आधुनिक कृषि के प्रभाव - Summary
आधुनिक कृषि के प्रभाव आजकल चारों ओर देखे जा रहे हैं। भारत कृषि प्रधान देश है, और यहां कृषि बहुत महत्वपूर्ण है। आधुनिक कृषि से जुड़ी जलवायु और वर्षा का किसानों के जीवन पर बहुत असर पड़ता है। अक्सर, जब किसानों को वर्षा की जरूरत होती है, तब बारिश नहीं होती, और जब आवश्यकता नहीं होती, तब बारिश होती है। इससे फसलों पर बुरा असर पड़ता है।
कृषि एक नवप्रवर्तन शैली है जिसमें पारंपरिक और आधुनिक ज्ञान को मिलाया जाता है। इसमें आधुनिक उपकरणों का उपयोग, विस्तार से खेत की तैयारी, सही खेत का चुनाव, खरपतवार नियंत्रण, पौधों की देखभाल, फसल प्रबंधन और कटाई आदि महत्वपूर्ण पहलुओं का ध्यान रखा जाता है। इस तरह की आधुनिक कृषि में संसाधनों का अच्छा उपयोग होता है, जिससे किसानों की दक्षता और उत्पादकता बढ़ती है।
आधुनिक कृषि के प्रभाव
- भू-क्षरण: भूमि के कणों का स्थान परिवर्तन भू-क्षरण या मृदा अपरदन कहलाता है। आधुनिक कृषि में अत्यधिक जल आपूर्ति के कारण उपजाऊ मिट्टी का निष्कासन होता है। इससे मिट्टी के पोषक तत्व कम हो जाते हैं, और मिट्टी की उर्वरता कम होने से उत्पादकता प्रभावित होती है।
- भूमि-जल का प्रदूषण: भूमि-जल, सिंचाई का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। आधुनिक कृषि में अत्यधिक नाइट्रोजन उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी में नाइट्रेट बढ़ जाता है, जो भूमि-जल को दूषित करता है।
- जल-जमाव और लवणता: कृषि में जल निकासी का सही प्रबंधन जरूरी है। लेकिन किसान फसल की उत्पादकता बढ़ाने के चक्कर में अत्यधिक जल आपूर्ति करने लगते हैं, जिससे जल-जमाव और मिट्टी की लवणता बढ़ती है, जिससे उत्पादकता कम हो जाती है।
- सुपोषण: जब किसी जलाशय या जल स्रोत में कृत्रिम या प्राकृतिक पदार्थों जैसे नाइट्रेट्स और फॉस्फेट्स की अधिकता होती है, तो इसे सुपोषण (Eutrophication) कहा जाता है।
- कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग: आधुनिक कृषि में फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए कई तरह के कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है। पहले कीटों को मारने के लिए आर्सेनिक, सल्फर, सीसा, और पारा का प्रयोग होता था।
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