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Jaya Ekadashi Vrat Katha in Hindi
जया एकादशी व्रत कथा
जया एकादशी के बारे में एक कथा का उल्लेख किया गया है कि इन्द्र की सभा में एक गंधर्व गीत गा रहा था। परन्तु उसका मन अपनी प्रिया को याद कर रहा था। इस कारण से गाते समय उसकी लय बिगड़ गई। इस पर इन्द्र ने क्रोधित होकर गंधर्व और उसकी पत्नी को पिशाच योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया।
पिशाच योनी में जन्म लेकर पति पत्नी कष्ट भोग रहे थे। संयोगवश माघ शुक्ल एकादशी के दिन दुःखों से व्याकुल होकर इन दोनों ने कुछ भी नहीं खाया और रात में ठंड की वजह से सो भी नहीं पाये। इस तरह अनजाने में इनसे जया एकादशी का व्रत हो गया।इस व्रत के प्रभाव से दोनों श्राप मुक्त हो गये और पुनः अपने वास्तविक स्वरूप में लौटकर स्वर्ग पहुंच गये। देवराज इन्द्र ने जब गंधर्व को वापस इनके वास्तविक स्वरूप में देखा तो हैरान हुए। गन्धर्व और उनकी पत्नी ने बताया कि उनसे अनजाने में ही जया एकादशी का व्रत हो गया। इस व्रत के पुण्य से ही उन्हें पिशाच योनि से मुक्ति मिली है।
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