Chandraghanta Mata Aarti Lyrics Hindi
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माँ दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है। इस दिन साधक का मन ‘मणिपूर’ चक्र में प्रविष्ट होता है। माँ चंद्रघंटा की उत्पत्ति कथा बेहत रमणीय है। कथा के अनुसार जब देवी सती ने अपने शरीर को यज्ञ अग्नि में जला दिया था, तब उसके पश्चात् उन्होंने पारवती के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर में पूर्ण जनम लिया।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। उनकी पूजा के लिए आप हरे और लाल रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं। पूजा के समय आप मां चंद्रघंटा को सेब और केले का भोग लगा सकते हैं। इसके अलावा मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई का भोग भी बहुत पसंद है। आप देवी को खीर का भोग लगा सकते हैं। आज के दिन आप मां चंद्रघंटा को पीले रंग के फूल या सफेद कमल का फूल चढ़ा सकते हैं।
मां चंद्रघंटा की आरती | Maa Chandraghanta Aarti Lyrics
जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो।चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥
शीश झुका कहे मन की बाता।पूर्ण आस करो जगत दाता॥
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥
नाम तेरा रटू महारानी।भक्त की रक्षा करो भवानी॥
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