Sai Baba Vrat Katha (साईं बाबा व्रत कथा)

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Sai Baba Vrat Katha (साईं बाबा व्रत कथा)

साईं बाबा की व्रत कथा और आरती

कोई भी पुरुष, महिला और बच्चे भी इस व्रत को कर सकते हैं। पुराने और बीमार व्यक्ति इससे बच सकते हैं। फिर भी अगर इसके भक्त व्रत करने की इच्छा रखते हैं, तो बाबा इसका पूरा ध्यान रखेंगे! किसी भी जाति / धर्म / पंथ के भक्त व्रत कर सकते हैं केवल बाबा पर पूर्ण विश्वास आवश्यक है।

साईं बाबा की पूजा सुबह या शाम को करनी चाहिए। साईं बाबा की तस्वीर को पीले कपड़े पर रखना चाहिए। साफ पानी से फोटोग्राफ को साफ करें। चंदन (चंदन) और कुमकुम का तिलक साईं बाबा की तस्वीर पर लगाना चाहिए। साईं बाबा को पीले रंग के फूल या माला अर्पित करनी चाहिए, अगरबत्ती और दीपक जलाना चाहिए और फिर व्रत की मुख्य कहानी पढ़नी चाहिए। साईं बाबा का नाम याद रखना चाहिए और फिर प्रसाद बांटना चाहिए।

साईं बाबा व्रत कथा के लाभ

इस व्रत से कई भक्तों को मनचाहा फल मिलता है। मुंह से शब्द बहुत लोकप्रिय हो रहा है और इसने कई भक्तों का विश्वास जीता है। व्रत करने के इच्छुक प्रत्येक भक्त के मन में यह सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न होता है। खैर अब एक दिन भारत में साईं बाबा मंदिरों के आसपास की दुकानों में साईं व्रत कथा पुस्तक आसानी से उपलब्ध है। कृपया ध्यान दें कि साईं व्रत कथा पुस्तकें शिरडी साईं बाबा संशतन द्वारा प्रकाशित नहीं की जाती हैं। विदेश में रहने वाले भक्तों के लिए मैं अंग्रेजी, हिंदी और मराठी भाषा में साईं व्रत कथा पुस्तक की स्कैन की हुई कॉपी अपलोड कर रहा हूं। बाबा की कृपा और आशीर्वाद से साईं बहन चारु और उनके पति ने इस खजाने में योगदान दिया है। उन्हें मेरा हार्दिक धन्यवाद ।

Sai Baba Vrat Katha (साईं बाबा व्रत कथा)

किरन बहन और उनके पति किशन भाई एक शहर में रहते थे। वैसे तो दोनों का एक दूसरे के प्रति गहरा प्रेम भाव था। परन्तु किशन भाई का स्वरूप झगड़ालू था। अड़ोसी-पड़ोसी भी उनके स्वभाव से परेशान थे, लेकिन किरन बहन धार्मिक स्वभाव की थी, भगवान पर विश्वास रखती एवं बिना कुछ कहे सब कुछ सह लेती थी। धीरे-धीरे उनके पति का रोजगार ठप हो गया। कुछ भी कमाई न होती थी।

अब किशन भाई दिन भर घर पर ही रहते। घर में पड़े-पड़े उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया। एक दिन दोपहर को एक वृद्ध दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया। चेहरे पर गजब का तेज था, आकर वृद्ध ने दाल चावल की मांग की। किरन बहन ने दाल चावल दिए और दोनों हाथों से उस वृद्ध को नमस्कार किया। वृद्ध ने कहा, साईं सुखी रखे। किरन बहन ने कहा कि महाराज सुख किस्मत में नहीं है। फिर मिलेगा कैसे? ऐसा कहकर उन्होंने अपने दुःखी जीवन का वर्णन किया।

वृद्ध ने श्री साईं बाबा की व्रत कथा (Sai Baba Vrat Katha) के बारे में बताते हुए कहा – नौ गुरुवार फलाहार या एक समय का भोजन करना। हो सके तो बेटा सांई मंदिर जाना, घर पर साईं बाबा की नौ गुरुवार पूजा करना, साईं व्रत करना, आरती पढ़ना और विधिपूर्वक उद्यापन करना। भूखे को भोजन देना। साईं व्रत के बारे में लोगों को यथाशक्ति बताना। इस तरह साईं व्रत का प्रचार करना। साईं बाबा तेरी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे। यह व्रत कलयुग में बड़ा चमत्कारिक है। यह सभी की मनोकामना पूर्ण करता है। लेकिन साईं बाबा पर अटूट श्रद्धा रखना जरूरी है। धीरज रखना चाहिये। जो इस विधि से साईं बाबा की व्रत कथा और आरती पढ़ेगा, बाबा उसकी सभी मनोकामना जरूर पूर्ण करेंगे।

किरन बहन ने भी गुरुवार का व्रत किया। नौवें गुरुवार को ग़रीबों को भोजन कराया। सांई व्रत के बारे में औरों को बताया। उनके घर के झगड़े दूर हुए और सुख-शान्ति हो गई जैसे किशन भाई का स्वभाव ही बदल गया हो। उनका रोजगार फिर से चालू हो गया। थोड़े समय में ही सुख समृद्धि बढ़ गयी।

अब दोनों पति-पत्नी सुखी जीवन बिताने लगे। एक दिन किरन बहन के जेठ-जेठानी आये और बातों ही बातों में उन्होंने बताया की उनके बच्चे पढ़ाई नहीं करते। परीक्षा में फेल हो गये हैं। किरन बहन ने नौ गुरुवार की महिमा बताई और कहा कि साईं बाबा की भक्ति से बच्चे अच्छी तरह अभ्यास कर पाएंगे। लेकिन इसके लिए सांई बाबा पर विश्वास रखना जरूरी है। वे सबकी सहायता करते हैं। उनकी जेठानी ने व्रत की विधि पूछी, तो किरन बहन ने कहा कि नौ गुरुवार फलाहार करके अथवा एक समय भोजन करके यह व्रत किया जा सकता है और नौ गुरुवार हो सके तो साईं दर्शन के लिए मंदिर जाने को कहा। साथ ही यह कहा कि–

सूरत से उनकी जेठानी का थोड़े दिनों बाद पत्र आया कि उनके बच्चे सांई व्रत करने लगे हैं और बहुत मन लगाकर पढ़ते हैं। उन्होंने भी व्रत किया था। इस बारे में उन्होंने लिखा की उनकी सहेली कोमल बहन की बेटी की शादी साईं बाबा की व्रत कथा और आरती (Sai Vrat Katha aur Aarti) पढ़ने से बहुत ही अच्छी जगह हो गई है। उनके पड़ोसी के गहनों का डिब्बा गुम हो गया था। वह सांई व्रत की महिमा के कारण दो महीने के बाद मिल गया ऐसा अद्भुत चमत्कार हुआ था। किरन बहन ने कहा कि साईं बाबा की महिमा महान है। यह जान लिया था कि साई बाबा जैसे आप लोगों पर प्रसन्न होते हैं। वैसे हम पर भी होना।

साई बाबा व्रत के नियम (साई बाबा व्रत कथा की पूजा विधि)

साई बाबा आरती हिंदी

ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
भक्तजनों के कारण, उनके कष्ट निवारण॥
शिरडी में अवतरे, ॐ जय साईं हरे॥ ॐ जय…॥

दुखियन के सब कष्टन काजे, शिरडी में प्रभु आप विराजे।
फूलों की गल माला राजे, कफनी, शैला सुन्दर साजे॥
कारज सब के करें, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय…॥

काकड़ आरत भक्तन गावें, गुरु शयन को चावड़ी जावें।
सब रोगों को उदी भगावे, गुरु फकीरा हमको भावे॥
भक्तन भक्ति करें, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय…॥

हिन्दु मुस्लिम सिक्ख इसाईं, बौद्ध जैन सब भाई भाई।
रक्षा करते बाबा साईं, शरण गहे जब द्वारिकामाई॥
अविरल धूनि जरे, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय…॥

भक्तों में प्रिय शामा भावे, हेमडजी से चरित लिखावे।
गुरुवार की संध्या आवे, शिव, साईं के दोहे गावे॥
अंखियन प्रेम झरे, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय…॥

ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
शिरडी साईं हरे, बाबा ॐ जय साईं हरे॥

श्री सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय॥

साई बाबा व्रत के उद्यापन की विधि

नौवें गुरुवार को उद्यापन करना चाहिये। इसमें पांच गरीबों को भोजन करायें। भोजन अपनी यथाशक्ति से देना या करवाना चाहिये। साईं बाबा की महिमा एवं व्रत का प्रचार करने के लिए अपने संबंधी या पड़ोसियों को इस वेब पन्ने का लिंक यथाशक्ति भेजें। इस तरह व्रत का उद्यापन किया जाए। उपरोक्त विधि से व्रत एवं उद्यापन करने से निश्चित ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी, ऐसा साईं भक्तों का विश्वास है।

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Sai Baba Vrat katha – Marathi

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