श्राद्ध सामग्री लिस्ट (Shradh Pujan Samagri List) Hindi

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पितृ तर्पण सामग्री लिस्ट Hindi

पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास की पूर्णिमा से हो जाती है जो की आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक रहती है। पितृ पक्ष हिंदू धर्म मे बहुत अधिक महत्व होता है। इस समय सभी लोग अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण पूरी विधि- विधान करते है जिसके पितरों का आर्शावाद प्राप्त  हो सके और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती हो।

हिन्दू धर्म में विभिन्न प्रकार के श्राद्धों का वर्णन आता है जैसे – नान्दी श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध, त्रिपिंडी श्राद्ध तथा वार्षिक श्राद्ध पूजन। इस सभी की श्राद्ध सामग्री लिस्ट PDF मे आप डाउनलोड कर सकते नीचे दिए लिंक का उपयोग करके। पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक किए गए पदार्थ-दान (हविष्यान्न, तिल, कुश, जल के दान) का नाम ही श्राद्ध है। श्राद्धकर्म पितृऋण चुकाने का सरल व सहज मार्ग है। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितरगण वर्षभर प्रसन्न रहते हैं।

श्राद्ध सामग्री लिस्ट (Shradh Pujan Samagri in Hindi)

  • रोली और सिंदूर,
  • छोटी सुपारी ,
  • रक्षा सूत्र,
  • चावल,
  • जनेऊ,
  • कपूर,
  • हल्दी,
  • देसी घी और माचिस,
  • शहद,
  • काला तिल,
  • तुलसी और पान का पत्ता,
  • जौ,
  • हवन सामग्री,
  • गुड़ ,
  • मिट्टी का दीया ,
  • रुई बत्ती,
  • अगरबत्ती,
  • दही,
  • जौ का आटा,
  • गंगाजल,
  • खजूर,
  • केला,
  • सफेद फूल,
  • उड़द,
  • गाय का दूध,
  • घी,
  • खीर,
  • स्वांक के चावल,
  • मूंग,
  • गन्ना आदि।

त्रिपिंडी श्राद्ध की सामग्री

धूप बत्ती (अगरबत्ती), कपूर, केसर, चन्दन, यज्ञोपवीत, कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, आभूषण, नाड़ा, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, कमलगट्टे, धनिया खड़ा सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, कुशा व दूर्वा, पंच मेवा, गंगाजल, शहद (मधु), शकर, घृत (शुद्ध घी), दही, दूध, ऋतुफल, नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि) इलायची (छोटी), लौंग, मौली, इत्र की शीशी, सिंहासन (चौकी आसन), पंच पल्लव आदि।

पार्वण श्राद्ध सामग्री

तिल, जल, चावल, कुशा, गंगाजल आदि का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। वहीं केला, सफेद पुष्प, उड़द, गाय के दूध,  घी, खीर, स्वांक के चावल, जौ, मूंग, गन्ना से किए गए श्राद्ध से पितर प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध के दौरान तुलसी, आम और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सूर्यदेवता को सूर्योदय के समय अर्ध्य देना न भूलें।

नान्दी श्राद्ध सामग्री

दूर्वा या डाभ, दोने या पत्तल, ताम्रपात्र या सराई, दही , रोली , जौ , फल, एक पाद्य पात्र, पात्र में जौ, जल, आदि ।

वार्षिक श्राद्ध पूजन सामग्री

फूल, 1 माला, दूबी, आम पत्ता, 21 नग पान पत्ता, 2 केला पत्ता, तुलसी पत्ता,दोना 1 पैकेट, पत्तल 1 पैकेट ,दूध, दही, हवन, लकड़ी, श्रांखला, देशी कपूर, घी 200 ग्राम, काला तिल 20 , जौ 20 का, धोती 1, 1 लाल कपड़ा, जनेऊ – 2, मौली धागा, 101 वाला पूजन सामग्री पैकेट, चंदन, कुँवारी धागा, नारियल 2 गिला व 1 सूखा, फल, केला, मिठाई, लोंग इलाइची, दिया 7 नग, तेल , बाती,कपास 5, आधा किलो चावल को हल्का गिला होते तक दूध में पकाना है, 16 नग मटकी (गेंद आकार का) + उसके ऊपर का नान्दी ( दिया 16 नग), 16 टुकड़ा गन्ना, 16 टुकड़ा नींबू, 16 टुकड़ा अदरक, 2 पीड़ा, कुश 3 नग आदि।

पितरों को श्राद्ध की वस्तुएं – कैसे प्राप्त होती है?

प्राय: कुछ लोग यह शंका करते हैं कि श्राद्ध में समर्पित की गईं वस्तुएं पितरों को कैसे मिलती है? कर्मों की भिन्नता के कारण मरने के बाद गतियां भी भिन्न-भिन्न होती हैं–कोई देवता, कोई पितर, कोई प्रेत, कोई हाथी, कोई चींटी, कोई वृक्ष और कोई तृण बन जाता है। तब मन में यह शंका होती है कि छोटे से पिण्ड से अलग-अलग योनियों में पितरों को तृप्ति कैसे मिलती है? इस शंका का स्कन्दपुराण में बहुत सुन्दर समाधान मिलता है।

एक बार राजा करन्धम ने महायोगी महाकाल से पूछा–’मनुष्यों द्वारा पितरों के लिए जो तर्पण या पिण्डदान किया जाता है तो वह जल, पिण्ड आदि तो यहीं रह जाता है फिर पितरों के पास वे वस्तुएं कैसे पहुंचती हैं और कैसे पितरों को तृप्ति होती है?’

भगवान महाकाल ने बताया कि–विश्वनियन्ता ने ऐसी व्यवस्था कर रखी है कि श्राद्ध की सामग्री उनके अनुरुप होकर पितरों के पास पहुंचती है। इस व्यवस्था के अधिपति हैं अग्निष्वात आदि। पितरों और देवताओं की योनि ऐसी है कि वे दूर से कही हुई बातें सुन लेते हैं, दूर की पूजा ग्रहण कर लेते हैं और दूर से कही गयी स्तुतियों से ही प्रसन्न हो

जाते हैं। वे भूत, भविष्य व वर्तमान सब जानते हैं और सभी जगह पहुंच सकते हैं। पांच तन्मात्राएं, मन, बुद्धि, अहंकार और प्रकृति–इन नौ तत्वों से उनका शरीर बना होता है और इसके भीतर दसवें तत्व के रूप में साक्षात् भगवान पुरुषोत्तम उसमें निवास करते हैं। इसलिए देवता और पितर गन्ध व रसतत्व से तृप्त होते हैं। शब्दतत्व से रहते हैं और स्पर्शतत्व को ग्रहण करते हैं। पवित्रता से ही वे प्रसन्न होते हैं और वर देते हैं।

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके श्राद्ध सामग्री लिस्ट PDF | Shradh Pujan Samagri List PDF मे डाउनलोड कर सकते हैं।

Also Check – पितृ तर्पण मंत्र पीडीएफ़

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श्राद्ध सामग्री लिस्ट (Shradh Pujan Samagri List)

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