Tantroktam Devi Suktam Sanskrit - Summary
तंत्रोक्त देवी सूक्त का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकट टल जाते हैं। इसके साथ ही यह व्यक्ति और उसके परिवार पर आने वाली विभिन्न बाधाओं को भी समाप्त कर देती है। यदि आप देवी माता को शीघ्र प्रसन्न करना चाहते हैं और उनकी कृपा पाना चाहते हैं, तो आपको इस स्तोत्र का पाठ शुद्ध उच्चारण के साथ करना चाहिए। तंत्रोक्त देवी सूक्त का महत्वयह स्तोत्र विभिन्न मनोरथ पूरक किया जाता है। देवी माता सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। यदि आप तंत्रोक्त देवी सूक्त पाठ का सम्पूर्ण लाभ लेना चाहते हैं, तो स्नान करके स्वच्छ हो जाइए और अपने घर के मंदिर में माता जी के सामने एक शुद्ध घी का दीप प्रज्वलित करें। इसके बाद, श्रद्धापूर्वक देवी माता का आवाहन करें। पाठ की विधि और साधनादेवी माँ का आवाहन करने के बाद, उन्हें स्नान कराएँ और वस्त्र तथा आभूषण अर्पण करें। इस क्रम में माता जी को धूप, पुष्प, नौवेद्य और फल भी अर्पित करें। फिर, पूरे मन से और शुद्ध हृदय से तंत्रोक्त देवी सूक्त का पाठ करें। अथ तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम् श्रीगणेशाय नमः । नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः । नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम् ॥ १॥ रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः । ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै सततं नमः ॥ २॥ कल्याण्यै प्रणतां वृद्ध्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नमः । नैरृत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः ॥ ३॥ दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै । ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः ॥ ४॥ अतिसौम्यातिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः । नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः ॥ ५॥ या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ६॥ या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ७॥ या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ८॥ या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ९॥ या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ १०॥ या देवी सर्वभूतेषु छायारूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ११॥ या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ १२॥ या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ १३॥ या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ १४॥ या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ १५॥ या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ १६॥ या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ १७॥ या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ १८॥ या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ १९॥ या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ २०॥ या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ २१॥ या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ २२॥ या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ २३॥ या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ २४॥ या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ २५॥ या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ २६॥ इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या । भूतेषु सततं तस्यै व्याप्त्यै दैव्यै नमो नमः ॥ २७॥ चित्तिरूपेण या कृत्स्नमेतद्व्याप्य स्थितां जगत् । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ २८॥ स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता ॥ करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः ॥ २९॥ या साम्प्रतं चोद्धतदैत्यतापितैरस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते । या च स्मृता तत्क्षणमेव हन्ति नः सर्वापदः भक्तिविनम्रमूर्तिभिः ॥ ३०॥ आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके Tantroktam Devi Suktam Sanskrit PDF में डाउनलोड कर सकते हैं। PDF डाउनलोड करें: यहां क्लिक करें |