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Vaibhav Laxmi Vrat Katha in Marathi
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा और आराधना की जाती है। कोई धन लक्ष्मी, कोई वैभव लक्ष्मी, कोई गजलक्ष्मी तो कोई संतान लक्ष्मी के रूप में पूजता है। मनोकामना के अनुसार आप मां लक्ष्मी के स्वरूप की पूजा अर्चना कर सकते हैं।
व्रत सामग्री
माता लक्ष्मी के अलग-अलग स्वरुप यथा श्रीगजलक्ष्मी, श्री अधिलक्ष्मी, श्री विजयलक्ष्मी, श्री ऐश्वर्यलक्ष्मी, श्री वीरलक्ष्मी, श्री धान्यलक्ष्मी एवं श्री सन्तानलक्ष्मी और श्रीयन्त्र का चित्र स्थापित करें।उसके बाद खुद के बैठने के लिए साफ़-सुथरा आसन, सोना और अगर सोना न हो तो चांदी की चीज़ और अगर चांदी भी न हो तो रुपया रखें। इसके बाद धूप, दीप, लाल रंग का फूल, चौकी या पाटा, लाल कपडा, ताम्र पात्र (कलश), एक कटोरी कलश पर रखने के लिए, घी, नैवेद्द, फल, हल्दी और कुमकुम रखें।
व्रत की पूजा विधि
सबसे पहले सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें और सारा दिन माता के विभिन्न स्वरूपों को याद करते रहें।
स्त्री हो या पुरुष संध्या के समय पूर्व दिशा में मुहं करके आसन पर बैठ जाएं।
मीठी चीजों से बना प्रसाद भी पास में रख लें।
सामने पाटा रखकर उसपर कपड़ा बिछा लें और उस कपडे पर चावल का छोटा सा ढेर बना लें। उस ढेर पर पानी से भरा तांबे का कलश रखें और सोने, चांदी या फिर रुपया कटोरी में रखकर कलश के ऊपर रख दें।
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