शीतला माता चालीसा (Shitala Chalisa) Hindi PDF

शीतला माता चालीसा (Shitala Chalisa) in Hindi PDF download free from the direct link below.

शीतला माता चालीसा (Shitala Chalisa) - Summary

शीतला माता चालीसा (Shitala Chalisa) PDF में डाउनलोड करने के लिए आप सही जगह पर हैं। यहाँ हम आपको शीतला माता के प्रति श्रद्धा और भक्ति से भरा एक अद्भुत पाठ प्रस्तुत कर रहे हैं। हर भक्त इस चालीसा के माध्यम से माता की कृपा प्राप्त कर सकता है।

शीतला माता के अनुष्ठान

शीतला सप्तमी के एक दिन पहले मीठा भात (ओलिया), खाजा, चूरमा, मगद, नमक पारे, शक्कर पारे, बेसन चक्की, पुए, पकौड़ी, राबड़ी, बाजरे की रोटी, पूड़ी, सब्जी आदि बना लें। कुल्हड़ में मोठ, बाजरा भिगो दें। इनमें से कुछ भी पूजा से पहले नहीं खाना चाहिए।

माता जी की पूजा के लिए ऐसी रोटी बनानी चाहिए जिनमें लाल रंग के सिकाई के निशान नहीं हों। इसी दिन यानि सप्तमी के एक दिन पहले छठ को रात को सारा भोजन बनाने के बाद रसोईघर की सफाई करके पूजा करें। रोली, मौली, पुष्प, वस्त्र आदि अर्पित कर पूजा करें। इस पूजा के बाद चूल्हा नहीं जलाया जाता।

शीतला माता चालीसा – Shitala Chalisa Lyrics

चौपाई

जय जय श्री शीतला भवानी। जय जग जननि सकल गुणधानी।।

गृह गृह शक्ति तुम्हारी राजती। पूरन शरन चंद्रसा साजती।।

विस्फोटक सी जलत शरीरा। शीतल करत हरत सब पीड़ा।।

मात शीतला तव शुभनामा। सबके काहे आवही कामा।।

शोक हरी शंकरी भवानी। बाल प्राण रक्षी सुखदानी।।

सूचि बार्जनी कलश कर राजै। मस्तक तेज सूर्य सम साजै।।

चौसट योगिन संग दे दावै। पीड़ा ताल मृदंग बजावै।।

नंदिनाथ भय रो चिकरावै। सहस शेष शिर पार ना पावै।।

धन्य धन्य भात्री महारानी। सुर नर मुनी सब सुयश बधानी।।

ज्वाला रूप महाबल कारी। दैत्य एक विश्फोटक भारी।।

हर हर प्रविशत कोई दान क्षत। रोग रूप धरी बालक भक्षक।।

हाहाकार मचो जग भारी। सत्यो ना जब कोई संकट कारी।।

तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा। कर गई रिपुसही आंधीनी सूपा।।

विस्फोटक हि पकड़ी करी लीन्हो। मुसल प्रमाण बहु बिधि कीन्हो।।

बहु प्रकार बल बीनती कीन्हा। मैय्या नहीं फल कछु मैं कीन्हा।।

अब नही मातु काहू गृह जै हो। जह अपवित्र वही घर रहि हो।।

पूजन पाठ मातु जब करी है। भय आनंद सकल दुःख हरी है।।

अब भगतन शीतल भय जै हे। विस्फोटक भय घोर न सै हे।।

श्री शीतल ही बचे कल्याना। बचन सत्य भाषे भगवाना।।

कलश शीतलाका करवावै। वृजसे विधीवत पाठ करावै।।

विस्फोटक भय गृह गृह भाई। भजे तेरी सह यही उपाई।।

तुमही शीतला जगकी माता। तुमही पिता जग के सुखदाता।।

तुमही जगका अतिसुख सेवी। नमो नमामी शीतले देवी।।

नमो सूर्य करवी दुख हरणी। नमो नमो जग तारिणी धरणी।।

नमो नमो ग्रहोंके बंदिनी। दुख दारिद्रा निस निखंदिनी।।

श्री शीतला शेखला बहला। गुणकी गुणकी मातृ मंगला।।

मात शीतला तुम धनुधारी। शोभित पंचनाम असवारी।।

राघव खर बैसाख सुनंदन। कर भग दुरवा कंत निकंदन।।

सुनी रत संग शीतला माई। चाही सकल सुख दूर धुराई।।

कलका गन गंगा किछु होई। जाकर मंत्र ना औषधी कोई।।

हेत मातजी का आराधन। और नही है कोई साधन।।

निश्चित मातु शरण जो आवै। निर्भय ईप्सित सो फल पावै।।

कोढी निर्मल काया धारे। अंधा कृत नित दृष्टी विहारे।।

बंधा नारी पुत्रको पावे। जन्म दरिद्र धनी हो जावे।।

सुंदरदास नाम गुण गावत। लक्ष्य मूलको छंद बनावत।।

या दे कोई करे यदी शंका। जग दे मैंय्या काही डंका।।

कहत राम सुंदर प्रभुदासा। तट प्रयागसे पूरब पासा।।

ग्राम तिवारी पूर मम बासा। प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा।।

अब विलंब भय मोही पुकारत। मातृ कृपाकी बाट निहारत।।

बड़ा द्वार सब आस लगाई। अब सुधि लेत शीतला माई।।

यह चालीसा शीतला पाठ करे जो कोय। सपनें दुख व्यापे नही नित सब मंगल होय।।

बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल भाल भल किंतू। जग जननी का ये चरित रचित भक्ति रस बिंतू।।

॥ इतिश्री शीतला माता चालीसा समाप्त॥

श्री शीतला जी की आरती

जै शीतला माता मैया जै शीतला माता ।

दुख निवारण वाली सुख की वरदाता ।।

गर्दभ तुमरा वाहन शांत सदा रहता ।।

दुख दरिद्रता हरता कष्ट सभी सहता ।।

चामुंडा कहलाईं अद्भुत रूप धरा ।।

नग्न रूप में रहतीं जल हथ कलश भरा ।।

रोम रोम में प्रगटो विस्फोटक शक्ति ।।

निर्भय होकर रहतीं मुक्त करो हंसती ।।

जब तक तुमरा पहरा स्वच्छ रहे आन ।।

नीम की पत्ती भावे झाड़ू मन भावन ।।

तीखा रस नहीं भावे बासी स्वाद लगे ।।

कच्चे दूध की लस्सी सेवा भाव जगे ।।

ऋषि मुनि जन तुमरी महिमा गाई ।।

धन्वंतरी ने ध्याया चामुंडा माई ।।

चैत्र में मेला लगता हर मंदिर भारी ।।

सोमवार की पूजा करते नर नारी ।।

तेरे तालाब की माटी अंग लगाए जो ।।

“ओम” कभी जीवन में कष्ट ना पाए वो।।

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके (शीतला माता चालीसा) Shitala Chalisa PDF में डाउनलोड कर सकते हैं।

RELATED PDF FILES

शीतला माता चालीसा (Shitala Chalisa) Hindi PDF Download