श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) PDF Hindi

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) Hindi PDF Download

Download PDF of श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) in Hindi from the link available below in the article, Hindi श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) PDF free or read online using the direct link given at the bottom of content.

43 People Like This
REPORT THIS PDF ⚐

कृष्ण चालीसा - Shri Krishna Chalisa Hindi

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप कृष्ण चालीसा - Shri Krishna Chalisa हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक।

श्री कृष्ण चालीसा PDF हिन्दी नौवड सहित -कृष्ण चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान कृष्ण पर आधारित है। कृष्ण चालीसा एक लोकप्रिय प्रार्थना है जो 40 छन्दों से बनी है। कई लोग जन्माष्टमी सहित भगवान कृष्ण को समर्पित अन्य त्योहारों पर कृष्ण चालीसा का पाठ करते हैं। श्री कृष्ण चालीसा (Krishna Chalisa) का पाठ करने से मनुष्य को सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

श्री कृष्ण चालीसा हिन्दी अनुवाद सहित

दोहा

बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम।

अरुण अधर जनु बिम्बा फल, नयन कमल अभिराम॥

पूर्ण इन्द्र (पूर्ण इंदु), अरविन्द मुख, पिताम्बर शुभ साज।

जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥

भगवान श्री कृष्ण जिनके हाथों की शोभा मीठी तान वाली बांसुरी बढाती है। जिनका श्याम वर्णीय तन नील कमल के समान लगता है। आपके लाल-लाल होठ बिंबा फल जैसे हैं और नयन कमल के समान मोह लेने वाले हैं। आपका मुख कमल के ताजा खिले हुए फूल की तरह है और पीले वस्त्र तन की शोभा बढा रहे हैं। हे मन को मोह लेने वाले, हे आकर्षक छवि रखने वाले, राजाओं के भी राजा कृष्णचंद्र, आपकी जय हो

॥चौपाई॥

जय यदुनन्दन जय जगवन्दन। जय वसुदेव देवकी नन्दन॥

जय यशुदा सुत नन्द दुलारे। जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥

जय नट-नागर नाग नथैया। कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया॥

पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो। आओ दीनन कष्ट निवारो॥

वंशी मधुर अधर धरी टेरौ। होवे पूर्ण मनोरथ मेरौ॥

आओ हरि पुनि माखन चाखो। आज लाज भक्तन की राखो॥

हे यदु (यदुवंशी) नंदन समस्त जगत के लिए वंदनीय, वासुदेव व देवकी पुत्र श्री कृष्ण आपकी जय हो। हे यशोदा पुत्र नंद के दुलारे आपकी जय हो। अपने भक्तों की आंख के तारे प्रभु श्री कृष्ण आपकी जय हो। हे शेषनाग पर नृत्य करने वाले नट-नागर आपकी जय हो, आपकी जय हो गऊओं को चराने वाले किशन कन्हैया।

हे प्रभु आप एक बार फिर से कष्ट रुपी पहाड़ को अपनी ऊंगली के नाखून पर उठाकर दीन-दुखियों का उद्धार करो। हे प्रभु अपने होठों से लगी इस बांसुरी की मधुर तान सुनाओ, मेरी मनोकामनाएं पूरी कर मुझ पर कृपा बरसाओ प्रभु। हे भगवान श्री कृष्ण दोबारा आकर फिर से मक्खन का स्वाद चखो, हे प्रभु अपने भक्तों की लाज आपको रखनी होगी।

गोल कपोल, चिबुक अरुणारे। मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥

रंजित राजिव नयन विशाला। मोर मुकुट वैजयंती माला॥

कुण्डल श्रवण पीतपट आछे। कटि किंकणी काछन काछे॥

नील जलज सुन्दर तनु सोहे। छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥

मस्तक तिलक, अलक घुंघराले। आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥

हे श्री कृष्ण आपके बाल रुप में गोल मटोल लाल-लाल गाल उस पर आपकी मृदु मुस्कान मन को मोह लेती है। आप अपनी कमल के समान बड़ी-बड़ी आंखों से सबको जीत लेते हैं। आपके माथे पर मोर पंखी मुकुट व गले में वैजयंती माला है। आपके कानों में स्वर्ण वर्णीय कुंडल व कमर पर किंकणी ( कमर से थोड़ा नीचे बंधने वाला एक प्रकार का आभूषण जिसमें घूंघरुं या छोटी घंटियां होती हैं ) बहुत ही सुंदर लग रही हैं। नीले कमल के समान आपका सुंदर तन बहुत आकर्षक है आपकी छवि मनुष्य, ऋषि, मुनि देवता आदि सबका मन मोह लेती है। आपके माथे पर तिलक व घुंघराले बाल भी आपकी शोभा को बढ़ाते हैं। हे बांसुरी वाले श्री कृष्ण आप आ जाओ।

करि पय पान, पुतनहि तारयो। अका बका कागासुर मारयो॥

मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला। भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला॥

सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई। मसूर धार वारि वर्षाई॥

लगत-लगत ब्रज चहन बहायो। गोवर्धन नखधारि बचायो॥

हे श्री कृष्ण आपने स्तनपान के जरिये जहर पिलाकर मारने के लिए आयी पुतना राक्षसी का संहार किया तो वहीं अकासुर, बकासुर और कागासुर जैसे राक्षसों का वध भी किया। जब पूरे मधुबन को आग की लपटों ने घेर रखा था हे नंदलाल, आपको देखते ही मधुबन की सारी आंच ठंडी हो गई। जब देवराज इंद्र क्रोधवश ब्रज पर चढ़ाई करने आए तो उन्होंनें मूसलधार बरसात की। ऐसा लग रहा था मानों पूरा ब्रज डूब जाएगा, लेकिन हे कृष्ण मुरारी आपने अपनी सबसे छोटी ऊंगली के नाखून पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की।

लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई। मुख महं चौदह भुवन दिखाई॥

दुष्ट कंस अति उधम मचायो। कोटि कमल जब फूल मंगायो॥

नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें। चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें॥

करि गोपिन संग रास विलासा। सबकी पूरण करी अभिलाषा॥

केतिक महा असुर संहारयो। कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥

मात-पिता की बन्दि छुड़ाई। उग्रसेन कहं राज दिलाई॥

हे श्रीकृष्ण अपनी लीला दिखाते हुए आपने माता यशोदा को बाल रुप में अपने मुख में 14 ब्रह्मांड के दर्शन करवाकर उनके भ्रम को दूर किया। जब दुष्ट कंस ने उत्पात मचाते हुए करोड़ों कमल के फूल देने की मांग की तब आपने ही कालिया का शमन किया व जीत हासिल कर सभी ब्रजवासियों की रक्षा की। हे श्री कृष्ण आपने गोपियों के संग रास रचाकर उनकी इच्छाओं को भी पूरा किया। आपने कितने ही असुरों का संहार किया। कंस जैसे राक्षस को आपने बाल पकड़ कर मार दिया। कंस द्वारा जेल में बंद अपने माता-पिता को कैद से मुक्त करवाया। आपने ही उग्रसेन को उसके राज्य का सिंहासन दिलाया।

महि से मृतक छहों सुत लायो। मातु देवकी शोक मिटायो॥

भौमासुर मुर दैत्य संहारी। लाये षट दश सहसकुमारी॥

दै भीमहिं तृण चीर सहारा। जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥

असुर बकासुर आदिक मारयो। भक्तन के तब कष्ट निवारियो॥

दीन सुदामा के दुःख टारयो। तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥

प्रेम के साग विदुर घर मांगे। दुर्योधन के मेवा त्यागे॥

लखि प्रेम की महिमा भारी। ऐसे श्याम दीन हितकारी॥

आपने माता देवकी के छह मृत पुत्रों को लाकर उन्हें दुख से मुक्ति दिलाई। आपने भौमासुर, मुर दैत्यों का संहार करके 16 हजार एक सौ राजकुमारियों को उनके चंगुल से छुड़ाया। ( इन्हें अपनी पत्नी स्वीकार कर सामाजिक मान्यता भी श्री कृष्ण ने दिलाई थी ) आपने ही घास के तिनके को चीरकर भीम को जरासंध के मारने का ईशारा किया। ( जरासंध और भीम के बीच मल्ल युद्ध चल रहा था लेकिन जरासंध के दो टुकड़े होने पर फिर से जुड़ जाते थे ऐसे में श्री कृष्ण ने घास के तिनके को चीरकर अलग अलग दिशाओं में फेंक कर भीम को ईशारा किया था कि जरासंध के टुकड़े कर दो अलग-अलग दिशाओं में फेंकें)। हे श्री कृष्ण आपने ही बकासुर आदि का वध करके अपने भक्तों को कष्टों से मुक्ति दिलाई है।

हे द्वारकाधीश श्री कृष्ण आपने ही अपने सखा विप्र श्री सुदामा के दु:खों को दूर किया। कच्चे चावलों की उनकी भेंट को आपने सहर्ष स्वीकार किया व बड़े चाव से उन्हें खाया। आपने दुर्योधन की मेवा को त्यागकर विद्वान विदुर के घर प्रेम से बनाए गए साग को ग्रहण किया। हे श्री कृष्ण आपके प्रेम की महिमा बहुत महान है। हे श्याम आप दीन-हीन का सदैव भला करते हैं।

भारत के पारथ रथ हांके। लिए चक्र कर नहिं बल ताके॥

निज गीता के ज्ञान सुनाये। भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये॥

मीरा थी ऐसी मतवाली। विष पी गई बजाकर ताली॥

राना भेजा सांप पिटारी। शालिग्राम बने बनवारी॥

निज माया तुम विधिहिं दिखायो। उर ते संशय सकल मिटायो॥

हे श्री कृष्ण आपने ही महाभारत के युद्ध में अर्जुन का सारथी बन रथ को हांका व अपने हाथों में सुदर्शन चक्र ले कर बलशाली योद्धाओं के शीष उतार लिये। आपने गीता का उपदेश देकर अपने भक्तों के हृद्य में अमृत की वृषा की। हे श्री कृष्ण आपका स्मरण करते-करते मीरा मतवाली हो गई वह विष को भी हंसते-हंसते पी गई। राणा ने कितने ही यत्न किए मीरा को मरवाने के लेकिन आपकी कृपा से सांप भी फूलों का हार बना और पत्थर की मूरत में भी आप प्रकट हुए। हे प्रभु आपने अपनी माया दिखाकर अपने भक्तों के सारे संशय दूर किये।

तब शत निन्दा करी तत्काला। जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥

जबहिं द्रौपदी टेर लगाई। दीनानाथ लाज अब जाई॥

तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला। बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥

अस नाथ के नाथ कन्हैया। डूबत भंवर बचावत नैया॥

सुन्दरदास आस उर धारी। दयादृष्टि कीजै बनवारी॥

नाथ सकल मम कुमति निवारो। क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥

खोलो पट अब दर्शन दीजै। बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥

हे प्रभु जब शिशुपाल के सौ पाप माफ करने के बाद जब उसका पाप का घड़ा भर गया तो आपने उसका शीश उतार कर उसे जीवन से मुक्त कर दिया। जब संकट के समय आपकी भक्त द्रौपदी ने पुकारा कि हे दीनानाथ लाज बचालो तो हे नंदलाल आप तुरंत अपनी भक्त की लाज रखने के लिए वस्त्र बन गए द्रौपदी का चीर बढ़ता गया और शत्रु दुशासन का मूंह काला हुआ। हे नाथों के नाथ किशन कन्हैया आप भंवर से भी डूबती नैया को बचाने वाले हो। हे प्रभु सुंदरदास ने भी अपने हृद्य में यही आस धारण की है कि आपकी दयादृष्टि मुझ पर बनी रहे। हे नाथ मेरी खराब बुद्धि का निवारण करो, मेरे पाप, अपराध को माफ कर दो। हे प्रभु अब द्वार खोल कर दर्शन दे दीजिए। सभी किशन कन्हैया की जय बोलें।

दोहा

यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि।

अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि॥

कृष्ण चालीसा पूजा विधि

भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्ति के लिये कृष्ण चालीसा का पाठ करना चाहिये। लेकिन इस पाठ को करने से पहले कुछ बातें हैं जिनका आपको ध्यान रखने की जरुरत है, जिनके बारे में नीचे बताया गया है।

  • कृष्ण चालीसा का पाठ आपको सुबह के समय करना चाहिये।
  • पाठ शुरु करने से पहले आपको स्नान ध्यान करना चाहिये।
  • इसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर वहां आपको भगवान कृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करनी चाहिये।
  • इसके बाद भगवान कृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर के समक्ष धूप-दीप-अगरबत्ती जलानी चाहिये।
  • इसके बाद संकल्प लें कि पूरी श्रद्धा के साथ आप भगवान कृष्ण की पूजा करेंगे।
  • इसके बाद गंगाजल और पंचामृत से भगवान कृष्ण को स्नान करना चाहिये।
  • इसके बाद पूर्ण श्रद्धा से कृष्ण चालीसा का पाठ करना चाहिये।
  • चालीसा के पाठ के बाद भगवान कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाएं और प्रसाद को घर के लोगों में बांटें।

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके श्री कृष्ण चालीसा को PDF मे  डाउनलोड कर सकते हैं। 

2nd Page of श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) PDF
श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa)
PDF's Related to श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa)

Download link of PDF of श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa)

REPORT THISIf the purchase / download link of श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If this is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

RELATED PDF FILES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *