देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा (Dev Prabodhini Ekadashi Katha) Hindi PDF

देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा (Dev Prabodhini Ekadashi Katha) in Hindi PDF download free from the direct link below.

देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा (Dev Prabodhini Ekadashi Katha) - Summary

Dev Prabodhini Ekadashi also known as Devotthan Ekadashi, Devutthi ekadashi, Utthana, Deothan, Kartik Shukla ekadashi is the 11th lunar day in the bright fortnight of the Hindu month of Kartik. It marks the end of the four-month period of Chaturmas, when god Vishnu is believed to sleep.

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं में देव प्रबोधिनी एकादशी का अत्यधिक महत्व है। इस दिन किये गए दान – पुण्य का फल व्यक्ति को कई गुना अधिक होकर प्राप्त होता है। देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन माता तुलसी के पूजन का भी विशेष महत्व है। यदि आप भी अपने जीवन में भगवान् श्री हरी विष्णु जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं , तो प्रबोधिनी एकादशी का व्रत अवश्य करें।

देव प्रबोधिनी एकादशी की व्रत कथा – Dev Prabodhini Ekadashi Vrat Katha

एक राजा के राज्य में सभी लोग एकादशी का व्रत रखते थे। प्रजा तथा नौकर-चाकरों से लेकर पशुओं तक को एकादशी के दिन अन्न नहीं दिया जाता था। एक दिन किसी दूसरे राज्य का एक व्यक्ति राजा के पास आकर बोला- महाराज! कृपा करके मुझे नौकरी पर रख लें। तब राजा ने उसके सामने एक शर्त रखी कि ठीक है, रख लेते हैं। किन्तु रोज तो तुम्हें खाने को सब कुछ मिलेगा, पर एकादशी को अन्न नहीं मिलेगा।

उस व्यक्ति ने उस समय ‘हाँ’ कर ली, पर एकादशी के दिन जब उसे फलाहार का सामान दिया गया तो वह राजा के सामने जाकर गिड़गिड़ाने लगा- महाराज! इससे मेरा पेट नहीं भरेगा। मैं भूखा ही मर जाऊँगा। मुझे अन्न दे दो। राजा ने उसे शर्त की बात याद दिलाई, पर वह अन्न छोड़ने को राजी नहीं हुआ, तब राजा ने उसे आटा-दाल-चावल आदि दिए। वह नित्य की तरह नदी पर पहुँचा और स्नान कर भोजन पकाने लगा। जब भोजन बन गया तो वह भगवान को बुलाने लगा- आओ भगवान! भोजन तैयार है।

पंद्रह दिन बाद अगली एकादशी को वह राजा से कहने लगा कि महाराज, मुझे दुगुना सामान दीजिए। उस दिन तो मैं भूखा ही रह गया। राजा ने कारण पूछा तो उसने बताया कि हमारे साथ भगवान भी खाते हैं। इसीलिए हम दोनों के लिए ये सामान पूरा नहीं होता। बुलाने पर पीताम्बर धारण किए भगवान चतुर्भुज रूप में आ पहुँचे तथा प्रेम से उसके साथ भोजन करने लगे। भोजनादि करके भगवान अंतर्धान हो गए तथा वह अपने काम पर चला गया।

पंद्रह दिन बाद अगली एकादशी को वह राजा से कहने लगा कि महाराज, मुझे दुगुना सामान दीजिए। उस दिन तो मैं भूखा ही रह गया। राजा ने कारण पूछा तो उसने बताया कि हमारे साथ भगवान भी खाते हैं। इसीलिए हम दोनों के लिए ये सामान पूरा नहीं होता। यह सुनकर राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। वह बोला- मैं नहीं मान सकता कि भगवान तुम्हारे साथ खाते हैं। मैं तो इतना व्रत रखता हूँ, पूजा करता हूँ, पर भगवान ने मुझे कभी दर्शन नहीं दिए।

राजा की बात सुनकर वह बोला- महाराज! यदि विश्वास न हो तो साथ चलकर देख लें। राजा एक पेड़ के पीछे छिपकर बैठ गया। उस व्यक्ति ने भोजन बनाया तथा भगवान को शाम तक पुकारता रहा, परंतु भगवान न आए। अंत में उसने कहा- हे भगवान! यदि आप नहीं आए तो मैं नदी में कूदकर प्राण त्याग दूँगा। लेकिन भगवान नहीं आए, तब वह प्राण त्यागने के उद्देश्य से नदी की तरफ बढ़ा। प्राण त्यागने का उसका दृढ़ इरादा जान शीघ्र ही भगवान ने प्रकट होकर उसे रोक लिया और साथ बैठकर भोजन करने लगे। खा-पीकर वे उसे अपने विमान में बिठाकर अपने धाम ले गए। यह देख राजा ने सोचा कि व्रत-उपवास से तब तक कोई फायदा नहीं होता, जब तक मन शुद्ध न हो। इससे राजा को ज्ञान मिला। वह भी मन से व्रत-उपवास करने लगा और अंत में स्वर्ग को प्राप्त हुआ।
इति शुभम्।

देव प्रबोधिनी एकादशी पूजन विधि – Dev Prabodhini Ekadashi Puja Vidhi in Hindi

  • तुलसी के पौधे के चारों तरफ स्तंभ बनाएं।
  • फिर उस पर तोरण सजाएं।
  • रंगोली से अष्टदल कमल बनाएं।
  • शंख,चक्र और गाय के पैर बनाएं।
  • तुलसी के साथ आंवले का गमला लगाएं।
  • तुलसी का पंचोपचार सर्वांग पूजा करें।
  • दशाक्षरी मंत्र से तुलसी का आवाहन करें।
  • तुलसी का दशाक्षरी मंत्र-श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा।
  • घी का दीप और धूप दिखाएं।
  • सिंदूर,रोली,चंदन और नैवेद्य चढ़ाएं।
  • तुलसी को वस्त्र अंलकार से सुशोभित करें।
  • फिर लक्ष्मी अष्टोत्र या दामोदर अष्टोत्र पढ़ें।
  • तुलसी के चारों ओर दीपदान करें।
  • एकादशी के दिन श्रीहरि को तुलसी चढ़ाने का फल दस हज़ार गोदान के बराबर है।
  • जिन दंपत्तियों के यहां संतान न हो वो तुलसी नामाष्टक पढ़ें
  • तुलसी नामाष्टक के पाठ से न सिर्फ शीघ्र विवाह होता है बल्कि बिछुड़े संबंधी भी करीब आते हैं।
  • नए घर में तुलसी का पौधा, श्रीहरि नारायण का चित्र या प्रतिमा और जल भरा कलश लेकर प्रवेश करने से नए घर में संपत्ति की कमी नहीं होती।
  • नौकरी पाने, कारोबार बढ़ाने के लिये गुरुवार को श्यामा तुलसी का पौधा पीले कपड़े में बांधकर, ऑफिस या दुकान में रखें। ऐसा करने से कारोबार बढ़ेगा और नौकरी में प्रमोशन होगा।
  • 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।

तुलसी पूजा मंत्र (Tulsi Puja Mantra)

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः ।
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये ।।

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे।
विष्णु प्रियायै धीमहि।
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

Dev Prabodhini Ekadashi Vrat Katha contains व्रत करने की विधि, Download Dev Prabodhini Ekadashi Vrat Katha in hindi pdf format or read online for free using link provided below.

RELATED PDF FILES

देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा (Dev Prabodhini Ekadashi Katha) Hindi PDF Download