प्रदोष व्रत कथा | Pradosh Vrat Katha Book Hindi PDF
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प्रदोष व्रत भगवान शिव के साथ चंद्रदेव से जुड़ा है। मान्यता है कि प्रदोष का व्रत सबसे पहले चंद्रदेव ने ही किया था. माना जाता है श्राप के कारण चंद्र देव को क्षय रोग हो गया था। तब उन्होंने हर माह में आने वाली त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखना आरंभ किया था जिसके शुभ प्रभाव से चंद्रदेव को क्षय रोग से मुक्ति मिली थी।
प्रदोष व्रत में शिव संग शक्ति यानी माता पार्वती की पूजा की जाती है, जो साधक के जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हुए उसका कल्याण करती हैं। प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा दिन और वार के अनुसार बदल जाता है।भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। एकादशी व्रतों की तरह ही इस व्रत का भी विशेष महत्व माना गया है। ये व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। पंचांग अनुसार इस समय बैशाख मास का शुक्ल पक्ष चल रहा है।
प्रदोष व्रत कथा | Pradosh Vrat Katha Hindi
स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने जाती और संध्या को लौटती थी। एक दिन जब वह भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसे नदी किनारे एक सुन्दर बालक दिखाई दिया जो विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था। शत्रुओं ने उसके पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था। उसकी माता की मृत्यु भी अकाल हुई थी। ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और उसका पालन-पोषण किया।
कुछ समय पश्चात ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ देवयोग से देव मंदिर गई। वहां उनकी भेंट ऋषि शाण्डिल्य से हुई। ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को बताया कि जो बालक उन्हें मिला है वह विदर्भदेश के राजा का पुत्र है जो युद्ध में मारे गए थे और उनकी माता को ग्राह ने अपना भोजन बना लिया था। ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। ऋषि आज्ञा से दोनों बालकों ने भी प्रदोष व्रत करना शुरू किया।
एक दिन दोनों बालक वन में घूम रहे थे तभी उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आई। ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया किंतु राजकुमार धर्मगुप्त “अंशुमती” नाम की गंधर्व कन्या से बात करने लगे। गंधर्व कन्या और राजकुमार एक दूसरे पर मोहित हो गए, कन्या ने विवाह हेतु राजकुमार को अपने पिता से मिलवाने के लिए बुलाया। दूसरे दिन जब वह पुन: गंधर्व कन्या से मिलने आया तो गंधर्व कन्या के पिता ने बताया कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है। भगवान शिव की आज्ञा से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से कराया। इसके बाद राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर पुनः आधिपत्य प्राप्त किया। यह सब ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था। स्कंदपुराण के अनुसार जो भक्त प्रदोषव्रत के दिन शिवपूजा के बाद एक्राग होकर प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है उसे सौ जन्मों तक कभी दरिद्रता नहीं होती।
प्रदोष व्रत कथा पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
- इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर व्रत का संकल्प लें। भगवान शिव का अभिषेक करें। उन्हें उनकी प्रिय वस्तुओं का भोग लगाएं।
- व्रत रखने वाले लोग इस दिन फलाहार ग्रहण करते हैं। प्रदोष व्रत की पूजा शाम को प्रदोष काल यानी की गोधूली बेला में करना उचित माना गया है।
- प्रदोष की पूजा करते समय साधक को भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का पाठ करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए।
- इस दिन शिव चालीसा पढ़ना भी उत्तम माना गया है। विधि विधान पूजा के बाद शिव आरती करें और प्रसाद सभी में बांटकर खुद भी ग्रहण कर लें।
प्रदोष व्रत साल 2022 लिस्ट (Pradosh Vrat 2022 List PDF)
जनवरी 15, 2022, शनिवार- पौष, शुक्ल त्रयोदशी (शनि प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 10:19 PM, जनवरी 14
समाप्त – 12:57 AM, जनवरी 16
जनवरी 30, 2022, रविवार- माघ, कृष्ण त्रयोदशी (रवि प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 08:37 PM, जनवरी 29
समाप्त – 05:28 PM, जनवरी 30
फरवरी 14, 2022, सोमवार- माघ, शुक्ल त्रयोदशी (सोम प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 06:42 PM, फरवरी 13
समाप्त – 08:28 PM, फरवरी 14
फरवरी 28, 2022, सोमवार- फाल्गुन, कृष्ण त्रयोदशी (सोम प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 05:42 AM, फरवरी 28
समाप्त – 03:16 AM, मार्च 01
मार्च 15, 2022, मंगलवार- फाल्गुन, शुक्ल त्रयोदशी (मंगल प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 01:12 PM, मार्च 15
समाप्त – 01:39 PM, मार्च 16
मार्च 29, 2022, मंगलवार- चैत्र, कृष्ण त्रयोदशी (मंगल प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 02:38 PM, मार्च 29
समाप्त – 01:19 PM, मार्च 30
अप्रैल 14, 2022, बृहस्पतिवार- चैत्र, शुक्ल त्रयोदशी (गुरु प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 04:49 AM, अप्रैल 14
समाप्त – 03:55 AM, अप्रैल 15
अप्रैल 28, 2022, बृहस्पतिवार- वैशाख, कृष्ण त्रयोदशी (गुरु प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 12:23 AM, अप्रैल 28
समाप्त – 12:26 AM, अप्रैल 29
मई 13, 2022, शुक्रवार- वैशाख, शुक्ल त्रयोदशी (शुक्र प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 05:27 PM, मई 13
समाप्त – 03:22 PM, मई 14
मई 27, 2022, शुक्रवार- ज्येष्ठ, कृष्ण त्रयोदशी (शुक्र प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 11:47 AM, मई 27
समाप्त – 01:09 PM, मई 28
जून 12, 2022, रविवार- ज्येष्ठ, शुक्ल त्रयोदशी (रवि प्रदोष व्रत कथा)
प्रारम्भ – 03:23 AM, जून 12
समाप्त – 12:26 AM, जून 13
जून 26, 2022, रविवार- आषाढ़, कृष्ण त्रयोदशी (रवि प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 01:09 AM, जून 26
समाप्त – 03:25 AM, जून 27
जुलाई 11, 2022, सोमवार- आषाढ़, शुक्ल त्रयोदशी (सोम प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 11:13 AM, जुलाई 11
समाप्त – 07:46 AM, जुलाई 12
जुलाई 25, 2022, सोमवार- श्रावण, कृष्ण त्रयोदशी (सोम प्रदोष व्रत कथा PDF)
प्रारम्भ – 04:15 PM, जुलाई 25
समाप्त – 06:46 PM, जुलाई 26
अगस्त 9, 2022, मंगलवार- श्रावण, शुक्ल त्रयोदशी (मंगल प्रदोष प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 05:45 PM, अगस्त 09
समाप्त – 02:15 PM, अगस्त 10
अगस्त 24, 2022, बुधवार- भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी (बुध प्रदोष व्रत कथा)
प्रारम्भ – 08:30 AM, अगस्त 24
समाप्त – 10:37 AM, अगस्त 25
सितम्बर 8, 2022, बृहस्पतिवार- भाद्रपद, शुक्ल त्रयोदशी (गुरु प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 12:04 AM, सितम्बर 08
समाप्त – 09:02 PM, सितम्बर 08
सितम्बर 23, 2022, शुक्रवार- आश्विन, कृष्ण त्रयोदशी (शुक्र प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 01:17 AM, सितम्बर 23
समाप्त – 02:30 AM, सितम्बर 24
अक्टूबर 7, 2022, शुक्रवार- आश्विन, शुक्ल त्रयोदशी (शुक्र प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 07:26 AM, अक्टूबर 07
समाप्त – 05:24 AM, अक्टूबर 08
अक्टूबर 22, 2022, शनिवार- कार्तिक, कृष्ण त्रयोदशी (शनि प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 06:02 PM, अक्टूबर 22
समाप्त – 06:03 PM, अक्टूबर 23
नवम्बर 5, 2022, शनिवार – कार्तिक, शुक्ल त्रयोदशी (शनि प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 05:06 PM, नवम्बर 05
समाप्त – 04:28 PM, नवम्बर 06
नवम्बर 21, 2022, सोमवार- मार्गशीर्ष, कृष्ण त्रयोदशी (सोम प्रदोष व्रत)
प्रारम्भ – 10:07 AM, नवम्बर 21
समाप्त – 08:49 AM, नवम्बर 22
दिसम्बर 5, 2022, सोमवार- मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी (सोम प्रदोष व्रत )
प्रारम्भ – 05:57 AM, दिसम्बर 05
समाप्त – 06:47 AM, दिसम्बर 06
दिसम्बर 21, 2022, बुधवार- पौष, कृष्ण त्रयोदशी (बुध प्रदोष व्रत )
प्रारम्भ – 12:45 AM, दिसम्बर 21
समाप्त – 10:16 PM, दिसम्बर 21
प्रदोष व्रत कथा PDF
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