शुक्रवार प्रदोष व्रत कथा – Pradosh Vrat Katha Friday - Summary
हर माह आने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा पाने का सबसे बड़ा दिन होता है। शुक्रवार को पड़ने वाले व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत से सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान मिलता है।
प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोषकाल में की जाती है। यह प्रदोष सूर्यास्त से लगभग 1 घंटा पहले का समय होता है, जो प्रदोषकाल कहलाता है।
शुक्र प्रदोष व्रत कथा पूजा विधि – Friday Pradosh Vrat Katha Pooja Vidhi
प्रदोष व्रत के दौरान सुबह और शाम में दो बार पूजा की जाती है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके भगवान शिव का ध्यान करें। शिवलिंग का जलाभिषेक करें और पूजा के बाद दिनभर उपवास रखें। इसके बाद शाम में सूर्यास्त से 1 घंटे पहले फिर से स्नान करके प्रदोष काल में शिव जी की पूजा आरंभ करें।
शुक्र प्रदोष व्रत कथा – Friday Pradosh Vrat Katha
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्रदोष व्रत करने से भगवान शिवशंकर की पूर्ण कृपा प्राप्त की जा सकती है। इससे जीवन में किसी प्रकार का अभाव नहीं रह जाता है। इतना ही नहीं, समस्त आर्थिक संकटों का समाधान करने के लिए प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए।
इस व्रत के प्रभाव से हर तरह के रोग दूर होकर बीमारियों पर होने वाले खर्च में कमी आती है। भगवान शिव को ज्ञान और मोक्ष का दाता माना जाता है। अत: अध्यात्म की राह पर चलने वालों को प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए।
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