अहोई अष्टमी व्रत कथा (कहानी) | Ahoi Ashtami Vrat Katha Hindi PDF
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अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2022) के दिन माताएँ अपने पुत्रों की भलाई के लिए उषाकाल (भोर) से लेकर गोधूलि बेला (साँझ) तक उपवास करती हैं। साँझ के दौरान आकाश में तारों को देखने के बाद व्रत तोड़ा जाता है। कुछ महिलाएँ चन्द्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत को तोड़ती है लेकिन इसका अनुसरण करना कठिन होता है क्योंकि अहोई अष्टमी के दिन रात में चन्द्रोदय देर से होता है।
अहोई अष्टमी व्रत का दिन करवा चौथ के चार दिन बाद और दीवाली पूजा से आठ दिन पहले पड़ता है। करवा चौथ के समान अहोई अष्टमी उत्तर भारत में ज्यादा प्रसिद्ध है। अहोई अष्टमी का दिन अहोई आठें के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह व्रत अष्टमी तिथि, जो कि माह का आठवाँ दिन होता है, के दौरान किया जाता है। करवा चौथ के समान अहोई अष्टमी का दिन भी कठोर उपवास का दिन होता है और बहुत सी महिलाएँ पूरे दिन जल तक ग्रहण नहीं करती हैं। आकाश में तारों को देखने के बाद ही उपवास को तोड़ा जाता है।
अहोई अष्टमी व्रत कथा PDF (कहानी) | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi
पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक साहूकार और उसके सात लड़के रहते थेै। दिवाली से पहले साहूकार की पत्नि घर की लीपा-पोती के लिए मिट्टी लेने खदान गई. जैसे ही वो खदान में कुदाल से मिट्टी खोदने लगी, उस जगह एक सेह की मांद थीै। जो कि कुदाल से मिट्टी खोदते समय सेह के बच्चे को लग गई और सेह का बच्चा मर गयाै। बच्चे को मरता देख साहूकार की पत्नी को बहुत दुःख हुआ. और वह पश्चाताप करती हुई घर लौट आईै। कुछ दिनों बाद उसके एक बेटे का निधन हो गया. फिर अचानक ही उसका दूसरा बेटा भी मर गया, और सालभर में उसके तीसर, चौथा…सातों बेटे मर गए।
अपने बेटों के जाने के दुख में डुबी महिला ने अपने आस-पड़ोस की महिलाओं को बताया कि उसने कभी भी जान-बूझकर कोई पाप नही कियाै। लेकिन एक बार खदान में मिट्टी खोदते समय अनजाने में उससे एक सेह के बच्चे की हत्या हो गई थीै। उसके बाद से ही मेरे सातों पुत्रों की मृत्यु हो गई।
आस-पास की औरतों ने साहूकार की पत्नी से कहा कि यह बात बताकर तुम्हारा आधा पाप नष्ट हो गया हैै। और साथ ही सलाह दी कि तुम उसी अष्टमी को भगवती पार्वती की शरण लेकर सेह और सेह के बच्चों का चित्र बनाओ और उनकी आराधना करो. उनसे क्षमा -याचना करोै। भगवान की कृपा से तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएगें । साहूकार की पत्नी ने ऐसा ही किया. कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को उपवास और पूजा-अर्चना कीै।इसके बाद वो हर साल नियमित रूप से ये व्रत रखने लगी। जिसके बाद से सात पुत्रों की प्राप्ति हुई।
अहोई अष्टमी की पूजन विधि PDF:
- इस दिन सुबह सवेरे जल्दी उठ जाना चाहिए और नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें।
- फिर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। इसे गोबर या चित्रांकन के द्वारा कपड़े पर बनाया जाता है।
- इसके बाद उसके बच्चों की आकृतियां भी बनाई जाती हैं।
- इस दिन माताएं अपने बच्चों के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद शाम को या प्रदोष काल में उनकी पूजा की जाती है।
- जिस करवे में करवाचौथ के दिन जल भरा जाता है उसी में अहोई अष्टमी के दिन भी जल भरा जाता है।
- इसके बाद माता की शाम को पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है।
- मां को फल, फूल और मिठाई का भोग लगाया जाता है। फिर तारों को करवे से अर्घ्य दिया जाता है।
- व्रत का समापन रात में किया जाता है। फिर अहोई माता की व्रत कथा सुनी जाती है।
- इसके बाद ही अन्न-जल ग्रहण किया जाता है। दीपावली के दिन करवे के जल को पूरे घर में छिड़क दें।
अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2022 Subh Muhurat) शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण अष्टमी को अहोई का व्रत रखा जाएगा और यह तिथि 17 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 29 मिनट से शुरू होगी और 18 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर इसका समापन होगा। अहोई अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 17 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 14 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। पूजा की अवधि 01 घंटा 14 मिनट होगी।
अहोई अष्टमी पर शुभ योग मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर सुबह 12 बजकर 29 मिनट तक
विजय मुहूर्त- शाम 5 बजकर 50 मिनट से लेकर 07 बजकर 05 मिनट तक
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