Namami Shamishan Sanskrit
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्र, स्तुति व स्त्रोत की रचना की गई है। इनके जप व गान करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं। “श्री शिव रुद्राष्टक स्त्रोत्र” – Shiva Rudrashtakam Stotra भी इन्हीं में से एक है। यदि प्रतिदिन शिव रुद्राष्टक का पाठ किया जाए तो सभी प्रकार की समस्याओं का निदान स्वत: ही हो जाता है। साथ ही भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
Shri Rudrashtakam is a Sanskrit composition in devotion of Rudra Shiva composed by the Hindu Bhakti poet Tulsidas ji Maharaj. Tulsidas ji composed this eulogy in the late fifteenth century in Uttar Pradesh, India and created many other literary pieces including the magnum opus Ram Charit Manas.
|| श्री शिव रूद्र अष्टकम ||
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम l
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेअहम ll
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा घ्य़ान गोतीतमीशं गिरीशम l
करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोअहम ll
तुश्हाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम l
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ll
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम l
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ll
प्रचण्डं प्रकृश्ह्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम l
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजे.अहं भवानीपतिं भावगम्यम ll
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी l
चिदानन्द संदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ll
न यावत.ह उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम l
न तावत.ह सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम ll
न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतो.अहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम l
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ll
रुद्राश्ह्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोश्हये l
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेश्हां शम्भुः प्रसीदति ll
ll इति श्री गोस्वामी तुलसिदास कृतम श्रीरुद्राश्ह्टकम संपूर्णम ll
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