीन समय में एक बार एक गांव में गरीब ब्राह्मण रहता था। वह नियमित रूप से श्री विष्णु का पूजन किया करता था। उसकी पूजा-भक्ति से प्रसन्न होकर उसे भगवान श्री विष्णु ने दर्शन दिए और ब्राह्मण से अपनी मनोकामना मांगने के लिए कहा। ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी का निवास अपने घर में होने की इच्छा जाहिर की। यह सुनकर श्री विष्णु जी ने लक्ष्मीजी की प्राप्ति का मार्ग ब्राह्मण को बता दिया, जिसमें श्री हरि ने बताया कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है जो यहां आकर उपले थापती है। तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना और वह स्त्री ही देवी लक्ष्मी है। देवी लक्ष्मी जी के तुम्हारे घर आने के बाद तुम्हारा घर धन और धान्य से भर जाएगा। यह कहकर श्री विष्णु चले गए।

अगले दिन वह सुबह चार बजे ही मंदिर के सामने बैठ गया। लक्ष्मी जी उपले थापने के लिए आईं तो ब्राह्मण ने उनसे अपने घर आने का निवेदन किया। ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मी जी समझ गईं कि यह सब विष्णु जी के कहने से हुआ है। लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण से कहा की तुम महालक्ष्मी व्रत करो। 16 दिन तक व्रत करने और सोलहवें दिन रात्रि को चन्द्रमा को अघ्र्य देने से तुम्हारा मनोरथ पूरा होगा। ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार व्रत और पूजन किया और देवी को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पुकारा, लक्ष्मी जी ने अपना वचन पूरा किया। उस दिन से यह व्रत इस दिन विधि-विधान से करने से व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है।

महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि

  • महालक्ष्मी व्रत के समापन के दिन सुबह जल्दी नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करें।
  • इसके बाद अपने पूजा घर को साफ करें और व्रत करने का संकल्प लें फिर  एक चौकी पर मां लक्ष्मी की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें और इसके पास श्री यंत्र रखें।
  • एक कलश में जल भरकर उस पर नारियल रख दें और इसे मां लक्ष्मी के मूर्ति के सामने रखें।
  • इसके पश्चात मां लक्ष्मी को फल, नैवेद्य तथा फूल चढ़ाएं और दीपक या धूप जलाएं।
  • माता लक्ष्मी की पूजा करें तथा महालक्ष्मी स्त्रोत का जाप करें।
  • महालक्ष्मी व्रत के प्रत्येक दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने की विधि है।
  • महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए नौ अलग-अलग प्रकार की मिठाई और सेवइयां अर्पित करें।

महालक्ष्मी व्रत कथा

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Added on 28 Sep, 2021 by Pradeep (13.233.164.178)

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One thought on “महालक्ष्मी व्रत कथा और पूजा विधि – Mahalaxmi Vrat Katha

  1. Om mahalaxmi namo namah
    Om vishupriyein namo naham
    Om dan pradhya namo naham
    Om vishjaneneye namo naham

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