लक्ष्मी पूजा विधि मंत्र सहित (Laxmi Puja Vidhi Mantra Sahit) Hindi

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लक्ष्मी पूजा विधि मंत्र सहित (Laxmi Puja Vidhi Mantra Sahit) Hindi

दीपावली का त्योहार बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती हैं। हिंदू धर्म में दिवाली बहुत ही प्रमुख और उत्साह के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है। हर वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि पर दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।

दिवाली का त्योहार मां लक्ष्मी की कृपा पाने का सबसे बड़ा और खास मौका होता है।मान्यता है कि दिवाली की रात को ही माता लक्ष्मी सभी पर सबसे ज्यादा अपनी कृपा बरसाती हैं। शास्त्रों में कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी स्वर्ग से सीधे धरती पर आती हैं और हर घर में जाती हैं। जिन घरों में साफ-सफाई, प्रकाश और विधि-विधान से देवी-देवताओं की पूजा -आराधना व मंत्रों पाठ होता है मां लक्ष्मी वहीं पर निवास करने लगती हैं। जिस कारण से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव और धन की कभी भी कमी नहीं होती है।

लक्ष्मी-गणेश पूजा मुहूर्त

धनतेरस शुभ मुहूर्त 2023- 

  • त्रयोदशी तिथि प्रारंभ 10 नवंबर मध्याह्न 1235 बजे
  • त्रयोदशी तिथि समाप्ति 11 नवंबर मध्याह्न 01 57 बजे
  • खरीदारी का मुहूर्त सायं 0505 बजे से सायं 0641 बजे
  • धनतेरस पूजा सायं 05 47 बजे से सायं 0743 बजे तक
  • इस साल 12 नवंबर को दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:39 PM से शाम 07:35 PM तक है।
  • दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का निशिता मुहूर्त रात 11:39 बजे से देर रात 12:32 बजे तक है।

लक्ष्मी पूजा विधि – Laxmi Pooja Vidhi Mantra Ssahit

  • दिवाली के दिन सबसे पहले सुबह उठकर एक बार फिर से घर के हर कोनों की साफ-सफाई करें। इसके बाद स्नान करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
  • इसके बाद घर को अच्छे तरीके से सजाएं और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं।
  • घर के मुख्य दरवाजे पर तोरण द्वार से सजाएं और दरवाजे के दोनों तरफ शुभ-लाभ और स्वास्तिक का निशान बना दें।
  • फिर शाम होते ही पूजा की तैयारी में लग जाएं। पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर गंगाजल का छिड़काव करते हुए देवी लक्ष्मी,भगवान गणेश की प्रतिमा के साथ मां सरस्वती और कुबेर देवता की प्रतिमा स्थापित करें।
  • सभी तरह के पूजन सामग्री को एकत्रित कर चौकी के पास जल से भर कलश रख दें।
  • इसके बाद शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए पूजा आरंभ कर दें। विधि-विधान और परंपरा के अनुसार लक्ष्मी पूजन करें।
  • महालक्ष्मी की पूजन के बाद तिजोरी, बहीखाते और पुस्तकों की पूजा करें।
  • अंत में माता लक्ष्मी की आरती करके घर के सभी हिस्सों में घी और तेल दिलाएं।

दिवाली लक्ष्मी पूजन का महत्व

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन पर घर में रिद्धि-सिद्धि के साथ सुख,संपन्नता और धन दौलत का प्रवेश होता है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के साथ भगवान गणेश, देवी सरस्वती, कुबेर और हनुमान जी की भी विशेष पूजा की जाती है।

लक्ष्मी पूजन विधि मंत्र सहित (Laxmi Puja Vidhi Mantra Sahit)

महालक्ष्मी पूजनकर्ता स्नान करके कोरे अथवा धुले हुए शुद्ध वस्त्र पहनें, माथे पर तिलक लगाएँ और शुभ मुहूर्त में पूजन शुरू करें। इस हेतु शुभ आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह करके पूजन करें।
अपनी जानकारी हेतु पूजन शुरू करने के पूर्व प्रस्तुत पद्धति एक बार जरूर पढ़ लें।

पवित्रकरण :
बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की अनामिका से निम्न मंत्र बोलते हुए अपने ऊपर एवं पूजन सामग्री पर जल छिड़कें-
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः ॥
पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं ।

आसन :
निम्न मंत्र से अपने आसन पर उपरोक्त तरह से जल छिड़कें-
ॐ पृथ्वी त्वया घता लोका देवि त्वं विष्णुना घृता ।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु च आसनम्‌ ॥

आचमन :
दाहिने हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें-
ॐ केशवाय नमः स्वाहा,
ॐ नारायणाय नमः स्वाहा,
ॐ माधवाय नमः स्वाहा ।

यह बोलकर हाथ धो लें-
ॐ गोविन्दाय नमः हस्तं प्रक्षालयामि ।

दीपक :
दीपक प्रज्वलित करें (एवं हाथ धोकर) दीपक पर पुष्प एवं कुंकु से पूजन करें-
दीप देवि महादेवि शुभं भवतु मे सदा ।
यावत्पूजा-समाप्तिः स्यातावत्‌ प्रज्वल सुस्थिराः ॥
(पूजन कर प्रणाम करें)

स्वस्ति-वाचन :

निम्न मंगल मंत्र बोलें-
ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
द्यौः शांतिः अंतरिक्षगुं शांतिः पृथिवी शांतिरापः
शांतिरोषधयः शांतिः। वनस्पतयः शांतिर्विश्वे देवाः
शांतिर्ब्रह्म शांतिः सर्वगुं शांतिः शांतिरेव शांति सा
मा शांतिरेधि। यतो यतः समिहसे ततो नो अभयं कुरु ।
शंन्नः कुरु प्राजाभ्यो अभयं नः पशुभ्यः। सुशांतिर्भवतु ॥
ॐ सिद्धि बुद्धि सहिताय श्री मन्ममहागणाधिपतये नमः ॥

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