Ramdev Chalisa (रामदेव चालीसा अर्थ सहित) Hindi

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Ramdev Chalisa (रामदेव चालीसा अर्थ सहित) Hindi

श्री रामदेव जी, हिंदू धर्म के प्रमुख अवतार में से एक हैं। वे भगवान राम के आवश्यक अंग माने जाते हैं और उन्हें संक्षिप्त रूप में रामदेव भी कहा जाता है। रामदेव को पूर्ण अवतार रूप में माना जाता हैं, जो धर्म, सत्य और न्याय के प्रतीक हैं। उनका जन्म और जीवन भाग भगवान राम के रूप में विभूषित हुआ हैं और उन्होंने मानवता के लिए न्याय, धर्म, प्रेम और सच्चाई का पाठ प्रदान किया हैं।

रामदेव की पूजा और आराधना के द्वारा भक्तों को उनके आदर्शों का अनुसरण करने की प्रेरणा मिलती हैं और वे उनके दिशानिर्देशों के अनुसार जीवन जीने का प्रयास करते हैं। रामदेव के धर्म, न्याय और सत्य के उदाहरण ने मानव समाज को शक्ति, सद्भावना और समानता की ओर प्रेरित किया हैं। रामदेव की आराधना से भक्तों को शांति, आनंद और आत्मिक उन्नति की प्राप्ति होती हैं।

Ramdev Chalisa in Hindi (रामदेव चालीसा अर्थ सहित)

॥ दोहा ॥

श्री गुरु पद नमन करि, गिरा गनेश मनाय।
कथूं रामदेव विमल यश, सुने पाप विनशाय॥

अर्थ: हे गुरुदेव, मैं आपके पादों को नमस्कार करता हूँ, और हे गणेश देव, मैं आपकी आराधना करता हूँ। हे रामदेव, आपकी यश, पवित्रता और महिमा सुनकर पापों का नाश होता है॥

द्वार केश से आय कर, लिया मनुज अवतार।
अजमल गेह बधावणा, जग में जय जयकार॥

अर्थ: आपने अपने केश (बाल) से उत्पन्न होकर मनुष्य अवतार लिया। आपने अजमल को उद्धार किया और जगत में जय-जयकार हो रही है॥

॥ चौपाई ॥

जय जय रामदेव सुर राया।
अजमल पुत्र अनोखी माया॥

अर्थ: जय जय हो, हे रामदेव, जगत के सब सुरों के राजा। अजमल के पुत्र की अद्भुत माया हो॥

विष्णु रूप सुर नर के स्वामी।
परम प्रतापी अन्तर्यामी॥

अर्थ: आप सुरों और मनुष्यों के स्वामी हैं, आप महान प्रतापी हैं और सबके हृदय में विराजमान हैं॥

ले अवतार अवनि पर आये।
तंवर वंश अवतंश कहाये॥

अर्थ: आप अवतार लेकर पृथ्वी पर आए हैं,
आप तंवर वंश के अवतंस कहलाये गए हैं॥

संत जनों के कारज सारे।
दानव दैत्य दुष्ट संहारे॥

अर्थ: आप सभी संतों के कार्यों को पूरे करते हैं, आप राक्षसों, दैत्यों और दुष्टों का संहार करते हैं॥

परच्या प्रथम पिता को दीन्हा।
दूध परीण्डा मांही कीन्हा॥

अर्थ: आपने प्रथम पिता को दान दिया, आपने मांही को दूध की परिण्डा बनाया॥

कुमकुम पद पोली दर्शाये।
ज्योंही प्रभु पलने प्रगटाये॥

अर्थ: आपने कुमकुम से अपने पादों को सजाया है, जैसे ही प्रभु ने अपना पालन करना शुरू किया॥

परचा दूजा जननी पाया।
दूध उफणता चरा उठाया॥

अर्थ: आपने दूसरी परचा (पालना) जननी को पाया है, जब दूध उफणता है, तब बच्चा चारों ओर घूमता है॥

परचा तीजा पुरजन पाया।
चिथड़ों का घोड़ा ही साया॥

अर्थ: आपने तीसरी परचा पुरजन को पाया है, जैसे ठण्डी में घोड़े का छाया होता है॥

परच्या चौथा भैरव मारा।
भक्त जनों का कष्ट निवारा॥

अर्थ: आपने चौथी परचा भैरव को मारा, आप भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं॥

पंचम परच्या रतना पाया।
पुंगल जा प्रभु फंद छुड़ाया॥

अर्थ: आपने पंचमी परचा रत्न को पाया है, जब प्रभु पुंगल को फंद से छुड़ाते हैं॥

परच्या छठा विजयसिंह पाया।
जला नगर शरणागत आया॥

अर्थ: आपने छठी परचा विजयसिंह को पाया है, जब शरणागत नगर जल गया था, तब आप उसे शरण में आए॥

परच्या सप्तम् सुगना पाया।
मुवा पुत्र हंसता भग आया॥

अर्थ: आपने सप्तमी परचा सुगना को पाया है, जब मुवा का पुत्र अर्थात् हंस मुसकराता हुआ आया है॥

परच्या अष्टम् बौहित पाया।
जा परदेश द्रव्य बहु लाया॥

अर्थ: आपने अष्टमी परचा बौहित को पाया है, जो परदेश से बहुत सामग्री लाता है॥

भंवर डूबती नाव उबारी।
प्रगत टेर पहुँचे अवतारी॥

अर्थ: भंवर में डूबती नाव को आपने उभारा है, ताकि अवतारी आपके पास पहुंच सकें॥

नवमां परच्या वीरम पाया।
बनियां आ जब हाल सुनाया॥

अर्थ: आपने नवमी परचा वीरम को पाया है, जब बनियां ने आपको अपना हाल सुनाया॥

दसवां परच्या पा बिनजारा।
मिश्री बनी नमक सब खारा॥

अर्थ: आपने दसवीं परचा पा बिनजारा को पाया है, जब चीनी मिश्री बन गई और नमक सब खारा हो गया॥

परच्या ग्यारह किरपा थारी।
नमक हुआ मिश्री फिर सारी॥

अर्थ: आपने ग्यारहवीं परचा किरपा को पाया है, जब नमक मिश्री में बदल गया और फिर सभी खारी चीजें मिश्री हो गईं॥

परच्या द्वादश ठोकर मारी।
निकलंग नाड़ी सिरजी प्यारी॥

अर्थ: आपने बारहवीं परचा ठोकर मारी, जब नाड़ी निकली और सिरजी बहुत प्यारी हो गई॥

परच्या तेरहवां पीर परी पधारया।
ल्याय कटोरा कारज सारा॥

अर्थ: आपने तेरहवीं परचा पीर परी को पाया है, जो कटोरे में आकर सभी कार्यों को पूरा करती है॥

चौदहवां परच्या जाभो पाया।
निजसर जल खारा करवाया॥

अर्थ: आपने चौदहवीं परचा जाभो को पाया है, जो अपने सर में खारा जल लाया है॥

परच्या पन्द्रह फिर बतलाया।
राम सरोवर प्रभु खुदवाया॥

अर्थ: आपने पन्द्रहवीं परचा फिर बतलाया, जब प्रभु ने राम सरोवर को खुदवाया॥

परच्या सोलह हरबू पाया।
दर्श पाय अतिशय हरषाया॥

अर्थ: आपने सोलहवीं परचा हरबू को पाया है, जिससे अत्यंत हर्षित होकर दर्शन प्राप्त किए हैं॥

परच्या सत्रह हर जी पाया।
दूध थणा बकरया के आया॥

अर्थ: आपने सत्रहवीं परचा हर जी को पाया है, जब दूध ठंडा हो गया और बकरी का दूध आने लगा॥

सुखी नाड़ी पानी कीन्हों।
आत्म ज्ञान हरजी ने दीन्हों॥

अर्थ: आपने सुखी नदी को पानी से भर दिया है, और हरजी ने आत्मज्ञान दिया है॥

परच्या अठारहवां हाकिम पाया।
सूते को धरती लुढ़काया॥

अर्थ: आपने अठारहवीं परचा हाकिम को पाया है, जब सूते को धरती ने लुढ़काया है॥

परच्या उन्नीसवां दल जी पाया।
पुत्र पाय मन में हरषाया॥

अर्थ: आपने उन्नीसवीं परचा दल जी को पाया है, जब पुत्र को प्राप्त किया और मन में हर्ष हुआ है॥

परच्या बीसवां पाया सेठाणी।
आये प्रभु सुन गदगद वाणी॥

अर्थ: आपने बीसवीं परचा सेठाणी को पाया है, जब प्रभु आए और सुनकर उनकी वाणी गदगद हो गई॥

तुरंत सेठ सरजीवण कीन्हा।
उक्त उजागर अभय वर दीन्हा॥

अर्थ: तुरंत सेठ को सरजीवन दिया गया है, और अभय और उजागरता की वरदान दिए गए हैं॥

परच्या इक्कीसवां चोर जो पाया।
हो अन्धा करनी फल पाया॥

अर्थ: आपने इक्कीसवीं परचा चोर जो पाया है, उसे अन्धा करने की सजा मिली है॥

परच्या बाईसवां मिर्जो चीहां।
सातो तवा बेध प्रभु दीन्हां॥

अर्थ: आपने बाईसवीं परचा मिर्जो चीहा को पाया है, जब प्रभु ने सातों तवे पड़े हुए दिए हैं॥

परच्या तेईसवां बादशाह पाया।
फेर भक्त को नहीं सताया॥

अर्थ: आपने तेईसवीं परचा बादशाह को पाया है, फिर भक्त को परेशान नहीं किया॥

परच्या चैबीसवां बख्शी पाया।
मुवा पुत्र पल में उठ धाया॥

अर्थ: आपने चैबीसवीं परचा बख्शी को पाया है, जब मुवा का पुत्र अर्थात् हंस पल में उठकर दौड़ गया॥

जब-जब जिसने सुमरण कीन्हां।
तब-तब आ तुम दर्शन दीन्हां॥

अर्थ: जब-जब किसी ने आपका स्मरण किया, तब-तब आप दर्शन दिए हैं॥

भक्त टेर सुन आतुर धाते।
चढ़ लीले पर जल्दी आते॥

अर्थ: आपके भक्त आपकी कथा सुनकर बहुत उत्सुक होते हैं, और आपके लीला को जल्दी ही देखने के लिए आते हैं॥

जो जन प्रभु की लीला गावें।
मनवांछित कारज फल पावें॥

अर्थ: जो जन प्रभु की लीला गाते हैं, उन्हें मनचाहे कार्यों का फल प्राप्त होता है॥

यह चालीसा सुने सुनावे।
ताके कष्ट सकल कट जावे॥

अर्थ: यह चालीसा सुनकर सुनायी जाए, ताकि सभी कष्ट दूर हो जाएं॥

जय जय जय प्रभु लीला धारी।
तेरी महिमा अपरम्पारी॥

अर्थ: जय जय जय हो, हे प्रभु, जो आप लीलाएं धारण करते हैं। आपकी महिमा अपार है॥

मैं मूरख क्या गुण तब गाऊँ।
कहाँ बुद्धि शारद सी लाऊँ॥

नहीं बुद्धि बल घट लव लेशा।
मती अनुसार रची चालीसा॥

अर्थ: मैं एक मूर्ख हूँ, किस गुण का गान करूं? कहाँ मैं शारदा जैसी बुद्धि लाऊं? बुद्धि, बल, घट, लव और लेशा नहीं हैं। चालीसा मैंने अपनी मति अनुसार रची है॥

दास सभी शरण में तेरी।
रखियों प्रभु लज्जा मेरी॥

अर्थ: हे प्रभु, मैं तेरी शरण में सबका दास हूँ। कृपया मेरी लज्जा रखिए॥

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