Navratri Vrat Katha & Aarti – श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा Hindi

Navratri Vrat Katha & Aarti – श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा Hindi PDF download free from the direct link given below in the page.

55 Like this PDF
❴SHARE THIS PDF❵ FacebookX (Twitter)Whatsapp
REPORT THIS PDF ⚐

श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा (Navratri Vrat Katha & Aarti) Hindi PDF

प्रिय पाठकों इस लेख मे जरिए हम आपके लिए Navratri Vrat katha PDF प्रारूप में लेकर आए है जिसे आप नीचे दिए गए लिंक से प्राप्त कर सकते हैं । हर साल माँ दुर्गा को समर्पित पर्व नवरात्रि साल में दो बार आती है । इस बार नवरात्रि का पावन त्योहार 15 अक्टूबर 2023, रविवार से हो रहा है, जो कि 24 अक्टूबर 2023, तक चलेगा। यह हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसमें मां आदिशक्ति की उपासना की जाती है। मां के भक्त चैत्र नवरात्रि में उनके नौ अलग-अलग रूपों की आराधना व्रत रखकर करते हैं।

नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना होती है। शास्त्रों में मां दुर्गा को शक्ति की देवी बताया गया है। इसलिए इसे शक्ति की उपासना का पर्व की कहा जाता है। नवरात्र में नौ दिनों तक व्रत किये जाते हैं। मान्यता है कि नवरात्र के व्रत रखने वालों को मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और उनके सभी संकट दूर हो जाते हैं। माता रानी उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इस कथा को पढ़ने के बाद माँ दुर्गा चालीसा , दुर्गा आरती भी पढ़नी चाहिए।

शारदीय घटस्थापना मुहूर्त

15 अक्टूबर को रात 11 बजकर 52 मिनट पर प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो रही है। साथ ही शाम 06 बजकर 43 मिनट पर चित्रा नक्षत्र भी है। आश्विन शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि यानी 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त रहेगा।

Navratri Vrat katha in Hindi (श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा) – Maa Durga katha in Hindi

एक समय बृहस्पति जी ब्रह्माजी से बोले- हे ब्रह्मन श्रेष्ठ! चैत्र व आश्विन मास के शुक्लपक्ष में नवरात्र का व्रत और उत्सव क्यों किया जाता है? इस व्रत का क्या फल है, इसे किस प्रकार करना उचित है? पहले इस व्रत को किसने किया? सो विस्तार से कहिये।

बृहस्पतिजी का ऐसा प्रश्न सुन ब्रह्माजी ने कहा- हे बृहस्पते! प्राणियों के हित की इच्छा से तुमने बहुत अच्छा प्रश्न किया है। जो मनुष्य मनोरथ पूर्ण करने वाली दुर्गा, महादेव, सूर्य और नारायण का ध्यान करते हैं, वे मनुष्य धन्य हैं। यह नवरात्र व्रत संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाला है। इसके करने से पुत्र की कामना वाले को पुत्र, धन की लालसा वाले को धन, विद्या की चाहना वाले को विद्या और सुख की इच्छा वाले को सुख मिलता है। इस व्रत को करने से रोगी मनुष्य का रोग दूर हो जाता है। मनुष्य की संपूर्ण विपत्तियां दूर हो जाती हैं और घर में समृद्धि की वृद्धि होती है, बन्ध्या को पुत्र प्राप्त होता है। समस्त पापों से छुटकारा मिल जाता है और मन का मनोरथ सिद्ध हो जाता है। जो मनुष्य इस नवरात्र व्रत को नहीं करता वह अनेक दुखों को भोगता है और कष्ट व रोग से पीड़ित हो अंगहीनता को प्राप्त होता है, उसके संतान नहीं होती और वह धन-धान्य से रहित हो, भूख और प्यास से व्याकूल घूमता-फिरता है तथा संज्ञाहीन हो जाता है। जो सधवा स्त्री इस व्रत को नहीं करती वह पति सुख से वंचित हो नाना दुखों को भोगती है। यदि व्रत करने वाला मनुष्य सारे दिन का उपवास न कर सके तो एक समय भोजन करे और दस दिन बान्धवों सहित नवरात्र व्रत की कथा का श्रवण करे।

हे बृहस्पते! जिसने पहले इस महाव्रत को किया है वह कथा मैं तुम्हें सुनाता हूं तुम सावधान होकर सुनो। इस प्रकार ब्रह्मा जी का वचन सुनकर बृहस्पति जी बोले- हे ब्राह्माण मनुष्यों का कल्याम करने वाले इस व्रत के इतिहास को मेरे लिए कहो मैं सावधान होकर सुन रहा हूं। आपकी शरण में आए हुए मुझ पर कृपा करो।

ब्रह्माजी बोले- प्राचीन काल में मनोहर नगर में पीठत नाम का एक अनाथ ब्राह्मण रहता था, वह भगवती दुर्गा का भक्त था। उसके संपूर्ण सद्गुणों से युक्त सुमति नाम की एक अत्यन्त सुन्दरी कन्या उत्पन्न हुई। वह कन्या सुमति अपने पिता के घर बाल्यकाल में अपनी सहेलियों के साथ क्रीड़ा करती हुई इस प्रकार बढ़ने लगी जैसे शुक्ल पक्ष में चंद्रमा की कला बढ़ती है। उसका पिता प्रतिदिन जब दुर्गा की पूजा करके होम किया करता, वह उस समय नियम से वहां उपस्थित रहती। एक दिन सुमति अपनी सखियों के साथ खेल में लग गई और भगवती के पूजन में उपस्थित नहीं हुई। उसके पिता को पुत्री की ऐसी असावधानी देखकर क्रोध आया और वह पुत्री से कहने लगा अरी दुष्ट पुत्री! आज तूने भगवती का पूजन नहीं किया, इस कारण मैं किसी कुष्ट रोगी या दरिद्र मनुष्य के साथ तेरा विवाह करूंगा।

पिता का ऐसा वचन सुन सुमति को बड़ा दुख हुआ और पिता से कहने लगी- हे पिता! मैं आपकी कन्या हूं तथा सब तरह आपके आधीन हूं जैसी आपकी इच्छा हो वैसा ही करो। राजा से, कुष्टी से, दरिद्र से अथवा जिसके साथ चाहो मेरा विवाह कर दो पर होगा वही जो मेरे भाग्य में लिखा है, मेरा तो अटल विश्वास है जो जैसा कर्म करता है उसको कर्मों के अनुसार वैसा ही फल प्राप्त होता है क्योंकि कर्म करना मनुष्य के आधीन है पर फल देना ईश्वर के आधीन है।

जैसे अग्नि में पड़ने से तृणादि उसको अधिक प्रदीप्त कर देते हैं। इस प्रकार कन्या के निर्भयता से कहे हुए वचन सुन उस ब्राह्मण ने क्रोधित हो अपनी कन्या का विवाह एक कुष्टी के साथ कर दिया और अत्यन्त क्रोधित हो पुत्री से कहने लगा-हे पुत्री! अपने कर्म का फल भोगो, देखें भाग्य के भरोसे रहकर क्या करती हो? पिता के ऐसे कटु वचनों को सुन सुमति मन में विचार करने लगी- अहो! मेरा बड़ा दुर्भाग्य है जिससे मुझे ऐसा पति मिला। इस तरह अपने दुख का विचार करती हुई वह कन्या अपने पति के साथ वन में चली गई और डरावने कुशायुक्त उस निर्जन वन में उन्होंने वह रात बड़े कष्ट से व्यतीत की।

उस गरीब बालिका की ऐसी दशा देख देवी भगवती ने पूर्व पुण्य के प्रभाव से प्रगट हो सुमति से कहा- हे दीन ब्राह्मणी! मैं तुझसे प्रसन्न हूं, तुम जो चाहो सो वरदान मांग सकती हो। भगवती दुर्गा का यह वचन सुन ब्राह्मणी ने कहा- आप कौन हैं वह सब मुझसे कहो? ब्राह्मणी का ऐसा वचन सुन देवी ने कहा कि मैं आदि शक्ति भगवती हूं और मैं ही ब्रह्मविद्या व सरस्वती हूं। प्रसन्न होने पर मैं प्राणियों का दुख दूर कर उनको सुख प्रदान करती हूं। हे ब्राह्मणी! मैं तुझ पर तेरे पूर्व जन्म के पुण्य के प्रभाव से प्रसन्न हूं।

तुम्हारे पूर्व जन्म का वृतांत सुनाती हूं सुनो! तू पूर्व जन्म में निषाद (भील) की स्त्री थी और अति पतिव्रता थी। एक दिन तेरे पति निषाद ने चोरी की। चोरी करने के कारण तुम दोनों को सिपाहियों ने पकड़ लिया और ले जाकर जेलखाने में कैद कर दिया। उन लोगों ने तुझको और तेरे पति को भोजन भी नहीं दिया। इस प्रकार नवरात्र के दिनों में तुमने न तो कुछ खाया और न जल ही पिया इस प्रकार नौ दिन तक नवरात्र का व्रत हो गया। हे ब्राह्मणी! उन दिनों में जो व्रत हुआ, इस व्रत के प्रभाव से प्रसन्न होकर मैं तुझे मनोवांछित वर देती हूं, तुम्हारी जो इच्छा हो सो मांगो।

इस प्रकार दुर्गा के वचन सुन ब्राह्मणी बोली अगर आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो हे दुर्गे। मैं आपको प्रणाम करती हूं कृपा करके मेरे पति का कोढ़ दूर करो। देवी ने कहा- उन दिनों तुमने जो व्रत किया था उस व्रत का एक दिन का पुण्य पति का कोढ़ दूर करने के लिए अर्पण करो, उस पुण्य के प्रभाव से तेरा पति कोढ़ से मुक्त हो जाएगा।

ब्रह्मा जी बोले- इस प्रकार देवी के वचन सुन वह ब्राह्मणी बहुत प्रसन्न हुई और पति को निरोग करने की इच्छा से जब उसने तथास्तु (ठीक है) ऐसा वचन कहा, तब उसके पति का शरीर भगवती दुर्गा की कृपा से कुष्ट रोग से रहित हो अति कान्तिवान हो गया। वह ब्राह्मणी पति की मनोहर देह को देख देवी की स्तुति करने लगी- हे दुर्गे! आप दुर्गति को दूर करने वाली, तीनों लोकों का सन्ताप हरने वाली, समस्त दु:खों को दूर करने वाली, रोगी मनुष्य को निरोग करने वाली, प्रसन्न हो मनोवांछित वर देने वाली और दुष्टों का नाश करने वाली जगत की माता हो। हे अम्बे! मुझ निरपराध अबला को मेरे पिता ने कुष्टी मनुष्य के साथ विवाह कर घर से निकाल दिया। पिता से तिरस्कृत निर्जन वन में विचर रही हूं, आपने मेरा इस विपदा से उद्धार किया है, हे देवी। आपको प्रणाम करती हूं। मेरी रक्षा करो।

ब्रह्मा जी बोले- हे बृहस्पते! उस ब्राह्मणी की ऐसी स्तुति सुन देवी बहुत प्रसन्न हुई और ब्राह्मणी से कहा- हे ब्राह्मणी! तेरे उदालय नामक अति बुद्धिमान, धनवान, कीर्तिवान और जितेन्द्रिय पुत्र शीध्र उत्पन्न होगा। ऐसा वर प्रदान कर देवी ने ब्राह्मणी से फिर कहा कि हे ब्राह्मणी! और जो कुछ तेरी इच्छा हो वह मांग ले। भगवती दुर्गा का ऐसा वचन सुन सुमति ने कहा कि हे भगवती दुर्गे! अगर आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो कृपा कर मुझे नवरात्र व्रत की विधि और उसके फल का विस्तार से वर्णन करें।

महातम्य- इस प्रकार ब्राह्मणी के वचन सुन दुर्गा ने कहा- हे ब्राह्मणी! मैं तुम्हें संपूर्ण पापों को दूर करने वाले नवरात्र व्रत की विधि बतलाती हूं जिसको सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है- आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नौ दिन तक विधिपूर्वक व्रत करें यदि दिन भर का व्रत न कर सकें तो एक समय भोजन करें। विद्वान ब्राह्मणों से पूछकर घट स्थापन करें और वाटिका बनाकर उसको प्रतिदिन जल से सींचें। महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती देवी की मूर्तियां स्थापित कर उनकी नित्य विधि सहित पूजा करें और पुष्पों से विधिपूर्वक अर्घ्य दें। बिजौरा के फल से अर्घ्य देने से रूप की प्राप्ति होती है। जायफल से अर्घ्य देने से कीर्ति, दाख से अर्घ्य देने से कार्य की सिद्धि होती है, आंवले से अर्घ्य देने से सुख की प्राप्ति और केले से अर्घ्य देने से आभूषणों की प्राप्ति होती है। इस प्रकार पुष्पों व फलों से अर्घ्य देकर व्रत समाप्त होने पर नवें दिन यथा विधि हवन करें। खांड, घी, गेहूं, शहद, जौ, तिल, बिल्व (बेल), नारियल, दाख और कदम्ब आदि से हवन करें। गेहूं से होम करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, खीर एवं चम्पा के पुष्पों से धन की और बेल पत्तों से तेज व सुख की प्राप्ति होती है। आंवले से कीर्ति की और केले से पुत्र की, कमल से राज सम्मान की और दाखों से संपदा की प्राप्ति होती है। खांड, घी, नारियल, शहद, जौ और तिल तथा फलों से होम करने से मनोवांछित वस्तु की प्राप्ति होती है। व्रत करने वाला मनुष्य इस विधि विधान से होम कर आचार्य को अत्यन्त नम्रता के साथ प्रणाम करे और यज्ञ की सिद्धि के लिए उसे दक्षिणा दे। इस प्रकार बताई हुई विधि के अनुसार जो व्यक्ति व्रत करता है उसके सब मनोरथ सिद्ध होते हैं, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। इन नौ दिनों में जो कुछ दान आदि दिया जाता है उसका करोड़ों गुना फल मिलता है। इस नवरात्र व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। हे ब्राह्मणी! इस संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाले उत्तम व्रत को तीर्थ, मंदिर अथवा घर में विधि के अनुसार करें।

ब्रह्मा जी बोले- हे बृहस्पते! इस प्रकार ब्राह्मणी को व्रत की विधि और फल बताकर देवी अर्न्तध्यान हो गई। जो मनुष्य या स्त्री इस व्रत को भक्तिपूवर्क करता है वह इस लोक में सुख प्राप्त कर अन्त में दुर्लभ मोक्ष को प्राप्त होता है। हे बृहस्पते! यह इस दुर्लभ व्रत का महात्म्य है जो मैंने तुम्हें बतलाया है। यह सुन बृहस्पति जी आनन्द से प्रफुल्लित हो ब्राह्माजी से कहने लगे कि हे ब्रह्मन! आपने मुझ पर अति कृपा की जो मुझे इस नवरात्र व्रत का महात्6य सुनाया। ब्रह्मा जी बोले कि हे बृहस्पते! यह देवी भगवती शरक्ति संपूर्ण लोकों का पालन करने वाली है, इस महादेवी के प्रभाव को कौन जान सकता है? बोलो देवी भगवती की जय।

Navratri Vrat Katha for 9 Days

  1. नवरात्रि का पहला दिन: मां शैलपुत्री पूजा – शैलपुत्री माता कथा PDF
  2. नवरात्रि का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी कथा PDF
  3. नवरात्रि का तीसरा दिन: चंद्रघंटा माता कथा PDF
  4. नवरात्रि का चौथा दिन: कुष्मांडा माता कथा PDF
  5. नवरात्रि का पांचवा दिन: स्कन्दमाता माता कथा PDF
  6. नवरात्रि का छठा दिन: कात्यायनी माता कथा PDF
  7. नवरात्रि का सातवां दिन: कालरात्रि माता कथा PDF
  8. नवरात्रि का आठवां दिन: महागौरी माता कथा PDF
  9. नवरात्रि का नौवां दिन: राम नवमी/ सिद्धिदात्री माता कथा

दुर्गा नवरात्रि पूजा विधि

  1. सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें
  2. ऊपर दी गई पूजा सामग्री को एकत्रित करें
  3. पूजा की थाल सजाएं
  4. मां दर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में रखें
  5. मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोयें और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें
  6. पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें, इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और ऊपर नारियल रखें. कलश को लाल कपड़े से लपेंटे और कलावा के माध्यम से उसे बांधें. अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें
  7. फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें
  8. नौ दिनों तक माँ दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें और माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें
  9. अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं
  10. आखिरी दिन दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें इसमें माँ की आरती गाएं, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं

नवरात्रि पूजन सामग्री:

पूजन सामग्री लिस्ट :- श्रीदुर्गा की प्रतिमा, सिंदूर, दर्पण, कंघी, केसर, कपूर, धूप, वस्त्र, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, सुपारी साबुत, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, हल्दी की गांठ, पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, पुष्पहार, बेलपत्र, चौकी, रोली, मौली, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, जायफल, जावित्री, नारियल, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, हवन सामग्री, कलश मिट्टी या पीतल का, पूजन के लिए थाली, सरसों सफेद और पीली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, गंगाजल।

नवरात्रि में नौ रंगों का महत्व

नवरात्रि के समय हर दिन का एक रंग तय होता है. मान्यता है कि इन रंगों का उपयोग करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

  • प्रतिपदा- पीला
  • द्वितीया- हरा
  • तृतीया- भूरा
  • चतुर्थी- नारंगी
  • पंचमी- सफेद
  • षष्टी- लाल
  • सप्तमी- नीला
  • अष्टमी- गुलाबी
  • नवमी- बैंगनी

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके नवरात्रि व्रत कथा और आरती को PDF मे डाउनलोड कर सकते हैं।  

Also, Check –

Navratri Path Book PDF

Navratri Pujan Vidhi PDF

Durga Chalisa in Hindi PDF

PDF's Related to Navratri Vrat Katha & Aarti – श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा

Download Navratri Vrat Katha & Aarti – श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा PDF

REPORT THISIf the purchase / download link of Navratri Vrat Katha & Aarti – श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If this is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

SIMILAR PDF FILES

  • 2023 Calendar Kannada

    2023 Calendar Kannada PDF is published in India specially for those people who speak Kannada. This calendar is one of the most popular in Kannada Panchang around the world. Devotees from Karanataka State will get the full detailed Panchang information like Nakshatra, Vrat, Subh muhurta, Public Holidays & Government Holidays...

  • 2023 Calendar Printable

    A calendar is a system of organizing days. This is done by giving names to periods of time, typically days, weeks, months and years. A date is the designation of a single, specific day within such a system. A calendar is also a physical record (often paper) of such a...

  • 2023 Calendar with Indian Holidays

    A calendar is a system of organizing days. This is done by giving names to periods of time, typically days, weeks, months, and years. A date is the designation of a single, specific day within such a system. A calendar is also a physical record (often paper) of such a...

  • 2023 Calendar Telugu

    2023 Telugu Calendar PDF showing Telugu festivals and holidays in Andhra Pradesh & Telangana. January corresponds to Pushyam and Magha Masam 2023 of the Telugu calendar. The users who are searching for the Telugu Calendar 2023 can download it here free of cost. The hard copy of this calendar is...

  • 2024 Calendar with Indian Holidays

    If you are looking for a 2024 Calendar with an Indian Holidays PDF then you have arrived at the right website. In this calendar, you can check the month-wise holiday list and plan your vacation accordingly and it is also Panchang, is a Hindi calendar that is used in the...

  • 2024 Calendar (മലയാളം കലണ്ടർ) Malayalam

    The 2024 Malayalam calendar PDF, with its fascinating blend of astrology and cultural traditions, is a window into the vibrant tapestry of Kerala’s heritage. From the grandeur of Thrissur Pooram to the beauty of Onam, the festivals celebrated throughout the year offer a glimpse into the soul of the Malayali...

  • 29 States of India and Their Festivals

    Hello, Today we share with you the 29 States of India and Their Festivals PDF, this list contains the month-wise festival details in India celebrates. If you are searching Indian Festival List 2023 in PDF format then you have arrived at the right website and you can directly download it...

  • Bangla Calendar 2023 Bengali

    Bangla Calendar 2023 PDF is also known as the Bangla Calendar or Bong Calendar. Bengali Calendar is based on Solar Calendar. The current Bengali Year is Bengali calendar 1428 BS or Bengali Sambat. In Bangla Calendar the new year starts in the middle of April around 15th of the April....

  • Dibrugarh University Holiday List 2022

    Dibrugarh University has released the Dibrugarh University Holiday List 2022 PDF from the official website https://dibru.ac.in or it can be directly downloaded from the link given at the bottom of this page. Candidates can check the list of holidays for the academic calendar 2022-23. Dibrugarh University, the easternmost University in...

  • Dibrugarh University Holiday List 2023

    Dibrugarh University has released the Dibrugarh University Holiday List 2022 PDF from the official website https://dibru.ac.in or it can be directly downloaded from the link given at the bottom of this page. Candidates can check the list of holidays for the academic calendar 2022-23. Dibrugarh University, the easternmost University in...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *