Somvati Amavasya Katha Telugu PDF

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Somvati Amavasya Katha - Summary

सोमवती अमावस्या 11 अप्रैल 2021 को सुबह 06 बजकर 3 मिनट पर शुरू होगी और 12 अप्रैल की सुबह 08 बजे तक रहेगी। रेवती नक्षत्र और मातंग योग में होने वाले स्नान पूजन से समस्त कष्टों का नाश होता है। गंगा स्नान करने के बाद दान और भगवान विष्णु का पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। इस दिन अखंड सौभाग्य और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए पीपल के वृक्ष पर दीप जलाकर 108 परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते भीड़ वाली जगहों पर एक साथ कई लोगों के इकट्ठा होने पर मनाही है।

सोमवती अमावस्या पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठ के स्नान कर लें और स्वच्छ कपड़े धारण कर लें।
  • इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • पितरों के निमित्त तर्पण करें।
  • हरियाली अमावस्या के दिन नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाने की भी परंपरा है।
  • इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिये बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है।
  • पीपल के वृक्ष की पूजा करें।
  • गरीब, जरूरतमन्द व ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा करें।

सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान

सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव, पार्वती, गणेशजी और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस दिन जलाभिषेक करना भी विशेष रूप से फलदायी बताया गया है। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। अमावस्या को महिलाएं तुलसी या पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा भी करती हैं। कई जगह अमावस्या पर पितर देवताओं की पूजा और श्राद्ध करने की भी परंपरा है। सावन हरियाली और उत्साह का महीना माना जाता है। इसलिए इस महीने की अमावस्या पर प्रकृति के करीब आने के लिए पौधरोपण किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पौधारोपण से ग्रह दोष शांत होते हैं। इस तिथि पर गंगा स्नान और दान का महत्व बहुत है।

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