शीतला माता आरती – Shitala Mata Aarti - Summary
शीतला माता आरती – Shitala Mata Aarti
हिन्दू वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शीतला माता आरती का महत्व शीतला अष्टमी के पर्व में निहित है, जिसे चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व होली के 18वें दिन आता है। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला अष्टमी को भारत के कई क्षेत्रों में स्थानीय भाषा में बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन शीतला माता को बासी खाना परोसा जाता है और लोग भी बासी खाना खाते हैं। उत्तर भारत में इस पर्व का विशेष महत्व है।
शीतला माता के साथ धार्मिक अनुशासन
Shital Mata Religious Discipline
गुजरात में शीतला अष्टमी एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह उत्सव देवी शीतला माता को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि देवी शीतला अपने भक्तों और उनके परिवारों को खसरा व चेचक जैसे कठिन रोगों से सुरक्षा प्रदान करती हैं। इसलिए, आपको भी देवी शीतला की आरती का गायन अवश्य करना चाहिए ताकि आप और आपका परिवार असाध्य रोगों से मुक्त रह सके। यदि आप श्री शीतला माता आरती PDF हिंदी में डाउनलोड करना चाहते हैं, तो नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करें।
शीतला माता की आरती लिरिक्स – Shitala Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi :
॥ श्री शीतला माता की आरती ॥
जय शीतला माता,मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता॥
ॐ जय शीतला माता…。
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भाता।
ऋद्धि-सिद्धि चँवर डोलावें, जगमग छवि छाता॥
ॐ जय शीतला माता…。
विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता।
वेद पुराण वरणत पार नहीं पाता॥
ॐ जय शीतला माता…。
इन्द्र मृदङ्ग बजावत, चन्द्र वीणा हाथा।
सूरज ताल बजावै, नारद मुनि गाता॥
ॐ जय शीतला माता…。
घण्टा शङ्ख शहनाई, बाजै मन भाता।
करै भक्त जन आरती, लखि लखि हर्षाता॥
ॐ जय शीतला माता…。
ब्रह्म रूप वरदानी, तुही तीन काल ज्ञाता।
भक्तन को सुख देती, मातु पिता भ्राता॥
ॐ जय शीतला माता…。
जो जन ध्यान लगावे, प्रेम शक्ति पाता।
सकल मनोरथ पावे, भवनिधि तर जाता॥
ॐ जय शीतला माता…。
रोगों से जो पीड़ित कोई, शरण तेरी आता।
कोढ़ी पावे निर्मल काया, अन्ध नेत्र पाता॥
ॐ जय शीतला माता…。
बांझ पुत्र को पावेदारिद्र कट जाता।
ताको भजै जो नाहिं, सिर धुनि पछताता॥
ॐ जय शीतला माता…。
शीतल करती जन की, तू ही है जग त्राता।
उत्पत्ति बाला बिनाशन, तू सब की माता॥
ॐ जय शीतला माता…。
दास नारायण कर जोरी माता।
भक्ति आपनी दीजै और न कुछ माता॥
ॐ जय शीतला माता…。
श्री शीतला माता पूजन विधि – Shitala Mata Puja Vidhi in Hindi :
- सर्वप्रथम प्रातः स्नान आदि करके स्वच्छ हो जाएँ।
- शीतला माता के पूजन हेतु सदैव शीतल जल से ही स्नान करना चाहिए।
- शीतला सप्तमी के पूजन के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। इसलिए एक दिन पूर्व ही प्रसाद आदि के लिए भोजन की व्यवस्था करें।
- देवी शीतला माता व्रत की कथा सुने।
- शीतला माता के मंदिर में धूप, दीप और नारियल से पूजा करें।
- तत्पश्चात शीतला माता आरती का गायन करें व आशीर्वाद ग्रहण करें।
शीतला माता की उत्पत्ति कैसे हुई ?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता शीतला जी की उत्पत्ति भगवान् ब्रह्मा जी से हुई थी। ब्रह्मा जी ने माता देवी शीतला को पृथ्वी लोक पर जनकल्याण हेतु भेजा था। देवलोक से पृथ्वी लोक पर आने से पूर्व शीतला माता ने शिव जी के पसीने से प्रकट हुए ज्वारासुर को भी साथ लाने का प्रयास किया और उसे भी पृथ्वीलोक पर ले आयीं। देवी जी अपने साथ कुछ दाल के दाने भी लेकर आयीं थीं।
शीतला माता की पूजा क्यों करते हैं ?
उस समय के एक राजा विराट ने माता शीतला को अपने राज्य में रहने के लिए स्थान देने से मना कर दिया, जिसके कारण देवी माता शीतला अत्यंत क्रोधित हो गईं। उनके क्रोध की ज्वाला से राज्य की सम्पूर्ण प्रजा के शरीर पर लाल – लाल दाने निकल आए और सभी प्राणी भीषण गर्मी से त्रस्त हो गए।
जब राजा को अपने अपराध का बोध हुआ, तब उसने शीतला माता से क्षमा-याचना कर उन्हें उचित स्थान उपलब्ध कराया। समस्त प्रजा ने देवी की क्रोधाणग्नि को शांत करने हेतु ठंडे दूध و कच्ची लस्सी से उनका अभिषेक किया। इसके बाद माता का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने समस्त प्रजा के रोगों को दूर किया। तभी से हर साल भक्तगण देवी शीतला का व्रत और पूजा करने लगे।
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