एकादशी व्रत कथाएं बुक – Ekadashi Vrat Kathayen Book - Summary
एकादशी (“ग्यारहवीं”), जिसे आकादशी भी कहा जाता है, दो चंद्र चरणों में से प्रत्येक का ग्यारहवां चंद्र दिवस (तिथि) है जो एक वैदिक कैलेंडर माह में होता है ।
शुक्ल पक्ष (चमकते चंद्रमा की अवधि भी जाना जाता है) वैक्सिंग चरण के रूप में) और कृष्ण पक्ष (लुप्त होते चंद्रमा की अवधि जिसे घटते चरण के रूप में भी जाना जाता है)
यह [स्पष्टीकरण की आवश्यकता] आयुर्वेद के वैदिक चिकित्सा ग्रंथों के अनुसार है और कई मूल ग्रंथों में इसका विस्तार से उल्लेख किया गया है।
एकादशी व्रत विधि
नारदपुराण के अनुसार एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होता है। जिस तरह चतुर्थी को गणेश जी, त्रयोदशी को शिवजी, पंचमी को लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है उसी प्रकार एकादशी तिथि को भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा की जाती है।
एकादशी व्रत के लिए दशमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए तथा रात को पूजा स्थल के समीप सोना चाहिए। अगले दिन उठाकर (एकादशी) प्रात: स्नान के बाद व्यक्ति को पुष्प, धूप आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:
एकादशी निराहारः स्थित्वाद्यधाहं परेङहन।
भोक्ष्यामि पुण्डरीकाक्ष शरणं में भवाच्युत।।
पूरे दिन व्रत रखने के बाद रात को भगवान विष्णु की श्रद्धाभाव से आराधना करनी चाहिए। इसके बाद द्वादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर भगवान विष्णु को भोग लगाकर पंडित को भोजन करने को बाद स्वयं अन्न ग्रहण करना चाहिए।
एकादशी व्रत कथाएं बुक विषय सूची – Ekadashi Vrat Kathayen Book
- एकादशी व्रत विधि
- व्रत खोलने की विधि
- उत्पत्ति एकादशी
- मोक्षदा एकादशी.
- सफला एकादशी
- पुत्रदा एकादशी
- षटतिला एकादशी.
- जया एकादशी.
- विजया एकादशी.
- आमलकी एकादशी
- पापमोचनी एकादशी
- कामदा एकादशी
- वरुथिनी एकादशी
- मोहिनी एकादशी
- अपरा एकादशी
- निर्जला एकादशी.
- योगिनी एकादशी
- शयनी एकादशी
- कामिका एकादशी
- पुत्रदा एकादशी
- अजा एकादशी
- पधा एकादशी इन्दिरा एकादशी
- पापांकुशा एकादशी.
- रमा एकादशी
- प्रबोधिनी एकादशी
- परमा एकादशी
- पद्मिनी एकादशी
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