मकर संक्रांति व्रत कथा – Makar Sankranti Vrat Katha Hindi

❴SHARE THIS PDF❵ FacebookX (Twitter)Whatsapp
REPORT THIS PDF ⚐

मकर संक्रांति व्रत कथा – Makar Sankranti Vrat Katha Hindi

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बड़ा महत्व है। आज ही के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं।  इसलिए मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, सूर्य देव 14 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में उदया तिथि के कारण 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प व अक्षत डाल कर ह्यओम सूर्याय नम: ह्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) सूर्य की गति के अनुसार मनाया जाता है। हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाता है। जब पौष मास में सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। उस समय को संक्रांति कहते हैं. वैसे तो हर महीने में सूर्य 12 राशियों में से एक के बाद दूसरे में प्रवेश करता रहता है। मकर संक्रांति को देव पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

मकर संक्रांति कथा – Makar Sankranti Vrat Katha

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा सगर अपने परोपकार और पुण्य कर्मों से तीन लोकों में प्रसिद्ध हो गए थे। चारों ओर उनका ही गुणगान हो रहा था। इस बात से देवताओं के राजा इंद्र को चिंता होने लगी कि कहीं राजा सगर स्वर्ग के राजा न बन जाएं। इसी दौरान राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। इंद्र देव ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के पास बांध दिया।

अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा चोरी होने की सूचना पर राजा सगर ने अपने सभी 60 हजार पुत्रों को उसकी खोज में लगा दिया। वे सभी पुत्र घोड़े को खोजते हुए कपिल मुनि के आश्रम तक पहुंच गए। वहां पर उन्होंने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा देखा। इस पर उन लोगों ने कपिल मुनि पर घोड़ा चोरी करने का आरोप लगा दिया। इससे क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के सभी 60 हजार पुत्रों को श्राप से जलाकर भस्म कर दिया।

यह जानकर राजा सगर भागते हुए कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे और उनको पुत्रों को क्षमा दान देने का निवेदन किया। तब कपिल मुनि ने कहा कि सभी पुत्रों के मोक्ष के लिए एक ही मार्ग है, तुम मोक्षदायिनी गंगा को पृथ्वी पर लाओ। राजा सगर के पोते राजकुमार अंशुमान ने कपिल मुनि के सुझाव पर प्रण लिया कि जब तक मां गंगा को पृथ्वी पर नहीं लाते, तब तक उनके वंश का कोई राजा चैन से नहीं बैठेगा। वे तपस्या करने लगे। राजा अंशुमान की मृत्यु के बाद राजा भागीरथ ने कठिन तप से मां गंगा को प्रसन्न किया।

मां गंगा का वेग इतना तेज था कि वे पृथ्वी पर उतरतीं तो, सर्वनाश हो जाता। तब राजा भगीरथ ने भगवान शिव को अपने तप से प्रसन्न किया ताकि वे अपनी जटाओं से होकर मां गंगा को पृथ्वी पर उतरने दें, जिससे गंगा का वेग कम हो सके। भगवान शिव का आशीर्वाद पाकर राजा भगीरथ धन्य हुए। मां गंगा को अपनी जटाओं में रखकर भगवान शिव गंगाधर बने।

मां गंगा पृथ्वी पर उतरीं और आगे राजा भगीरथ और पीछे-पीछे मां गंगा पृथ्वी पर बहने लगी। राजा भगीरथ मां गंगा को कपिल मुनि के आश्रम तक लेकर आए, जहां पर मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया। जिस दिन मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष दिया, उस दिन मकर संक्रांति थी। वहां से मां गंगा आगे जाकर सागर में मिल गईं। जहां वे मिलती हैं, वह जगह गंगा सागर के नाम से प्रसिद्ध है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति को गंगासागर या गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सात जन्मों के भी पाप मिट जाते हैं.

मकर संक्रांति पूजा विधि – Makar Sankranti Puja Vidhi

  • मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य देव की पूजन का विशेष महत्व होता है।
  • मकर संक्रांति के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान के जल में तिल मिलाकर स्नान करें।
  • तत्पश्चात लाल वस्त्र धरण करें तथा दाहिने हाथ में जल लेकर पूरे दिन बिना नमक खाए व्रत करने का संकल्प ग्रहण करें।
  • प्रातः सूर्य देव को तांबे के लोटे में शुद्ध जल, तिल, लाल चंदन, लाल पुष, अक्षत, गुड़ इत्यादि डालकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
  • सूर्यदेव को जल अर्पित करते हुए नीचे एक तांबे का पात्र रख लें जिसमे सारा जल एकत्रित कर लें।
  • तांबे के बर्तन में इकट्ठा किया जल मदार के पौधे में डाल दें।
  • जल चढ़ाते हुए निम्नलिखित मंत्र बोलें –

ऊं घृणि सूर्यआदित्याय नम:

  • इसके बाद निम्नलिखित मंत्रों के माध्यम से सूर्य देव की स्तुति करें और सूर्य देवता को नमस्कार करें –
कर्मांक मंत्र
१. ऊं सूर्याय नम:।
२. ऊं आदित्याय नम:।
३. ऊं सप्तार्चिषे नम:।
४. ऊं सवित्रे नम:।
५. ऊं मार्तण्डाय नम:।
६. ऊं विष्णवे नम:।
७. ऊं भास्कराय नम:।
८. ऊं भानवे नम:।
९. ऊं मरिचये नम:।
  • आप मकर संक्रांति के दिन श्रीनारायण कवच, आदित्य हृदय स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं इससे आपको विशेष शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
  • भगवान सूर्य का पूजन सम्पन्न होने के पश्चात तिल, उड़द दाल, चावल, गुड़, सब्जी कुछ धन – दक्षिणा एवं यथाशक्ति वस्त्र इत्यादि किसी ब्राह्मण को दान करें।
  • इस दिन भगवान को तिल और खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए और ब्राह्मण को भोजन करवाना चाहिए।

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके मकर संक्रांति व्रत कथा | Makar Sankranti Vrat Katha PDF में डाउनलोड कर सकते हैं। 

मकर संक्रांति व्रत कथा – Makar Sankranti Vrat Katha PDF Free Download

REPORT THISIf the purchase / download link of मकर संक्रांति व्रत कथा – Makar Sankranti Vrat Katha PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If this is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

SIMILAR PDF FILES