गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha PDF Hindi

गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha Hindi PDF Download

Download PDF of गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha in Hindi from the link available below in the article, Hindi गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha PDF free or read online using the direct link given at the bottom of content.

14 People Like This
REPORT THIS PDF ⚐

गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha Hindi

गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक।

हिंदू धर्म में सावन मास के प्रदोष व्रत का अत्यंत महत्व होता है। जहां श्रावण मास महादेव को बेहद प्रिय है वहीं हर माह की प्रत्येक त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। त्रयोदशी तिथि को ही प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव की विधि –विधान से पूजा- अर्चना प्रदोष काल में की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष काल में की गई भगवान शिव की पूजा, भक्त की सभी मुरादें पूरी करती है। भक्त के सभी संकट दूर हो जाते हैं।

प्रदोष व्रत जब गुरुवार को पड़ता है, तब उसे गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं। माना जाता है कि प्रदोष व्रत कलयुग में शिव को प्रसन्न करने वाले खास व्रतों में से एक है। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से ही इंद्र को विजय मिली थी। शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए गुरु प्रदोष व्रत एक श्रेष्ठ व्रत है।

गुरु प्रदोष व्रत कथा इन हिन्दी

हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार माह की त्रयोदशी तिथि में सायंकाल को प्रदोष काल कहा जाता है। इस प्रदोष व्रत को मंगलकारी एवं शिव की कृपा दिलाने वाला माना गया है। त्रयोदशी व्रत करने वाले को 100 गायें दान करने का फल प्राप्त होता है तथा यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता है। इतना ही नहीं, गुरु प्रदोष व्रत शत्रुओं का विनाश करने वाला भी माना गया। श्री सूतजी के अनुसार- शत्रु विनाशक भक्तिप्रिय, व्रत है यह अति श्रेष्ठ। वार मास तिथि सर्व से, व्रत है यह अति ज्येष्ठ।

इस व्रत कथा के अनुसार एक बार इंद्र और वृत्तासुर की सेना में घनघोर युद्ध हुआ। देवताओं ने दैत्य-सेना को पराजित कर नष्ट-भ्रष्ट कर डाला। यह देख वृत्तासुर अत्यंत क्रोधित हो स्वयं युद्ध को उद्यत हुआ। आसुरी माया से उसने विकराल रूप धारण कर लिया। सभी देवता भयभीत हो गुरुदेव बृहस्पति की शरण में पहूंचे। बृहस्पति महाराज बोले- पहले मैं तुम्हें वृत्तासुर का वास्तविक परिचय दे दूं।

वृत्तासुर बड़ा तपस्वी और कर्मनिष्ठ है। उसने गंधमादन पर्वत पर घोर तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया। पूर्व समय में वह चित्ररथ नाम का राजा था। एक बार वह अपने विमान से कैलाश पर्वत चला गया।

वहां शिवजी के वाम अंग में माता पार्वती को विराजमान देख वह उपहासपूर्वक बोला- ‘हे प्रभो! मोह-माया में फंसे होने के कारण हम स्त्रियों के वशीभूत रहते हैं किंतु देवलोक में ऐसा दृष्टिगोचर नहीं हुआ कि स्त्री आलिंगनबद्ध हो सभा में बैठे।’
चित्ररथ के यह वचन सुन सर्वव्यापी शिवशंकर हंसकर बोले- ‘हे राजन! मेरा व्यावहारिक दृष्टिकोण पृथक है। मैंने मृत्युदाता-कालकूट महाविष का पान किया है, फिर भी तुम साधारणजन की भांति मेरा उपहास उड़ाते हो!’

माता पार्वती क्रोधित हो चित्ररथ से संबोधित हुईं- ‘अरे दुष्ट! तूने सर्वव्यापी महेश्‍वर के साथ ही मेरा भी उपहास उड़ाया है अतएव मैं तुझे वह शिक्षा दूंगी कि फिर तू ऐसे संतों के उपहास का दुस्साहस नहीं करेगा- अब तू दैत्य स्वरूप धारण कर विमान से नीचे गिर, मैं तुझे शाप देती हूं।’

जगदम्बा भवानी के अभिशाप से चित्ररथ राक्षस योनि को प्राप्त हुआ और त्वष्टा नामक ऋषि के श्रेष्ठ तप से उत्पन्न हो वृत्तासुर बना। गुरुदेव बृहस्पति आगे बोले- ‘वृत्तासुर बाल्यकाल से ही शिवभक्त रहा है अत हे इंद्र! तुम बृहस्पति प्रदोष व्रत कर शंकर भगवान को प्रसन्न करो।’

देवराज ने गुरुदेव की आज्ञा का पालन कर बृहस्पति प्रदोष व्रत किया। गुरु प्रदोष व्रत के प्रताप से इंद्र ने शीघ्र ही वृत्तासुर पर विजय प्राप्त कर ली और देवलोक में शांति छा गई। अत: प्रदोष व्रत हर शिव भक्त को अवश्य करना चाहिए।

गुरु प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें. पंचामृत का पूजा में प्रयोग करें।
  • धूप दिखाएं और भगवान शिव को भोग लगाएं. इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
  • इस दिन भगवान शिव त्रयोदशी तिथि में शाम के समय कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं।
  • इस दिन भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF मे डाउनलोड कर सकते हैं। 

2nd Page of गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha PDF
गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha
PDF's Related to गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha

Download link of PDF of गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha

REPORT THISIf the purchase / download link of गुरु प्रदोष व्रत | Guru Pradosh Vrat Katha PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If this is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

RELATED PDF FILES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *