वास्तु शास्त्र पुस्तक गीता प्रेस PDF

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वास्तु शास्त्र पुस्तक गीता प्रेस - Summary

प्रिय पाठकों, यदि आप वास्तु शास्त्र पुस्तक गीता प्रेस PDF डाउनलोड करने के लिए खोज रहे हैं, तो आप बिलकुल सही जगह पर आए हैं। यहाँ से आप आसानी से इस महत्वपूर्ण वास्तु शास्त्र की पुस्तक को PDF फॉर्मेट में डाउनलोड कर सकते हैं। वास्तु शास्त्र पुस्तक से आप अपने घर को सही दिशा, रंग और आंतरिक सजावट के हिसाब से ठीक ढंग से डिजाइन कर सकते हैं। इस पुस्तक में दी गई प्रैक्टिकल वास्तु केस स्टडीज की मदद से आप ये जान पाएंगे कि किस तरह से रंगों, धातुओं, बिजली के बल्ब, पेंटिंग्स, फोटोग्राफ और कलाकृतियों का इस्तेमाल करके आधुनिक घरों में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं। इससे आप वास्तुशास्त्र के लाभों का पूरा फायदा उठा सकते हैं। खासकर यह पुस्तक नए फ्लैट खरीदते समय भी एक बड़ा मार्गदर्शन देती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनाने के आसान उपाय

वास्तु शास्त्र में किसी भी भवन के लिए कुल 45 ऊर्जा क्षेत्र होते हैं। इन 45 ऊर्जा क्षेत्रों या देवताओं के बारे में वेदों में विस्तार से बताया गया है। इन क्षेत्रों की विशेषताएँ जानना बहुत ही रोचक और लाभदायक होता है। वास्तुशास्त्र में हर दिशा में मौजूद ऊर्जा का उपयोग आप अपने जीवन के लक्ष्यों को पूरा करने या घर की समस्याओं को दूर करने के लिए कर सकते हैं।

घर बनाते समय वास्तु के महत्वपूर्ण नियम

  • पूर्व दिशा – यह सूर्योदय की दिशा होती है और यहाँ से सकारात्मक ऊर्जा घर में आती है। यदि घर का मुख्य गेट पूर्व की ओर है तो यह बहुत शुभ माना जाता है। खिड़की भी इसी दिशा में होनी चाहिए।
  • पश्चिम दिशा – रसोईघर या शौचालय को यहाँ बनाना चाहिए, लेकिन दोनों कभी भी पास-पास न हों। इससे घर में सामंजस्य बना रहता है।
  • उत्तर दिशा – इस दिशा में घर की सबसे अधिक खिड़कियाँ और दरवाजे होने चाहिए। बालकनी और वॉश बेसिन भी उत्तर दिशा में बनाएं। अगर मुख्य द्वार उत्तर में हो तो यह अति उत्तम रहता है।
  • दक्षिण दिशा – यहाँ किसी भी तरह का खुलापन या शौचालय नहीं होना चाहिए। इस दिशा में भारी सामान रखना शुभ माना जाता है। अगर इस दिशा में द्वार या खिड़की हो तो घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है और ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जिससे परिवार में झगड़े बढ़ते हैं।
  • उत्तर-पूर्व दिशा – इसे ईशान दिशा कहते हैं। यह जल तत्व का क्षेत्र होता है। यहाँ बोरिंग, स्वीमिंग पूल या पूजा स्थल होना चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा में मेन गेट होने पर घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  • उत्तर-पश्चिम दिशा – वायु तत्व से जुड़ी यह दिशा हवादार होनी चाहिए। बेडरूम, गैरेज या गौशाला के लिए यह स्थान अच्छा होता है।
  • दक्षिण-पूर्व दिशा – यह अग्नि तत्व की दिशा होती है। गैस, बॉयलर या ट्रांसफार्मर आदि यहीं होना चाहिए।
  • दक्षिण-पश्चिम दिशा – यह नैऋत्य दिशा के नाम से जानी जाती है। इस दिशा में कोई खुला स्थान जैसे खिड़की या दरवाजा नहीं होना चाहिए। घर के मुखिया का कमरा यहाँ बनाना शुभ होता है। कैश काउंटर और भारी मशीनें भी यहीं रखें।
  • घर का आंगन – घर में आंगन का होना ज़रूरी है, भले ही छोटा ही हो। आंगन में तुलसी, अनार, जामुन, नीम, आंवला जैसे पौधे लगाएं जो सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाते हैं। फूलों वाले पौधे भी यहाँ खूबसूरती और ऊर्जा लाते हैं।

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