नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti PDF Hindi

नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti Hindi PDF Download

नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti in Hindi PDF download link is available below in the article, download PDF of नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti in Hindi using the direct link given at the bottom of content.

1 People Like This
REPORT THIS PDF ⚐

नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti Hindi PDF

नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको रहे हैं नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक।

नवरात्रि पर्व पहले दिन उपवास और पूजा के साथ शुरू होता है, फिर 9 दिनों तक पूजा-अर्चना चलती है। इसे तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है – पहले चार दिन देवी दुर्गा को समर्पित होते हैं, अगले चार दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित होते हैं, और अंतिम चार दिन देवी सरस्वती को समर्पित होते हैं। इन नौ दिनों के दौरान बहुत सारे अनुष्ठान होते हैं जैसे उपवास, मूर्तियों की पूजा, देवताओं की स्तुति गाना, लोग भी अपने पसंदीदा देवता या योद्धा के रूप में तैयार होते हैं।

माँ दुर्गा को सुख, शांति और समृद्धि की देवी माना जाता है। इसलिए इसे शक्ति की उपासना का पर्व की कहा जाता है। नवरात्र में नौ दिनों तक व्रत किये जाते हैं। नवरात्रों में माँ दुर्गा सभी के घरों में वास् करती हैं। मान्यता है कि नवरात्र के व्रत रखने वालों को मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और उनके सभी संकट दूर हो जाते हैं। माता रानी उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

नवरात्रि आरती PDF | Navratri Aarti PDF

ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, मैया जी को सदा मनावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, निर्मल से दोउ नैना, चन्द्रबदन नीको ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
कनक समान कलेवर,,रक्ताम्बर राजै ।
रक्त पुष्प गलमाला, लाल कुसुम गलमाला, कण्ठन पर साजै ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्परधारी ।
सुर नर मुनिजन सेवत, सुर नर मुनिजन ध्यावत, तिनके दुखहारी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
शुम्भ निशुम्भ विडारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, मधुर विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
चण्ड मुण्ड संघारे, शोणित बीज हरे ।
मधुकैटभ दोउ मारे, मधुकैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, चारों वेद बखानी, तुम शिव पटरानी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरू ।
बाजत ताल मृदंगा, बाजत ढोल मृदंगा, अरु बाजत डमरू ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता ।
भक्तन की दुख हरता, संतन की दुख हरता, सुख-सम्पत्ति करता ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, मनइच्छा फल पावत, सेवत नर नारी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत, धोळा गिरी पर राजत, कोटि रतन ज्योति ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावै, मैया प्रेम सहित गावें ।
कहत शिवानन्द स्वामी, रटत हरिहर स्वामी, मनवांछित फल पावै ।।
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत , मैया जी को सदा मनावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।

जय अम्बे गौरी आरती PDF

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को।
उज्जवल से दो‌उ नैना,चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा,अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।
भक्‍तन की दु:ख हरता,सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत,अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती,जो को‌ई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी,सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी

अम्बे तू है जगदम्बे काली आरती PDF

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली l

तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll

तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी l

दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह सवारी ll

सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, दस भुजाओं वाली l

दुखिंयों के दुखडें निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll

माँ बेटे का है इस जग में, बडा ही निर्मल नाता l

पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता ll

सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली l

दुखियों के दुखडे निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll

नहीं मांगते धन और दौलत, न चाँदी न सोना l

हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा कोना ll

सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली l

सतियों के सत को संवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली l

तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti PDF में डाउनलोड कर सकते हैं।

नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti PDF - 2nd Page
नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti PDF - PAGE 2

नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti PDF Download Link

REPORT THISIf the purchase / download link of नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If नवरात्रि आरती | Navaratri Aarti is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

RELATED PDF FILES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *