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Mera Pani Meri Virasat Yojana Haryana in Hindi
राज्य में लगातार बढ़ते हुए धान के क्षेत्र से प्रत्येक वर्ष लगभग 1.0 मीटर भू-जल स्तर में गिरावट आ रही है। हमारी आने वाली पीढियों के लिए पानी बचाने हेतु सरकार ने 1.00 लाख हैक्टेयर भूमि में मक्का / कपास / बाजरा / दलहन / बागवानी की फसलो से विविधीकरण हेतु ‘मेरा पानी मेरी विरासत‘ योजना की शुरूवात की है। किसानो को राज्य के 8 खण्डो (रतिया, सिरसा, सीवन, गुहला, पीपली, ईस्माइलाबाद, बबैन तथा शाहाबाद) में धान के पिछले वर्ष के क्षेत्र में कम-से-कम 50 प्रतिशत क्षेत्र में वैक्लपिक फसलो (मक्का / कपास / बाजरा / दलहन / बागवानी) को उगाकर विविधीकरण अपनाना होगा। उपर्युक्त योजना के माध्यम से फसल विविधीकरण का उददेशय टिकाऊ खेती के साथ-2 नवीनतम तकनीको को बढावा देना, उत्पादन बढाना तथा किसान की आय बढाने के लिए फसल विकल्प चुनने में सक्षम बनाना है।
पानी के अति-दोहन के मूल कारणः
- अधिक पानी की मांग वाले धान-गेहूं के फसल चक्र की निंरतर खेती।
- वर्षिक वर्षा से होने वाले पुनर्भरण से अधिक भू-जल का दोहन।
- धान और गेहूं की फसलो में सिंचाई विधि से पानी का अधिक प्रयोग व बर्बादी।
योजना के उददेशयः
- हरियाणा में अधिक पानी की मांग वाली फसलो के क्षेत्र को कम करना।
- स्थायी खेती के लिए वैकल्पिक फसलो को बढावा देना तथा नवीनतम तकनीको की प्रेरणा देना।
- संसाधनों के संरक्षण को बढावा देना।
- भू-जल स्तर को बनाए रखना।
- धान-गेहूं चक्र के कुप्रभाव से मृदा स्वास्थ्य को बचाना तथा सुक्ष्म तत्वों का सन्तुलन मिट्टी में बनाए रखना।
- धान-गेहूं चक्र की खेती से हटाकर किसान को अधिक लाभ देने वाली फसलो का विकल्प देने के लिए।
