Lord Krishna Story Hindi

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Lord Krishna Story Hindi

कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्री के १२ बजे हुआ था । कृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी के नाम से भारत, नेपाल, अमेरिका सहित विश्वभर में मनाया जाता है। कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। वे माता देवकी और पिता वासुदेव की ८वीं संतान थे।  श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर माने जाते हैं। कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है।

भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। द्वापरयुग में मथुरा का राजा उग्रसेन थे। उनके पुत्र का नाम कंस था और उनके पुत्री का नाम देवकी थी।  कंस का बहन देवकी का विवाह वसुदेव के साथ हुआ था। एकदिन कंस ने  आकाशवाणी सुना कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा वह मारा जाएगा। इससे बचने के लिए कंस ने देवकी और वसुदेव को मथुरा के कारागार में डाल दिया और साथ ही अपने पिता को भी कारागार में डाल कर स्वयं मथुरा का राजा बन गया।

Lord Krishna Story in Hindi

द्वापर युग में घटित कृष्ण और राधा की कहानिया कौन नहीं जनता। उस वक्त देवताओं में यह चर्चा थी। की राधा ही भगवान कृष्ण की सबसे बडी भक्त है। पर इस बात से एक व्यक्ति सहमत नहीं थे और वह थे नारद मुनी। वह अपने आपको ही भगवान कृष्ण का सबसे बडा भक्त मानते थे। पर देवताओं में राधा रानी के विषय में चर्चा सुनकर उन्हें जलन महसूस होने लगी थी। नारद मुनी के स्वभाव से भगवान कृष्ण भी अच्छी तरह अवगत थे। एक दिन नारद मुनी कृष्ण भगवान से मिलने। द्वारिकापुरी गए थे। उन्हें आता देख भगवान श्री कृष्ण अपना सिर पकडकर बैठे गए। मुनीवर ने उन्हें देखते ही पूछा। क्या हुआ प्रभु आप यूं सिर पकड़कर क्यों बैठे है? ।

उसपर द्वारिकाधीश ने उत्तर दिया। मुनिवर आज हमें सिर में बुहत पीडा हो रही है। नारद बोले तो प्रभु इस पीडा को मिटने का क्या कोई उपाय है? । कृष्ण ने कहा हां उपाय तो है। अगर मेरा सबसे बडा भक्त अपने चरण धोकर। उसका चरण अमृत मुझे पिलाएगा। तो मेरा सिरदर्द पल भर में ठीक हो जायेगा। कृष्ण के मुख से यह उपाय सुनकर कुछ पल के लिए मुनिवर सोच में पड गए। की हूं तो मैं ही सबसे बडा कृष्ण भक्त। लेकिन अगर मैं अपने पैर धोकर उसका चरण अमृत प्रभु को पिलाऊंगा। तो मुझे नरक जाने जीतन महापाप लगेगा। परन्तु राधा को भी तो सब कृष्ण का बडा भक्त मानते है।

इतना सोचने के बाद भगवान कृष्ण-से आज्ञा लेकर। नारद तुरंत राधारानी के महल में जा पहुंचे और उन्हें प्रभु के सिर में हो रही पीडा एवं उसके उपाय के बारे में वृतांत सुनाया। वह सुनकर राधा रानी ने एक क्षण का भी विलंब ना करते हुए। अपने चरण धोकर उसका अमृत एक कटोरी में नारद मुने के हाथ में लाकर दिया और कहा मुनिवर मैं नहीं जानती की मैं भगवान कृष्ण की कितनी बडी भक्त हूं। पर में अपने ईश्वर आराध्य को पीडा में नहीं देख सकती। राधा के मुख से वह सच्चे भक्ति भाव के शब्द सुनकर। नारद मुनी की आंखे खुल गई। और वह समझ गए की राधाराणी ही कृष्ण की सबसे बडी भक्त है और प्रभु श्री कृष्ण ने यह लीला। मुझे समझाने के लिए रची थी।

कृष्ण भगवान की सम्पूर्ण जीवन गाथा

श्री कृष्ण की बचपन की कहानी
कृष्ण जन्म
वसुदेव ने अपने आठवें पुत्र को नंद और यशोदा की पुत्री के स्थान पर रख दिया और उस नन्ही बच्ची को लेकर वापस आ गए। जब कंस वहाँ पहुंचा तो वसुदेव और देवकी ने उसे कहा इसे छोड़ दो ये तो लड़की है। पर कंस नहीं माना उर उसने उस बच्ची को जमीन पर पटकना चाहा। पर वो बच्ची जमीन पर नहीं गिरी उसने एक अलग ही रूप धारण कर लिया…
कृष्ण का बाल्यकाल
कृष्ण माखन चुराया करते थे, और माखन ही गोप गोपियों की आजीविका थी। ऐसे में वे कृष्ण की माँ से शिकायत करतीं थीं। पर कृष्ण मासूम बनकर उन्हें फिर से मना लेते थे।
कृष्ण की मधुर मुस्कान
कृष्ण के सांवले होने पर भी हर कोई उनपर मुग्ध था। ऐसा इसलिए था क्योंकि वे हर समय मुस्कुराते रहते थे।
कृष्ण ने उठाया गोवेर्धन पर्वत
गोकुल के लोगों में इन्द्रोत्सव मनाने की परंपरा थी। पर कृष्ण के कहने पर उन्होंने गोपोत्सव मनाने का फैसला किया। उसी समय गोकुल में भारी वर्षा हुई और यमुना का स्तर इतना बढ़ गया कि सब कुछ डूबने लगा। ऐसे में कृष्ण सभी को गोवेर्धन पर्वत की गुफाओं तक ले गए। तभी अचानक एक च्चम्त्कार हुआ और पर्वत जमीन से ऊपर उठ गया।

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