अक्षय तृतीया व्रत कथा – Akshaya Tritiya Vrat Katha Hindi PDF

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अक्षय तृतीया व्रत कथा – Akshaya Tritiya Vrat Katha - Summary

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के रूप में मनाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस तिथि को साल की सबसे अबूझ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। इसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए सभी कार्यों का शुभ फल मिलता है। इसलिए इस दिन मांगलिक कार्य, शुभ काम अच्छा माना जाता है। इस साल अक्षय तृतीया के दिन ग्रहों का अच्छा संयोग बन रहा है। इस दिन सोने-चांदी आदि की खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। इतना ही नहीं धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, आखा तीज के दिन स्नान दान करने का भी महत्व है।

अक्षय तृतीया, जिसे अकती या आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, मांडा एक वार्षिक हिंदू और जैन वसंत त्योहार है। यह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है। इस दिन किसी भी नए काम को करने के लिए किसी भी पंचांग को देखने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है। अक्षय तृतीया का पूरा दिन शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम हो। हिंदू पंचांग के मुताबिक अक्षय तृतीया व्रत कल यानी 3 मई को रखा जाएगा। मान्यता है कि अक्षय तीज के दिन मां लक्ष्मी अपने सभी भक्तों पर मेहरबान रहती हैं।

अक्षय तृतीया व्रत कथा – Akshaya Tritiya Vrat Katha in Hindi

प्राचीन काल में सदाचारी तथा देव-ब्राह्मणों में श्रद्धा रखने वाला धर्मदास नामक एक वैश्य था। उसका परिवार बहुत बड़ा था। इसलिए वह सदैव व्याकुल रहता था। उसने किसी से इस व्रत के माहात्म्य को सुना। कालांतर में जब यह पर्व आया तो उसने गंगा स्नान किया।

विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की। गोले के लड्डू, पंखा, जल से भरे घड़े, जौ, गेहूं, नमक, सत्तू, दही, चावल, गुड़, सोना तथा वस्त्र आदि दिव्य वस्तुएं ब्राह्मणों को दान की। स्त्री के बार-बार मना करने, कुटुम्बजनों से चिंतित रहने तथा बुढ़ापे के कारण अनेक रोगों से पीड़ित होने पर भी वह अपने धर्म-कर्म और दान-पुण्य से विमुख न हुआ। यही वैश्य दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना। अक्षय तृतीया के दान के प्रभाव से ही वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। वैभव संपन्न होने पर भी उसकी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं हुई। अक्षय तृतीया के दिन इस कथा के श्रवण से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

अक्षय तृतीया की पूजा विधि – Akshaya Tritiya Puja Vidhi

  • अक्षय तृतीया पर सुबह स्नान आदि करने के बाद घर के किसी साफ स्थान पर देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
  • देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का अभिषेक करने के लिए दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध लें।
  • आप इस दूध में केसर भी डाल सकते हैं। अभिषेक करने के बाद जल से प्रतिमा को स्नान कराएं फिर गुलाल, चावल, कुमकुम, अबीर आदि चीजें देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को चढ़ाएं।
  • मौसमी फल के साथ फूल और हार अर्पित करें और खीर का भोग लगाएं।
  • इसके बाद 11 बार माला का जाप करते हुए देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। पूजा के बाद भक्तों को प्रसाद बांटे और दान-पुण्य करें।

अक्षय तृतीया पर शुभ मुहूर्त और शुभ योग – Akshaya Tritiya Shubh Muhurat

इस वर्ष अक्षय तृतीया 3 मई सुबह 5:19 से शुरू होने वाला है जो 4 मई को सुबह 7:33 पर समाप्त होगा। इस दिन केदार, शुभ कर्तरी, उभयचरी, विमल और सुमुख नाम के पांच राजयोग बन रहे हैं। इसके साथ इस दिन शोभन और मातंग नाम के दो अन्य शुभ योग भी बनने वाले हैं।

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