भारत में अफीम की खेती 10वीं शताब्दी से की जाती रही है। 10वीं शताब्दी के एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा ग्रंथ ‘धनवनतारी निघंतु’ में अफीम को विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लिए एक उपाय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। 16वीं शताब्दी की शुरुआत में, मुगल काल के दौरान भारत में एक संघीय एकाधिकार के रूप में अफीम की खेती की जाती थी। मुगल बादशाह-अकबर (1556 से 1605 ईस्वी) के समय और काल का ऐतिहासिक रिकॉर्ड ‘आइने-अकबरी’ कहता है कि उत्तर भारत के सभी प्रांतों में अफीम की खेती दस लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैली हुई थी।
अफीम नीति 2023-24 के तहत सभी पात्र किसानों को 10-10 आरी के पट्टे दिए जाएंगे और किसान 2 से अधिक भूखंडों पर अफीम की बुवाई नहीं कर सकते हैं। अफीम लाइसेंस के लिए फसल वर्ष 2022-23 के दौरान न्यूनतम 4.2 किलोग्राम मॉर्फिन प्रति हेक्टेयर देना आवश्यक है। भारत में अफीम की फसल की खेती नीमच एव मंदसौर (मध्य प्रदेश), प्रतापगढ़ एव चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) और बाराबंकी एव बरेली (उत्तर प्रदेश ) में चिकित्सा और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए opium gum, alkaloids, morphine, codeine and thebaine के उत्पादन के लिए की जाती है।
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The entral Bureau of Narcotics has issued the gazette notification for new list Afim Patta List 2023-24 on 21st September 2023 form the official website @http://www.cbn.nic.in or it can be directly downlaoded form the link give at the bottom of this page. अफीम नीति 2023-24 के तहत सभी पात्र किसानों...