गुरुवार व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha & Arti) Hindi

❴SHARE THIS PDF❵ FacebookX (Twitter)Whatsapp
REPORT THIS PDF ⚐

गुरुवार व्रत कथा Hindi

गुरुवार व्रत कथा, आरती और पूजा विधि (Guruwar Vrat Katha Arti & Puja Vidhi)

On Thursday, Lord Vishnu and Lord Guru Jupiter are worshiped. Many people observe fast on this day. It is believed that all wishes are fulfilled by observing this fast. Especially this fast has been said to be very fruitful for virgin girls, it ends the obstruction in marriage. This fast is considered auspicious for those deprived of child happiness.

गुरुवार (Thursday) के दिन व्रत करने से श्री बृहस्पति देव की कृपा तो प्राप्त होती ही है साथ ही श्री हरी विष्णु नारायण जी की भी कृपा व आशीर्वाद बृहस्पतिवार का व्रत करने से प्राप्त होता है। इस पोस्ट में हमने आपके लिए गुरुवार व्रत कथा आरती, उद्यापन विधि, पूजा विधि आदि चीज़े दी हैं। इस चमत्कारी कथा के प्रभाव से अनेक भक्तों ने अपना जीवन सार्थक किया है तथा विभिन्न प्रकार की कामनाओं की पूर्ति की है।

गुरुवार व्रत कथा (Guruwar Vrat Katha in Hindi) Thursday Vrat Katha

भारत वर्ष में एक प्रतापी और दानी राजा राज्य करता था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्मणों की सहायता करता था। यह बात उसकी रानी को अच्छी नहीं लगती थी, वह न ही गरीबों को दान देती, न ही भगवान का पूजन करती थी और राजा को भी दान देने से मना किया करती थी। एक दिन राजा शिकार खेलने वन को गए हुए थे, तो रानी महल में अकेली थी। उसी समय बृहस्पतिदेव साधु वेष में राजा के महल में भिक्षा के लिए गए और भिक्षा माँगी रानी ने भिक्षा देने से इन्कार किया और कहा: हे साधु महाराज मैं तो दान पुण्य से तंग आ गई हूं। मेरा पति सारा धन लुटाते रहिते हैं। मेरी इच्छा है कि हमारा धन नष्ट हो जाए फिर न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी।

साधु ने कहा: देवी तुम तो बड़ी विचित्र हो। धन, सन्तान तो सभी चाहते हैं। पुत्र और लक्ष्मी तो पापी के घर भी होने चाहिए। यदि तुम्हारे पास अधिक धन है तो भूखों को भोजन दो, प्यासों के लिए प्याऊ बनवाओ, मुसाफिरों के लिए धर्मशालाएं खुलवाओ। जो निर्धन अपनी कुंवारी कन्याओं का विवाह नहीं कर सकते उनका विवाह करा दो। ऐसे और कई काम हैं जिनके करने से तुम्हारा यश लोक-परलोक में फैलेगा। परन्तु रानी पर उपदेश का कोई प्रभाव न पड़ा। वह बोली: महाराज आप मुझे कुछ न समझाएं। मैं ऐसा धन नहीं चाहती जो हर जगह बाँटती फिरूं।

साधु ने उत्तर दिया यदि तुम्हारी ऐसी इच्छा है तो तथास्तु! तुम ऐसा करना कि बृहस्पतिवार को घर लीपकर पीली मिट्‌टी से अपना सिर धोकर स्नान करना, भट्‌टी चढ़ाकर कपड़े धोना, ऐसा करने से आपका सारा धन नष्ट हो जाएगा। इतना कहकर वह साधु महाराज वहाँ से आलोप हो गये। साधु के अनुसार कही बातों को पूरा करते हुए रानी को केवल तीन बृहस्पतिवार ही बीते थे, कि उसकी समस्त धन-संपत्ति नष्ट हो गई। भोजन के लिए राजा का परिवार तरसने लगा।

तब एक दिन राजा ने रानी से बोला कि हे रानी, तुम यहीं रहो, मैं दूसरे देश को जाता हूं, क्योंकि यहाँ पर सभी लोग मुझे जानते हैं। इसलिए मैं कोई छोटा कार्य नहीं कर सकता। ऐसा कहकर राजा परदेश चला गया। वहाँ वह जंगल से लकड़ी काटकर लाता और शहर में बेचता। इस तरह वह अपना जीवन व्यतीत करने लगा। इधर, राजा के परदेश जाते ही रानी और दासी दुःखी रहने लगी।

एक बार जब रानी और दासी को सात दिन तक बिना भोजन के रहना पड़ा, तो रानी ने अपनी दासी से कहा: हे दासी! पास ही के नगर में मेरी बहिन रहती है। वह बड़ी धनवान है। तू उसके पास जा और कुछ ले आ, ताकि थोड़ी-बहुत गुजर-बसर हो जाए। दासी रानी की बहिन के पास गई। उस दिन गुरुवार था और रानी की बहिन उस समय बृहस्पतिवार व्रत की कथा सुन रही थी। दासी ने रानी की बहिन को अपनी रानी का संदेश दिया, लेकिन रानी की बड़ी बहिन ने कोई उत्तर नहीं दिया। जब दासी को रानी की बहिन से कोई उत्तर नहीं मिला तो वह बहुत दुःखी हुई और उसे क्रोध भी आया। दासी ने वापस आकर रानी को सारी बात बता दी। सुनकर रानी ने अपने भाग्य को कोसा।

उधर, रानी की बहिन ने सोचा कि मेरी बहिन की दासी आई थी, परंतु मैं उससे नहीं बोली, इससे वह बहुत दुःखी हुई होगी। कथा सुनकर और पूजन समाप्त करके वह अपनी बहिन के घर आई और कहने लगी: हे बहिन! मैं बृहस्पतिवार का व्रत कर रही थी। तुम्हारी दासी मेरे घर आई थी परंतु जब तक कथा होती है, तब तक न तो उठते हैं और न ही बोलते हैं, इसलिए मैं नहीं बोली। कहो दासी क्यों गई थी? रानी बोली: बहिन, तुमसे क्या छिपाऊं, हमारे घर में खाने तक को अनाज नहीं था। ऐसा कहते-कहते रानी की आंखें भर आई। उसने दासी समेत पिछले सात दिनों से भूखे रहने तक की बात अपनी बहिन को विस्तार पूर्वक सुना दी।

रानी की बहिन बोली: देखो बहिन! भगवान बृहस्पतिदेव सबकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं। देखो, शायद तुम्हारे घर में अनाज रखा हो। पहले तो रानी को विश्वास नहीं हुआ पर बहिन के आग्रह करने पर उसने अपनी दासी को अंदर भेजा तो उसे सचमुच अनाज से भरा एक घड़ा मिल गया। यह देखकर दासी को बड़ी हैरानी हुई।…………………………..read more

कृपया सम्पूर्ण कथा पढ़ने के लिए नीचे दिए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें। 

गुरुवार पूजा विधि (Guruwar (Thursday) Puja Vidhi)

  • बृहस्पतिवार को सुबह-सुबह उठकर स्नान करें।
  • नहाने के बाद ही पीले रंग के वस्त्र पहन लें और पूजा के दौरान भी इन्ही वस्त्रों को पहन कर पूजा करें
  • भगवान सूर्य व मां तुलसी और शालिग्राम भगवान को जल चढ़ाएं।
  • मंदिर में भगवान विष्णु की विधिवत पूजन करें और पूजन के लिए पीली वस्तुओं का प्रयोग करें।
  • पीले फूल, चने की दाल, पीली मिठाई, पीले चावल, और हल्दी का प्रयोग करें।
  • इसके बाद केले के पेड़ के तने पर चने की दाल के साथ पूजा की जाती है।
  • केले के पेड़ में हल्दी युक्त जल चढ़ाएं केले के पेड़ की जड़ो में चने की दाल के साथ ही मुन्नके भी चढ़ाएं।
  • इसके बाद घी का दीपक जलाकर उस पेड़ की आरती करें और केले के पेड़ के पास ही बैठकर व्रत कथा का भी पाठ करें।

व्रत के दौरान पुरे दिन उपवास रखा जाता है। दिन में एक बार सूर्य ढलने के बाद भोजन किया जा सकता है। भोजन में पीली वस्तुएं खाएं तो बेहतर। लेकिन गलती से भी नमक का इस्तेमाल ना करें। प्रसाद के रूप में केला को अत्यंत शुभ माना जाता है। लेकिन व्रत रखने वाले को इस दिन केला नहीं खाना चाहिए। केला को दान में दे दें। पूजा के बाद बृहस्पति देव की कथा सुनना आवश्यक है। कहते हैं बिना कथा सुने व्रत सम्पूर्ण नहीं माना जाता और उसका पूर्ण फल नहीं मिलता।

गुरुवार (Thursday) व्रत कथा का महत्‍व

इस व्रत को करने से समस्त इच्छ‌एं पूर्ण होती है और वृहस्पति महाराज प्रसन्न होते है । धन, विघा, पुत्र तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है । परिवार में सुख तथा शांति रहती है । इसलिये यह व्रत सर्वश्रेष्ठ और अतिफलदायक है। इस व्रत में केले का पूजन ही करें । कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्घ होकर मनोकामना पूर्ति के लिये वृहस्पतिदेव से प्रार्थना करनी चाहिये । दिन में एक समय ही भोजन करें । भोजन चने की दाल आदि का करें, नमक न खा‌एं, पीले वस्त्र पहनें, पीले फलों का प्रयोग करें, पीले चंदन से पूजन करें । पूजन के बाद भगवान वृहस्पति की कथा सुननी चाहिये ।

गुरुवार (Thursday) व्रत उद्यापन विधि

  • इस व्रत का उद्यापन करने के लिए सुबह समय से उठकर तैयार हो जाएँ, और पूजा स्थल में गंगाजल का छिड़काव कर सफाई कर लें।
  • पीले वस्त्र ही पहनें। पूजा स्थल को साफ करने के बाद या अलग से आसन लगाकर उस पर भगवान् विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें।
  • मंदिर या अपने घर के आस पास स्थित केले के पेड़ की पूजा करें, जल चढ़ाकर दीपक जलाएं।
  • फिर षोडशोपचार पूजन विधि से विष्णु जी का अर्चना करें| घर आकर या वही बैठकर कथा करें।
  • उसके बाद प्रसाद लोगों में बाटें। उसके बाद श्री हरी के मंत्रो का उच्चारण करें। यदि कोई गलती हुई तो उसके लिए माफ़ी मांगे।

गुरुवार (बृहस्पति) व्रत उद्यापन विधि के लिए आवश्यक सामग्री:-

धोती – 1 जोड़ा, पीला कपड़ा – 1.25 मीटर, जनेउ – एक जोड़ा, चने की दाल – 1.25 किलो, गुड़ – 250 ग्राम, पीला फूल, या फूल माला, दीपक – 1, घी – 250 ग्राम, धूप – 1 पैकेट, हल्दीपाउडर – 1 पैकेट, कपूर – 1 पैकेट, सिंदूर – 1 पैकेट, बेसन के लडू – 1.25 किलो, मुन्नका (किशमिश) – 25 ग्राम, कलश – 1, आम के पत्ते, सुपारी, श्रीफल
पीला वस्त्र, केला, विष्णु भगवान की मूर्ति, केले का पेड़।

गुरुवार देवा आरती (Guruwar (Thursday) Aarti)

ॐ जय बृहस्पति देवा
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।
जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

गुरुवार व्रत कथा Download

Download the Guruwar (Thursday) Vrat Katha Arti and Puja Vidhi in PDF format using the link given below or read them online.

2nd Page of गुरुवार व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha & Arti) PDF
गुरुवार व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha & Arti)
PDF's Related to गुरुवार व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha & Arti)

गुरुवार व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha & Arti) PDF Free Download

1 more PDF files related to गुरुवार व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha & Arti)

Guruvar (Thursday) Vrat Katha Book in Hindi PDF

Guruvar (Thursday) Vrat Katha Book in Hindi PDF

Size: 1.15 | Pages: 24 | Source(s)/Credits: krizna.in | Language: Hindi

Guruvar (Thursday) Vrat Katha Book in Hindi PDF download using the link given.

Added on 22 Jul, 2021 by Pradeep (13.233.164.178)

REPORT THISIf the purchase / download link of गुरुवार व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha & Arti) PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If this is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

SIMILAR PDF FILES