Padma Purana (पद्म पुराण ) Sanskrit PDF
पद्म पुराण महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित एक वैष्णव पुराण है। इस पुराण में 7 खण्ड, 697 अध्याय और 55,000 श्लोक है। पद्म पुराण में भगवान विष्णु के अवतार वामन अवतार का आख्यान, तुलाधार की कथा, नंदी धेनु उपाख्यान इत्यादि आख्यानों और कथाओ द्वारा सत्य का वर्णन अच्छी तरह समझाया गया है।
महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित संस्कृत भाषा में रचे गए अठारह पुराणों में से एक पुराण ग्रंथ है। सभी अठारह पुराणों की गणना के क्रम में ‘पद्म पुराण’ को द्वितीय स्थान प्राप्त है। श्लोक संख्या की दृष्टि से भी यह द्वितीय स्थान पर है। पहला स्थान स्कन्द पुराण को प्राप्त है। पद्म का अर्थ है-‘कमल का पुष्प’। चूँकि सृष्टि-रचयिता ब्रह्माजी ने भगवान् नारायण के नाभि-कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था, इसलिए इस पुराण को पद्म पुराण की संज्ञा दी गयी है। इस पुराण में भगवान् विष्णु की विस्तृत महिमा के साथ भगवान् श्रीराम तथा श्रीकृष्ण के चरित्र, विभिन्न तीर्थों का माहात्म्य शालग्राम का स्वरूप, तुलसी-महिमा तथा विभिन्न व्रतों का सुन्दर वर्णन है।
Padma Purana (पद्म पुराण)
पद्मपुराण के छह खण्ड प्रसिद्ध हैं:
- सृष्टि खण्ड
- भूमि खण्ड
- स्वर्ग खण्ड
- ब्रह्म खण्ड
- पाताल खण्ड
- उत्तर खण्ड
पद्मपुराण में कथित रूप से 55000 श्लोक माने गये हैं। पद्मपुराण के प्रामाणिक संस्करण तैयार करने की दिशा में ‘आनन्दाश्रम मुद्रणालय, पुणे’ द्वारा 1893-94 ई० में प्रस्तुत संस्करण मील के पत्थर की तरह महत्त्व रखने वाला है। इस संस्करण में अनेक विद्वानों की सहायता से पद्मपुराण के यथासंभव प्रामाणिक रूप को प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है। इसमें श्लोकों की कुल संख्या 48,452 है। 1956-58 ईस्वी में ‘मनसुखराय मोर, 5, क्लाइव राॅ, कोलकाता’ द्वारा प्रस्तुत संस्करण में ‘वेंकटेश्वर प्रेस, बंबई’ से प्रकाशित प्राचीन संस्करण को ही आधार बनाया गया, क्योंकि ‘आनन्दाश्रम’ से प्रकाशित संस्करण में श्लोक संख्या 55000 से बहुत कम थी।[5] हालाँकि वेंकटेश्वर प्रेस के संस्करण के श्लोकों को गिना नहीं गया था और अनुमान से ही उसे 55000 श्लोकों वाला मान लिया गया था।