Navratri Path Book (नवरात्रि पाठ एवं कथा) Hindi
नवरात्रों के नौ दिन का पाठ – नवरात्रि पाठ की हिन्दी किताब अब डाउनलोड करें PDF में
नवरात्रि, एक संस्कृत का शब्द, जिसका अर्थ होता है “नौ रातें”। नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है और इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा पूरे भारत में महान उत्साह के साथ की जाती है।
नवरात्रि के दौरान देवी के नौ रूपों की कथा, पूजा विधि और आरती PDF मे डोनलोड करे नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके
पहला दिन: शैलपुत्री – पहाड़ों की पुत्री। – शैलपुत्री माता कथा PDF
दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी – ब्रह्मचारीणी। –मां ब्रह्मचारिणी कथा PDF
तीसरा दिन: चंद्रघंटा – चाँद की तरह चमकने वाली। – चंद्रघंटा माता कथा PDF
चौथा दिन: कूष्माण्डा – पूरा जगत उनके पैर में है। – कुष्मांडा माता कथा PDF
पांचवा दिन: स्कंदमाता – कार्तिक स्वामी की माता। – स्कन्दमाता माता कथा PDF
छठा दिन: कात्यायनी – कात्यायन आश्रम में जन्मि। – कात्यायनी माता कथा PDF
सातवाँ दिन: कालरात्रि -काल का नाश करने वली। – कालरात्रि माता कथा PDF
आठवाँ दिन: महागौरी – सफेद रंग वाली मां। – महागौरी माता कथा PDF
नौवाँ दिन: सिद्धिदात्री – सर्व सिद्धि देने वाली। – सिद्धिदात्री माता कथा
लंका-युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण वध के लिए चंडी देवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा और बताए अनुसार चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ एक सौ आठ नीलकमल की व्यवस्था की गई। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरता के लोभ में विजय कामना से चंडी पाठ प्रारंभ किया। यह बात इंद्र देव ने पवन देव के माध्यम से श्रीराम के पास पहुँचाई और परामर्श दिया कि चंडी पाठ यथासभंव पूर्ण होने दिया जाए। इधर हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और राम का संकल्प टूटता-सा नजर आने लगा। भय इस बात का था कि देवी माँ रुष्ट न हो जाएँ। दुर्लभ नीलकमल की व्यवस्था तत्काल असंभव थी, तब भगवान राम को सहज ही स्मरण हुआ कि मुझे लोग ‘कमलनयन नवकंच लोचन’ कहते हैं, तो क्यों न संकल्प पूर्ति हेतु एक नेत्र अर्पित कर दिया जाए और प्रभु राम जैसे ही तूणीर से एक बाण निकालकर अपना नेत्र निकालने के लिए तैयार हुए, तब देवी ने प्रकट ह हुई , हाथ पकड़कर कहा- राम मैं प्रसन्न हूँ और विजयश्री का आशीर्वाद दिया। वहीं रावण के चंडी पाठ में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा में ब्राह्मण बालक का रूप धर कर हनुमानजी सेवा में जुट गए। निःस्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमानजी से वर माँगने को कहा। इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा- प्रभु, आप प्रसन्न हैं तो जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं, उसका एक अक्षर मेरे कहने से बदल दीजिए। ब्राह्मण इस रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया। मंत्र में जयादेवी… भूर्तिहरिणी में ‘ह’ के स्थान पर ‘क’ उच्चारित करें, यही मेरी इच्छा है। भूर्तिहरिणी यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और ‘करिणी’ का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली, जिससे देवी रुष्ट हो गईं और रावण का सर्वनाश करवा दिया। हनुमानजी महाराज ने श्लोक में ‘ह’ की जगह ‘क’ करवाकर रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी।
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