श्री बाँकेबिहारी चालीसा (Banke Bihari Chalisa) Hindi

❴SHARE THIS PDF❵ FacebookX (Twitter)Whatsapp
REPORT THIS PDF ⚐

श्री बाँकेबिहारी चालीसा - Banke Bihari Chalisa Lyrics Hindi

श्री बाँकेबिहारी चालीसा PDF हिन्दी अनुवाद सहित – श्री बांके बिहारी जी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उन्हें अनेकों नाम से जाना जाता है। जैसे कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकाधीश, वासुदेव आदि। मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि श्री बांके बिहारी लाल के आशीर्वाद से मनुष्य का जीवन पवित्र हो जाता है। उसके जीवन के समस्त पाप मिट जाते हैं।

जो व्यक्ति श्री बांके बिहारी जी की विधि-विधान से पूजा-आराधना करता है, वह व्यक्ति समस्त प्रकार की बुराइयों पर विजय हासिल कर लेता है। इसके अलावा साधकों को अन्य प्रकार के भी लाभ प्राप्त होते हैं।

श्री बाँके बिहारी चालीसा

|| दोहा ||

बांकी चितवन कटि लचक, बांके चरन रसाल ।
स्वामी श्री हरिदास के बांके बिहारी लाल ।।

।। चौपाई ।।

जै जै जै श्री बाँकेबिहारी । हम आये हैं शरण तिहारी ।।
स्वामी श्री हरिदास के प्यारे । भक्तजनन के नित रखवारे ।।

श्याम स्वरूप मधुर मुसिकाते। बड़े-बड़े नैन नेह बरसाते ।।
पटका पाग पीताम्बर शोभा। सिर सिरपेच देख मन लोभा ।।

तिरछी पाग मोती लर बाँकी। सीस टिपारे सुन्दर झाँकी ।।
मोर पाँख की लटक निराली। कानन कुण्डल लट घुँघराली ।।

नथ बुलाक पै तन-मन वारी। मंद हसन लागै अति प्यारी ।।
तिरछी ग्रीव कण्ठ मनि माला। उर पै गुंजा हार रसाला ।।

काँधे साजे सुन्दर पटका। गोटा किरन मोतिन के लटका ।।
भुज में पहिर अँगरखा झीनौ। कटि काछनी अंग ढक लीनौ ।।

कमर-बांध की लटकन न्यारी। चरन छुपाये श्री बाँकेबिहारी ।।
इकलाई पीछे ते आई। दूनी शोभा दई बढाई ।।

गद्दी सेवा पास बिराजै।श्री हरिदास छवी अतिराजै ।।
घंटी बाजे बजत न आगै। झाँकी परदा पुनि-पुनि लागै ।।

सोने-चाँदी के सिंहासन। छत्र लगी मोती की लटकन ।।
बांके तिरछे सुधर पुजारी। तिनकी हू छवि लागे प्यारी ।।

अतर फुलेल लगाय सिहावैं। गुलाब जल केशर बरसावै ।।
दूध-भात नित भोग लगावैं। छप्पन-भोग भोग में आवैं ।।

मगसिर सुदी पंचमी आई। सो बिहार पंचमी कहाई ।।
आई बिहार पंचमी जबते। आनन्द उत्सव होवैं तबते ।।

बसन्त पाँचे साज बसन्ती। लगै गुलाल पोशाक बसन्ती ।।
होली उत्सव रंग बरसावै। उड़त गुलाल कुमकुमा लावैं ।।

फूल डोल बैठे पिय प्यारी। कुंज विहारिन कुंज बिहारी ।।
जुगल सरूप एक मूरत में। लखौ बिहारी जी मूरत में ।।

श्याम सरूप हैं बाँकेबिहारी। अंग चमक श्री राधा प्यारी ।।
डोल-एकादशी डोल सजावैं। फूल फल छवी चमकावैं ।।

अखैतीज पै चरन दिखावैं। दूर-दूर के प्रेमी आवैं ।।
गर्मिन भर फूलन के बँगला। पटका हार फुलन के झँगला ।।

शीतल भोग , फुहारें चलते। गोटा के पंखा नित झूलते ।।
हरियाली तीजन का झूला। बड़ी भीड़ प्रेमी मन फूला ।।

जन्माष्टमी मंगला आरती। सखी मुदित निज तन-मन वारति ।।
नन्द महोत्सव भीड़ अटूट। सवा प्रहार कंचन की लूट ।।

ललिता छठ उत्सव सुखकारी। राधा अष्टमी की चाव सवारी ।।
शरद चाँदनी मुकट धरावैं । मुरलीधर के दर्शन पावैं ।।

दीप दीवारी हटरी दर्शन । निरखत सुख पावै प्रेमी मन ।।
मन्दिर होते उत्सव नित-नित । जीवन सफल करें प्रेमी चित ।।

जो कोई तुम्हें प्रेम ते ध्यावें। सोई सुख वांछित फल पावैं ।।
तुम हो दिनबन्धु ब्रज-नायक । मैं हूँ दीन सुनो सुखदायक ।।

मैं आया तेरे द्वार भिखारी । कृपा करो श्री बाँकेबिहारी ।।
दिन दुःखी संकट हरते । भक्तन पै अनुकम्पा करते ।।

मैं हूँ सेवक नाथ तुम्हारो । बालक के अपराध बिसारो ।।
मोकूँ जग संकट ने घेरौ । तुम बिन कौन हरै दुख मेरौ ।।

विपदा ते प्रभु आप बचाऔ । कृपा करो मोकूँ अपनाऔ ।।
श्री अज्ञान मंद-मति भारि । दया करो श्रीबाँकेबिहारी ।।

बाँकेबिहारी विनय पचासा । नित्य पढ़ै पावे निज आसा ।।
पढ़ै भाव ते नित प्रति गावैं । दुख दरिद्रता निकट नही आवैं ।।

धन परिवार बढैं व्यापारा । सहज होय भव सागर पारा ।।
कलयुग के ठाकुर रंग राते । दूर-दूर के प्रेमी आते ।।

दर्शन कर निज हृदय सिहाते । अष्ट-सिध्दि नव निधि सुख पाते ।।
मेरे सब दुख हरो दयाला । दूर करो माया जंजाल ।।

दया करो मोकूँ अपनाऔ । कृपा बिन्दु मन में बरसाऔ ।।

|| दोहा ||

ऐसी मन कर देउ मैं , निरखूँ श्याम-श्याम ।
प्रेम बिन्दु दृग ते झरें, वृन्दावन विश्राम ।।

श्री बाँकेबिहारी पूजा विधि

  • बाल गोपाल का जन्म होने के बाद उन्हें सबसे पहले दूध, दही, घी, फिर शहद से स्नान कराएं।
  • गंगाजल से उनका अभिषेक करें। स्नान कराने के बाद पूरे भक्ति भाव के साथ एक शिशु की तरह भगवान के बाल स्‍वरूप को लगोंटी अवश्‍य पहनाएं।
  • जिन चीजों से बाल गोपाल का स्नान हुआ है, जिसे पंचामृत कहते हैं उसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
  • फिर भगवान कृष्ण को नए वस्त्र पहनाएं। भगवान के जन्म के बाद गीत गाएं।
  • बाँकेबिहारी  को आसान पर बैठाकर उनका श्रृंगार करें।
  • अब उनको चंदन और अक्षत लगाएं और उनकी पूजा करें।
  • इसके उपरान्त भगवान को भोग की सामग्री अर्पण करें। भोग में तुलसी का पत्ता जरूर इस्तेमाल करें।
  • भगवान को झूले पर बिठाकर झुला झुलाएं और गीत गाएं।

अप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके श्री बाँकेबिहारी चालीसा को PDF मे डाउनलोड कर सकते हैं। 

2nd Page of श्री बाँकेबिहारी चालीसा (Banke Bihari Chalisa) PDF
श्री बाँकेबिहारी चालीसा (Banke Bihari Chalisa)
PDF's Related to श्री बाँकेबिहारी चालीसा (Banke Bihari Chalisa)

श्री बाँकेबिहारी चालीसा (Banke Bihari Chalisa) PDF Free Download

REPORT THISIf the purchase / download link of श्री बाँकेबिहारी चालीसा (Banke Bihari Chalisa) PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If this is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.