रघुपति राघव राजा राम - Summary
रघुपति राघव राजा राम भजन भगवान राम एक दयालु और करुणामय देवता हैं जो सभी को स्वीकार करते हैं। इस भजन की रचना प्रसिद्ध संगीतज्ञ पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर द्वारा की गई थी। गांधी ने मूल भजन को संशोधित किया, और कहा कि हिंदुओं के ईश्वर और मुसलमानों के अल्लाह एक ही हैं, ताकि गीत को अधिक धर्मनिरपेक्ष बनाया जा सके और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच मेल-मिलाप का संदेश फैलाया जा सके।
गांधी जी ने इस भजन को कई बार गाया और सुनाया। वे इसे अपने आध्यात्मिक अभ्यास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते थे। वे अक्सर इस भजन के माध्यम से भगवान राम से आशीर्वाद और मार्गदर्शन मांगते थे। गांधी जी के लिए, इस भजन का भावार्थ यह था कि भगवान राम सभी के लिए एक आशा और एक प्रेरणा हैं। वे हमें बताते हैं कि हम सभी पापियों को भी अपने जीवन में सुधार और आध्यात्मिक विकास के लिए अवसर मिल सकता है।
रघुपति राघव राजा राम – गांधी के द्वारा संस्करण
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
सीता राम सीता राम
भज प्यारे तू सीता राम
सीता राम सीता राम
भज प्यारे तू सीता राम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
रात को निंदिया दिन तो काम
कभी भजोगे प्रभु का नाम
करते रहिये अपने काम
लेते रहिये हरि का नाम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम