श्री गर्ग संहिता सम्पूर्ण – Garg Sanhita Gita Press - Summary
गर्ग संहिता (Garg Sanhita) एक महत्वपूर्ण प्राचीन ग्रंथ है जो गर्ग मुनि द्वारा लिखी गई है। इस ग्रंथ में श्रीकृष्ण की मधुर लीलाओं और उनकी संगिनी देवी राधाजी की जादुई लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। गर्ग संहिता में भगवान श्रीकृष्ण के अद्भुत विचार, उनकी दिव्य लीलाएँ, और उनके भक्तों के साथ गुप्त भाषा में चर्चा की गई है। यह ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता में दी गई उपदेशों का भी उल्लेख करता है, जिससे इसे भगवद्गीता का महाभाष्य माना जाता है।
इसकी ख्याति सिर्फ धार्मिक महत्व तक सीमित नहीं है, बल्कि गर्ग संहिता ज्योतिष शास्त्र के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है। इसे ज्योतिषीय अनुसंधान के लिए भी उपयोग किया जाता है। इस ग्रंथ को पढ़कर आप व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास की दिशा में एक अनोखी समझ प्राप्त कर सकते हैं और इसे अपने जीवन में शामिल कर सकते हैं।
सम्पूर्ण गर्ग संहिता – Garg Samhita Gita Press Download
गर्ग संहिता के निम्नलिखित खण्ड (अध्याय) हैं:
- गोलोक खण्ड
- श्रीवृन्दावन खण्ड
- गिरिराज खण्ड
- माधुर्य खण्ड
- श्रीमथुरा खण्ड
- द्वारका खण्ड
- विश्वजीत खण्ड
- श्रीबलभद्र खण्ड
- श्रीविज्ञान खण्ड
- अश्वमेध खण्ड
गर्ग संहिता (Garg Samhita)
विषय सूची
- गोलोक खण्ड
- नारदजी के द्वारा अवतार-भेद का निरूपण
- ब्रह्मादि देवों द्वारा गोलोक धाम का दर्शन
- भगवान् के भूतल पर अवतीर्ण होने का उद्योग
- गोपी भाव की प्राप्ति में कारण भूत पूर्व प्राप्त वरदानों का विवरण
- अवतार व्यवस्था का वर्णन
- कालनेमि के अंश से उत्पन्न कंस के बल का वर्णन
- कंस की दिग्विजय
- सुचन्द्र और कलावती का वृषभानु तथा कीर्ति के रूप में अवतरण
- वसुदेवजी के विवाह का प्रसङ्ग
- वलभद्रजी का अवतार व्यासदेव द्वारा उनका स्तवन
- श्रीकृष्ण का प्राकट्य
- श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, देवताओं का आगमन
- पूतनाका उद्धार
- शकटासुर और तृणावर्तका उद्धार
- यशोदा द्वारा श्रीकृष्ण के मुख में ब्रह्माण्ड का दर्शन तथा श्रीकृष्ण और बलरामका नाम-करण संस्कार
- श्रीराधा और श्रीकृष्ण के विवाह का वर्णन
- श्रीकृष्ण की बाल लीला में दधि चोरी का वर्णन
- मृद्धक्षण लीला तथा मुख में ब्रह्माण्ड का दर्शन
- उलूखल-बन्धन तथा यमलार्जुन – उद्धार
- दुर्वासा के द्वारा भगवान् की माया का दर्शन तथा श्रीनन्दनन्दन स्तोत्र
- रास-विहार तथा आसुरिमुनिका उपाख्यान
- शिव और आसुरि का गोपी रूप से रासमण्डल में श्रीकृष्ण का दर्शन तथा स्तवन
- विरजा तथा श्रीदामाका प्रसङ्ग
- श्रीवृन्दावन खण्ड
- महावन से वृन्दावन चलने का उद्योग
- गिरिराज गोवर्धन की उत्पत्ति का वर्णन
- श्रीयमुनाजी का गोलोक से अवतरण
- वत्सासुर का उद्धार
- वकासुर का उद्धार
- अघासुर का उद्धार
- ब्रह्माजी के द्वारा गौओं, गोवत्सों एवं गोप-बालकों का हरण
- ब्रह्माजी का श्रीकृष्ण के सर्वव्यापी स्वरूप का दर्शन
- ब्रह्माजी के द्वारा भगवान् श्रीकृष्ण की स्तुति
- यशोदा की चिन्ता श्रीबलराम तथा श्रीकृष्ण का गोचारण
- धेनुकासुर – उद्धार
- श्रीकृष्ण द्वारा कालिय दमन तथा दावानल-पान
- शेषजी का उपाख्यान
- गरुड के भय से कालिय का यमुना जल में निवास
- श्रीराधा-कृष्णका प्रेमप्रसङ्ग
- तुलसी माहात्म्य और श्रीराधा द्वारा तुलसी- सेवन
- श्रीकृष्ण का गोपदेवी रूप धारण
- श्रीकृष्ण के द्वारा गोपदेवी रूप से श्रीराधा के प्रेम की परीक्षा तथा श्रीराधा को श्रीकृष्ण का दर्शन
- रासलीला का वर्णन
- श्रीराधा और श्रीकृष्ण का परस्पर शृङ्गार-धारण तथा रासक्रीड़ा
- श्रीकृष्ण का प्रकट होकर गोपियों को नारायण-स्वरूप के दर्शन कराना तथा यमुना विहार
- श्रीकृष्ण का अन्तर्धान होना
- श्रीकृष्ण के द्वारा शङ्खचूड का उद्धार
आप (श्री गर्ग संहिता सम्पूर्ण) Garg Sanhita Gita Press PDF डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक का उपयोग कर सकते हैं।