विश्वकर्मा पूजा विधि, मंत्र और आरती सहित PDF

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विश्वकर्मा पूजा विधि, मंत्र और आरती सहित - Summary

भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि, मंत्र और आरती सहित एक महत्वपूर्ण पर्व है। हर साल विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को मनाई जाती है, जब भक्त भगवान विश्वकर्मा की कृपा से कार्य में तरक्की की प्रार्थना करते हैं। इस दिन, लोग अपनेदफ्तरों, कारखानों में मशीनों, औजारों और निर्माण कार्यों में काम आने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं।

विश्वकर्मा पूजा विधि और मंत्र सहित

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, व्यापार में सफलता और उन्नति प्राप्त होती है। इस दिन की पूजा से न केवल कारोबार में बृद्धि होती है, बल्कि सभी कार्य भी पूर्ण होते हैं। विश्वकर्मा जयंती पर पूजा के लिए तीन प्रमुख शुभ मुहूर्त होते हैं।

विश्वकर्मा पूजा विधि मंत्र सहित – Vishwakarma Puja Vidhi Mantra Sahit in Hindi

  • भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के शस्त्र, भवन, मंदिर आदि का निर्माण किया है।
  • इस दिन निर्माण कार्य से जुड़े संस्थान भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बाद बंद रहते हैं।
  • विश्वकर्मा जयंती के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद अपने कार्यस्थल की सफाई करें।
  • गंगाजल छिड़क कर उस स्थान को पवित्र करें। फिर पूजा की चौकी पर रंगोली बनाकर पीला कपड़ा बिछाएं।
  • अब हाथ में अक्षत लेकर “ॐ भगवान विश्वकर्मा देव शिल्पी इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठो भव” मंत्र बोलते हुए चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
  • भगवान विश्वकर्मा को रोली, हल्दी, अक्षत, फूल, लौंग, पान, सुपारी, फल, मिठाई, जनेऊ, कलावा अर्पित करें। धूप, दीप लगाएं।
  • औजारों, मशीनों, निर्माण कार्य से जुड़े सभी उपकरणों को तिलक लगाकर विधिवत पूजा करें।
  • अब हाथ में अक्षत और फूल लेकर “ॐ श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः” मंत्र बोलते हुए मशीनों और भगवान विश्वकर्मा पर चढ़ाएं।
  • भगवान विश्वकर्मा से सदैव कार्य में तरक्की की कामना करें। आरती करें और फिर प्रसाद बांट दें।
  • पूजन से अगले दिन भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा का विसर्जन करने का विधान है।

विश्वकर्मा पूजा मंत्र

अब इस कलश में रोली-अक्षत लगाएं और दोनों चीजों को हाथों में लेकर –

‘ऊं पृथिव्यै नम: ऊं अनंतम नम: ऊं कूमयि नम: ऊं श्री सृष्टतनया सर्वासिद्धया विश्वकर्माया नमो नम:’

मंत्र पढ़कर सभी चीजों पर रोली और अक्षत छिड़क दें। इसके बाद फूल चढ़ाएं। फिर भगवान को भोग लगाएं और जल पिलाएं। इस प्रसाद को सभी लोगों के साथ बांट दें।

विश्वकर्मा जयंती पर भूलकर भी न करें ये काम

  • विश्वकर्मा पूजा के दिन जिन औजारों और मशीनों की आप पूजा कर रहे हैं, उन्हें दूसरों को इस्तेमाल करने के लिए न दें।
  • विश्वकर्मा पूजा के समय भगवान की प्रतिमा के साथ औजार रखना न भूलें। रोजमर्रा की मशीनों की सफाई करना न भूलें।
  • इस दिन मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

भगवान विश्वकर्मा की आरती – Vishwakarma ji Aarti

ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।

सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा॥

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।

शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।

ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।

संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।

सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।

द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।

मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥

श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥

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