हनुमान चालीसा (गीता-प्रेस) पुस्तक – Hanuman Chalisa Gita Press Gorakhpur - Summary
हनुमान चालीसा गीता प्रेस गोरखपुर – Hanuman Chalisa Gita Press Gorakhpur
हनुमान चालीसा गीता प्रेस गोरखपुर की पुस्तक PDF में आपको श्री-हनुमान-चालीसा, संकट-मोचन-हनुमानष्टक, हनुमात-स्तवन, आरती के बाद हनुमानजी के भजन के साथ-साथ श्रीराम की स्तुति में भजन भी मिलेंगे। यह सभी भजन भगवान श्री राम (रामावतार) और शिव पंचाक्षर-स्तोत्र (शिव के नाम के पांच पवित्र अक्षरों के भजन) से जुड़े हुए हैं। यह किताब सरल हिंदी में लिखी गई है, और इसकी बुक बाइंडिंग पेपरबैक है, जिससे आप इसे आसानी से अपनी जेब में रख सकते हैं।
भगवान बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए, हमें हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से हम अपने सभी दुखों और कष्टों को दूर कर सकते हैं। आपने सुना होगा कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से भूत, प्रेत, और बुरी आत्माएं दूर भागती हैं। इसलिए, जो लोग भूतों या काले जादू से प्रभावित होते हैं, उन्हें हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए।
हनुमान चालीसा पाठ कैसे पढ़ें
- हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए सही विधि का पालन करना बहुत जरूरी है। इससे जल्दी परिणाम मिलते हैं।
- मंगलवार के दिन सुबह उठकर हनुमान चालीसा का पाठ करना सबसे अच्छा होता है। इसे हनुमान जी की तस्वीर या प्रतिमा के सामने करना चाहिए।
- मंगलवार को हनुमान चालीसा को एक से तीन बार पढ़ने से शुभफल मिलता है।
- पाठ शुरू करने से पहले अपने सामने जल रखें, और चालीसा खत्म होने पर उस जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से हर मनोकामना पूरी होती है और आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
- धार्मिक मान्यता है कि नियमित पाठ से व्यक्ति निडर और साहसी बनता है।
- दैनिक पाठ से मन के सभी डर समाप्त हो जाते हैं।
- कहा जाता है कि जो नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, उनकी आत्मा को परमधाम में स्थान मिलता है।
- विद्यार्थियों के लिए, हनुमान चालीसा का पाठ करना सफलता और बुद्धिमत्ता लाता है।
हनुमान चालीसा आरती सहित
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके।
अंजनि पुत्र महाबलदायी।
संतन के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे।
सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे।
अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे।
जय जय जय हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई।
जो हनुमानजी की आरती गावै।
बसी बैकुंठ परमपद पावै।
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