तुलसी आरती – Tulsi Aarti - Summary
तुलसी आरती – Tulsi Aarti: समर्पित प्रेम और भक्ति
हिन्दू धर्म में माँ तुलसी का वृक्ष अत्यंत महत्वपूर्ण है। तुलसी के वृक्ष में दैवीय गुण होते हैं, जिनकी कारण व्यक्ति के स्वास्थ्य में अद्भुत परिवर्तन आता है। तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है, और लोग इसे अपने घर के आँगन, दरवाजे पर या बाग में लगाते हैं। भारतीय संस्कृति के प्राचीन ग्रंथ वेदों में भी तुलसी के गुणों एवं उपयोगिता का वर्णन मिलता है।
तुलसी के पौधे को सभी पौधों में सबसे पवित्र माना गया है। इसे स्वर्ग और पृथ्वी के बीच की दहलीज बिंदु माना जाता है। एक पारंपरिक प्रार्थना बताती है कि निर्माता-देवता ब्रह्मा इसकी शाखाओं में निवास करते हैं। सभी हिंदू तीर्थस्थल इसकी जड़ों में निवास करते हैं, और इसकी जड़ों में गंगा बहती है। सभी देवता इसके तने और पत्तियों में हैं, और यह सबसे पवित्र हिंदू ग्रंथों द्वारा भी सम्मानित है। पवित्र तुलसी की शाखाओं के ऊपरी भाग में वेद मिलते हैं। 🌿
Tulsi Aarti – तुलसी माता की आरती
जय जय तुलसी माता, सबकी सुखदाता वर माता।
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर,
रुज से रक्षा करके भव त्राता।
जय जय तुलसी माता।
बहु पुत्री है श्यामा, सूर वल्ली है ग्राम्या,
विष्णु प्रिय जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
जय जय तुलसी माता।
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित,
पतित जनों की तारिणि, तुम हो विख्याता।
जय जय तुलसी माता।
लेकर जन्म बिजन में आई दिव्य भवन में,
मानव लोक तुम्हीं से सुख सम्पत्ति पाता।
जय जय तुलसी माता।
हरि को तुम अति प्यारी श्याम वर्ण सुकुमारी,
प्रेम अजब है श्री हरि का तुम से नाता।
जय जय तुलसी माता।