काश ये बातें पता होती 20 की उम्र में (Kash Ye Bate Pata Hoti 20 Ki Umr Me) Hindi

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Kash Ye Bate Pata Hoti 20 Ki Umr Me - काश ये बातें पता होती 20 की उम्र में Hindi

20 बातें जो आपको पता होनी चाहिए जब आप 20 साल के होते हैं जिससे आपकी लाइफ बदल सकती है। ये 20 बातें हर एक इंसान के लिए बहुत ही जरुरी और लाभदायक हैं।

ये 20 बातें बताती है की आप जिंदगी/लाइफ को कैसे बेहतर बना सकते हैं और एक महान इंसान की तरह कैसे जी सकते हैं। जब आप 20 साल के होते हो तब आप दोस्तों के साथ पार्टी करते हो, पढ़ाई की चिंता नहीं करते और मम्मी पापा की बात नहीं सुनते हो, लेकिन उस समय आपको ये सब गलतियां नजर नहीं आती।

लेकिन जब धीरे-धीरे आप 30 साल के हो जाएंगे तब आपको एहसास होगा कि आपको नौकरी की जरूरत है लेकिन आपने अच्छी पढ़ाई नहीं की है तो आपको नौकरी कहां से मिलेगी।

काश ये बातें पता होती 20 की उम्र में एक ब्लॉगर द्वारा लिखी हुई हैं, नीचे दिए गए शब्द ब्लॉगर के ही है बस हिन्दी अनुवाद किया गया है।

काश ये बातें पता होती 20 की उम्र में – Kash Ye Bate Pata Hoti 20 Ki Umr Me

    1. खर्च करने पर नियंत्रण – यूँ ही पैसा उड़ा देने की आदत ने मुझे बड़े आर्थिक संकट में डाला। मैं ऐसे कपड़े खरीदता था जिनकी मुझे ज़रूरत नहीं थी। ऐसे गैजेट खरीद लेता था जिन्हें सिर्फ़ अपने पास रखना चाहता था। ऑनलाइन खरीददारी करता था क्योंकि ये बहुत आसान है। अपनी बड़ी स्पोर्ट्स यूटिलिटी वेहिकल मैंने सिर्फ़ औरतों को आकर्षित और प्रभावित करने के चक्कर में खरीद ली। मुझे अब ऐसे किसी भी चीज़ पर गर्व नहीं होता। मैंने आदतन पैसा खर्च करने के स्वभाव पर काबू पा लिया है। अब कुछ भी खरीदने से पहले मैं थोड़ा समय लगाता हूँ। मैं यह देखता हूँ कि क्या मेरे पास उसे खरीदने के लिए पैसे हैं, या मुझे उसकी वाकई ज़रूरत है या नहीं। 15 साल पहले मुझे इसका बहुत लाभ मिला होता।
    2. सक्रिय–गतिमान जीवन – जब मैं हाईस्कूल में था तब भागदौड़ और बास्केटबाल में भाग लेता था। कॉलेज पहुँचने के बाद मेरा खेलकूद धीरे-धीरे कम होने लगा। यूँ तो मैं चलते-फिरते बास्केटबाल हाईस्कूल के बाद भी खेलता रहा पर वह भी एक दिन बंद हो गया और ज़िंदगी से सारी गतिशीलता चली गयी। बच्चों के साथ बहार खेलने में ही मेरी साँस फूलने लगी। मैं मोटा होने लगा। अब मैंने बहुत दौड़भाग शुरू कर दी है पर बैठे-बैठे सालों में जमा की हुई चर्बी को हटाने में थोड़ा वक़्त लगेगा।
    3. आर्थिक नियोजन करना – मैं हमेशा से यह जानता था कि हमें अपने बजट और खर्चों पर नियंत्रण रखना चाहिए। इसके बावजूद मैंने इस मामले में हमेशा आलस किया। मुझे यह ठीक से पता भी नहीं था कि इसे कैसे करते हैं। अब मैंने इसे सीख लिया है और इसपर कायम रहता हूँ। हां, कभी-कभी मैं रास्ते से थोड़ा भटक भी जाता हूँ पर दोबारा रास्ते पर आना भी मैंने सीख लिया है। ये सब आप किसी किताब से पढ़कर नहीं सीख सकते। इसे व्यवहार से ही जाना जा सकता है। अब मैं यह उम्मीद करता हूँ कि अपने बच्चों को मैं यह सब सिखा पाऊँगा।
    4. जंकफ़ूड पेट पर भारी पड़ेगा – सिर्फ़ ठहरी हुई लाइफस्टाइल के कारण ही मैं मोटा नहीं हुआ। बाहर के तले हुए भोजन ने भी इसमें काफी योगदान दिया। हर कभी मैं बाहर पिज्जा, बर्गर, और इसी तरह की दूसरी चर्बीदार तली हुई चीज़ें खा लिया करता था। मैंने यह कभी नहीं सोचा कि इन चीज़ों से कोई समस्या हो सकती है। अपने स्वास्थ्य के बारे में तो हम तभी सोचना शुरू करते हैं जब हम कुछ प्रौढ़ होने लगते हैं। एक समय मेरी जींस बहुत टाइट होने लगी और कमर का नाप कई इंच बढ़ गया। उस दौरान पेट पर चढी चर्बी अभी भी पूरी तरह से नहीं निकली है। काश किसी ने मुझे उस समय ‘आज’ की तस्वीर दिखाई होती जब मैं जवाँ था और एक साँस में सोडे की बोतल ख़त्म कर दिया करता था।
    5. धूम्रपान सिर्फ़ बेवकूफी है – धूम्रपान की शुरुआत मैंने कुछ बड़े होने के बाद ही की। क्यों की, यह बताना ज़रूरी नहीं है लेकिन मुझे हमेशा यह लगता था कि मैं इसे जब चाहे तब छोड़ सकता हूँ। ऐसा मुझे कई सालों तक लगता रहा जब एक दिन मैंने छोड़ने की कोशिश की लेकिन छोड़ नहीं पाया। पाँच असफल कोशिशों के बाद मुझे यह लगने लगा कि मेरी लत वाकई बहुत ताकतवर थी। आखिरकार 18 नवम्बर 2005 को मैंने धूम्रपान करना पूरी तरह बंद कर दिया लेकिन इसने मेरा कितना कुछ मुझसे छीन लिया।
    6. रिटायरमेंट की तैयारी – यह बात और इससे पहले बताई गयी बातें बहुत आम प्रतीत होती हैं। आप यह न सोचें कि मुझे इस बात का पता उस समय नहीं था जब मैं 18 साल का था। मैं इसे बखूबी जानता था लेकिन मैंने इसके बारे में कभी नहीं सोचा। जब तक मैं 30 की उम्र पार नहीं कर गया तब तक मैंने रिटायर्मेंट प्लानिंग के बारे में कोई चिंता नहीं की। अब मेरा मन करता है कि उस 18 वर्षीय लियो को इस बात के लिए एक चांटा जड़ दिया जाए। खैर। अब तक तो मैं काफी पैसा जमा कर चुका होता! मैंने भी रिटायर्मेंट प्लान बनाया था लेकिन मैंने तीन बार जॉब्स बदले और अपना जमा किया पैसा यूँही उड़ा दिया।
    7. जो कुछ भी आपको कठिन लगता है वह आपके काम का होता है – यह ऐसी बात है जो ज्यादा काम की नहीं लगती। एक समय था जब मुझे काम मुश्किल लगता था। मैंने काम किया ज़रूर, लेकिन बेमन किया। अगर काम न करने की छूट होती तो मैं नहीं करता। परिश्रम ने मुझे बहुत तनाव में डाला। मैं कभी भी परिश्रम नहीं करना चाहता था। लेकिन मुझे मिलने वाला सबक यह है कि जितना भी परिश्रम मैंने अनजाने में किया उसने मुझे सदैव दूर तक लाभ पहुँचाया। आज भी मैं उन तनाव के दिनों में कठोर परिश्रम करते समय सीखे हुए हुनर और आदतों की कमाई खा रहा हूँ। उनके कारण मैं आज वह बन पाया हूँ जो मैं आज हूँ। इसके लिए मैं युवक लियो का हमेशा अहसानमंद रहूँगा।
    8. बिना जांचे–परखे कोई पुराना सामान नहीं खरीदें – मैंने एक पुरानी वैन खरीदी थी। मुझे यह लग रहा था की मैं बहुत स्मार्ट था और मैंने उसे ठीक से जांचा-परखा नहीं। उस खटारा वैन के इंजन में अपार समस्याएँ थीं। उसका एक दरवाजा तो चलते समय ही गिर गया। खींचते समय दरवाजे का हैंडल टूट गया। कांच भी कहीं टपक गया। टायर बिगड़ते गए, खिड़कियाँ जाम पडी थीं, और एक दिन रेडियेटर भी फट गया। अभी भी मैं ढेरों समस्याएँ गिना सकता हूँ। वह मेरे द्वारा ख़रीदी गयी सबसे घटिया चीज़ थी। यह तो मैं अभी भी मानता हूँ की पुरानी चीज़ों को खरीदने में समझदारी है लेकिन उन्हें देख-परख के ही खरीदना चाहिए।
    9. बेचने से पहले ही सारी बातें तय कर लेने में ही भलाई है – अपने दोस्त के दोस्त को मैंने अपनी एक कार बेची। मुझे यकीन था कि बगैर लिखा-पढी के ही वह मुझे मेरी माँगी हुई उचित कीमत अदा कर देगा। यह मेरी बेवकूफी थी। अभी भी मुझे वह आदमी कभी-कभी सड़क पर दिख जाता है लेकिन अब मुझमें इतनी ताक़त नहीं है कि मैं अपना पैसा निकलवाने के लिए उसका पीछा करूँ।
    10. कितनी भी व्यस्तता क्यों न हो, अपनाशौक पूरा करो – मैं हमेशा से ही लेखक बनना चाहता था। मैं चाहता था कि एक दिन लोग मेरी लिखी किताबें पढ़ें लेकिन मेरे पास लिखने का समय ही नहीं था। पूर्ण-कालिक नौकरी और पारिवारिक जिम्मेदारियां होने के कारण मुझे लिखने का वक़्त नहीं मिल पाता था। अब मैं यह जान गया हूँ कि वक़्त तो निकालना पड़ता है। दूसरी चीज़ों से ख़ुद को थोड़ा सा काटकर इतना समय तो निकला ही जा सकता है जिसमें हम वो कर सकें जो हमारा दिल करना चाहता है। मैंने अपनी ख्वाहिश के आड़े में बहुत सी चीज़ों को आने दिया। यह बात मैंने 15 साल पहले जान ली होती तो आजतक मैं 15 किताबें लिख चुका होता। सारी किताबें तो शानदार नहीं होतीं लेकिन कुछेक तो होतीं!
    11. जिसकी खातिर इतना तनाव उठा रहे हैं वो बात हमेशा नहीं रहेगी – जब हमारा बुरा वक़्त चल रहा होता है तब हमें पूरी दुनिया बुरी लगती है। मुझे समयसीमा में काम करने होते थे, कई प्रोजेक्ट एक साथ चल रहे थे, लोग मेरे सर पर सवार रहते थे और मेरे तनाव का स्तर खतरे के निशान के पार जा चुका था। मुझे मेहनत करने का कोई पछतावा नहीं है (जैसा मैंने ऊपर कहा) लेकिन यदि मुझे इस बात का पता होता कि इतनी जद्दोजहद और माथापच्ची 15 साल तो क्या अगले 5 साल बाद बेमानी हो जायेगी तो मैं अपने को उसमें नहीं खपाता। परिप्रेक्ष्य हमें बहुत कुछ सिखा देता है।
    12. काम के दौरान बनने वाले दोस्त काम से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं – मैंने कई जगहों में काम किया और बहुत सारी चीज़ें खरीदीं और इसी प्रक्रिया में बहुत सारे दोस्त भी बनाये। काश मैं यहाँ-वहां की बातों में समय लगाने के बजाय अपने दोस्तों और परिजनों के साथ बेहतर वक़्त गुज़र पाता!
    13. टीवी देखना समय की बहुत बड़ी बर्बादी है – मुझे लगता है कि साल भर में हम कई महीने टी वी देख चुके होते हैं। रियालिटी टी वी देखने में क्या तुक है जब रियालिटी हाथ से फिसली जा रही हो? खोया हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता – इसे टी वी देखने में बरबाद न करें।
    14. बच्चे समय से पहले बड़े हो जायेंगे – समय नष्ट न करें – बच्चे देखते-देखते बड़े हो जाते हैं। मेरी बड़ी बेटी क्लो कुछ ही दिनों में 15 साल की हो जायेगी। तीन साल बाद वह वयस्क हो जायेगी और फ़िर मुझसे दूर चली जायेगी। तीन साल! ऐसा लगता है कि यह वक़्त तो पलक झपकते गुज़र जाएगा। मेरा मन करता हूँ कि 15 साल पहले जाकर ख़ुद को झिड़क दूँ – दफ्तर में रात-दिन लगे रहना छोडो! टी वी देखना छोडो! अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करो! – पिछले 15 साल कितनी तेजी से गुज़र गए, पता ही न चला।
    15. दुनिया के दर्द बिसराकर अपनी खुशी परध्यान दो – मेरे काम में और निजी ज़िंदगी में मेरे साथ ऐसा कई बार हुआ जब मुझे लगने लगा कि मेरी दुनिया बस ख़त्म हो गयी। जब समस्याएँ सर पे सवार हो जाती थीं तो अच्छा खासा तमाशा बन जाता था। इस सबके कारण मैं कई बार अवसाद का शिकार हुआ। वह बहुत बुरा वक़्त था। सच तो यह था कि हर समस्या मेरे भीतर थी और मैं सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर खुश रह सकता था। मैं यह सोचकर खुश हो सकता था कि मेरे पास कितना कुछ है जो औरों के पास नहीं है। अपने सारे दुःख-दर्द मैं ताक पर रख सकता था।
    16. ब्लॉग्स केवल निजी पसंद – नापसंद कारोजनामचा नहीं हैं – पहली बार मैंने ब्लॉग्स 7-8 साल पहले पढ़े। पहली नज़र में मुझे उनमें कुछ ख़ास रूचि का नहीं लगा – बस कुछ लोगों के निजी विचार और उनकी पसंद-नापसंद! उनको पढ़के मुझे भला क्या मिलता!? मुझे अपनी बातों को दुनिया के साथ बांटकर क्या मिलेगा? मैं इन्टरनेट पर बहुत समय बिताता था और एक वेबसाईट से दूसरी वेबसाईट पर जाता रहता था लेकिन ब्लॉग्स से हमेशा कन्नी काट जाता था। पिछले 3-4 सालों के भीतर ही मुझे लगने लगा कि ब्लॉग्स बेहतर पढने-लिखने और लोगों तक अपनी बात पहुंचाने और जानकारी बांटने का बेहतरीन माध्यम हैं। 7-8 साल पहले ही यदि मैंने ब्लॉगिंग शुरू कर दी होती तो अब तक मैं काफी लाभ उठा चुका होता।
    17. याददाश्त बहुत धोखा देती है  – मेरी याददाश्त बहुत कमज़ोर है। मैं न सिर्फ़ हाल की बल्कि पुरानी बातें भी भूल जाता हूँ। अपने बच्चों से जुडी बहुत सारी बातें मुझे याद नहीं हैं क्योंकि मैंने उन्हें कहीं लिखकर नहीं रखा। मुझे ख़ुद से जुडी बहुत सारी बातें याद नहीं रहतीं। ऐसा लगता है जैसे स्मृतिपटल पर एक गहरी धुंध सी छाई हुई है। यदि मैंने ज़रूरी बातों को नोट कर लेने की आदत डाली होती तो मुझे इसका बहुत लाभ मिलता।
    18. शराब बुरी चीज़ है – मैं इसके विस्तार में नहीं जाऊँगा। बस इतना कहना ही काफी होगा कि मुझे कई बुरे अनुभव हुए हैं। शराब और ऐसी ही कई दूसरी चीज़ों ने मुझे बस एक बात का ज्ञान करवाया है – शराब सिर्फ़ शैतान के काम की चीज़ है।
    19. आप मैराथन दौड़ने का निश्चय कभी भी कर सकते हैं – इसे अपना लक्ष्य बना लीजिये – यह बहुत बड़ा पारितोषक है। स्कूल के समय से ही मैं मैराथन दौड़ना चाहता था। यह एक बहुत बड़ा सपना था जिसे साकार करने में मैंने सालों लगा दिए। मैराथन दौड़ने पर मुझे पता चला कि यह न सिर्फ़ सम्भव था बल्कि बहुत बड़ा पारितोषक भी था। काश मैंने दौड़ने की ट्रेनिंग उस समय शुरू कर दी होती जब मैं हल्का और तंदरुस्त था, मैं तब इसे काफी कम समय में पूरा कर लेता!
    20. इतना पढने के बाद भी मेरी गलतियाँ दुहराएंगे तो पछतायेंगे – 18 वर्षीय लियो ने इस पोस्ट को पढ़के यही कहा होता – “अच्छी सलाह है।” और इसके बाद वह न चाहते हुए भी वही गलतियाँ दुहराता। मैं बुरा लड़का नहीं था लेकिन मैंने किसी की सलाह कभी नहीं मानी। मैं गलतियाँ करता गया और अपने मुताबिक ज़िंदगी जीता गया। मुझे इसका अफ़सोस नहीं है। मेरा हर अनुभव (शराब का भी) मुझे मेरी ज़िंदगी की उस राह पर ले आया है जिसपर आज मैं चल रहा हूँ। मुझे अपनी ज़िंदगी से प्यार है और मैं इसे किसी के भी साथ हरगिज नहीं बदलूँगा। दर्द, तनाव, तमाशा, मेहनत, परेशानियाँ, अवसाद, हैंगओवर, क़र्ज़, मोटापा – सलाह न मानने के इन नतीजों का पात्र था मैं।

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