Kali Chalisa (श्री काली चालीसा) - Summary
मां काली शक्ति सम्प्रदाय की बहुत महत्वपूर्ण देवी हैं, जो दस महाविद्याओं में शामिल हैं। Kali Chalisa का जाप करने से आत्मा को शांति मिलती है, मन का भय दूर होता है, और रोग कम होते हैं। राहु और केतु के दुष्प्रभावों को शांत करने में मां काली की पूजा बहुत फायदेमंद मानी जाती है। माता काली अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनके शत्रुओं का नाश करती हैं। तंत्र-मंत्र से जुड़ी परेशानियां भी मां काली की पूजा से समाप्त हो जाती हैं।
Kali Chalisa PDF डाउनलोड के लाभ और महत्व
अगर आप Kali Chalisa PDF डाउनलोड करते हैं, तो इसे आप कहीं भी आसानी से पढ़ सकते हैं और अपनी रोज़मर्रा की पूजा-अर्चना में शामिल कर सकते हैं। इस PDF की मदद से आप नियमित रूप से पाठ करके माता काली की कृपा पा सकते हैं। Kali Chalisa न केवल भक्ति भाव को बढ़ाता है बल्कि मानसिक शांति भी देता है।
श्री काली चालीसा – Kali Chalisa के हिंदी गीत
॥दोहा॥
जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार
महिष मर्दिनी कालिका, देहु अभय अपार ॥
॥ चौपाई ॥
अरि मद मान मिटावन हारी। मुण्डमाल गल सोहत प्यारी॥
अष्टभुजी सुखदायक माता। दुष्टदलन जग में विख्याता॥1॥
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै। कर में शीश शत्रु का साजै॥
दूजे हाथ लिए मधु प्याला। हाथ तीसरे सोहत भाला॥2॥
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे। छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे॥
सप्तम करदमकत असि प्यारी। शोभा अद्भुत मात तुम्हारी॥3॥
अष्टम कर भक्तन वर दाता। जग मनहरण रूप ये माता॥
भक्तन में अनुरक्त भवानी। निशदिन रटें ऋषी-मुनि ज्ञानी॥4॥
महशक्ति अति प्रबल पुनीता। तू ही काली तू ही सीता॥
पतित तारिणी हे जग पालक। कल्याणी पापी कुल घालक॥5॥
शेष सुरेश न पावत पारा। गौरी रूप धर्यो इक बारा॥
तुम समान दाता नहिं दूजा। विधिवत करें भक्तजन पूजा॥6॥
रूप भयंकर जब तुम धारा। दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा॥
नाम अनेकन मात तुम्हारे। भक्तजनों के संकट टारे॥7॥
कलि के कष्ट कलेशन हरनी। भव भय मोचन मंगल करनी॥
महिमा अगम वेद यश गावैं। नारद शारद पार न पावैं॥8॥
भू पर भार बढ़्यो जब भारी। तब तब तुम प्रकटीं महतारी॥
आदि अनादि अभय वरदाता। विश्वविदित भव संकट त्राता॥9॥
कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा। उसको सदा अभय वर दीन्हा॥
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा। काल रूप लखि तुमरो भेषा॥10॥
कलुआ भैंरों संग तुम्हारे। अरि हित रूप भयानक धारे॥
सेवक लांगुर रहत अगारी। चौसठ जोगन आज्ञाकारी॥11॥
त्रेता में रघुवर हित आई। दशकंधर की सैन नसाई॥
खेला रण का खेल निराला। भरा मांस-मज्जा से प्याला॥12॥
रौद्र रूप लखि दानव भागे। कियौ गवन भवन निज त्यागे॥
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो। स्वजन विजन को भेद भुलायो॥13॥
ये बालक लखि शंकर आए। राह रोक चरनन में धाए॥
तब मुख जीभ निकर जो आई। यही रूप प्रचलित है माई॥14।।
बाढ़्यो महिषासुर मद भारी। पीड़ित किए सकल नर-नारी॥
करूण पुकार सुनी भक्तन की। पीर मिटावन हित जन-जन की॥15॥
तब प्रगटी निज सैन समेता। नाम पड़ा मां महिष विजेता॥
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं। तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं॥16॥
मान मथनहारी खल दल के। सदा सहायक भक्त विकल के॥
दीन विहीन करैं नित सेवा। पावैं मनवांछित फल मेवा॥17॥
संकट में जो सुमिरन करहीं। उनके कष्ट मातु तुम हरहीं॥
प्रेम सहित जो कीरति गावैं। भव बन्धन सों मुक्ती पावैं॥18॥
काली चालीसा जो पढ़हीं। स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं॥
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा। केहि कारण मां कियौ विलम्बा॥19॥
करहु मातु भक्तन रखवाली। जयति जयति काली कंकाली॥
सेवक दीन अनाथ अनारी। भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी॥20॥
॥दोहा॥
प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ।
तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ॥
मां काली माता जी की आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनों पर माता भीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिंहों से है बलशाली, अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
मां-बेटे का इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता है। पूत-कपूत सुना है पर ना माता ने कुमाता सुनी॥
सब पर करूणा दिखाने वाली, अमृत बरसाने वाली, दुखियों के दुख दूर करने वाली।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगती धन-दौलत, न चांदी न सोना। हम तो मांगते हैं तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली, सतियों के सत को संवारने वाली।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली। वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
मैया भर दो भक्ति रस की प्याली, अष्ट भुजाओं वाली, भक्तों के काम तू ही पूरे करती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती, हम सब उतारे तेरी आरती॥
Kali Chalisa हिंदी गीत (श्री काली चालीसा) PDF डाउनलोड करें। नीचे दिए गए लिंक से PDF सीधे डाउनलोड कर सकते हैं या ऑनलाइन पढ़ सकते हैं।
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