पुरुषोत्तम मास (अधिकमास) कथा – Purushottam Maas Katha Hindi

❴SHARE THIS PDF❵ FacebookX (Twitter)Whatsapp
REPORT THIS PDF ⚐

Purushottam Maas Katha- पुरुषोत्तम मास (अधिकमास) कथा Hindi

अधिकमास के अधिपति स्वामी भगवान विष्णु माने जाते हैं। पुरूषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है। इसीलिए अधिकमास को पुरूषोत्तम मास के नाम से भी पुकारा जाता है। इस विषय में एक बड़ी ही रोचक कथा पुराणों में पढ़ने को मिलती है। कहा जाता है कि भारतीय मनीषियों ने अपनी गणना पद्धति से हर चंद्र मास के लिए एक देवता निर्धारित किए। चूंकि अधिकमास सूर्य और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रकट हुआ, तो इस अतिरिक्त मास का अधिपति बनने के लिए कोई देवता तैयार ना हुआ। ऐसे में ऋषि-मुनियों ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वे ही इस मास का भार अपने उपर लें। भगवान विष्णु ने इस आग्रह को स्वीकार कर लिया और इस तरह यह मल मास के साथ पुरूषोत्तम मास भी बन गया।

अधिकमास को पुरूषोत्तम मास कहे जाने का एक सांकेतिक अर्थ भी है। ऐसा माना जाता है कि यह मास हर व्यक्ति विशेष के लिए तन-मन से पवित्र होने का समय होता है। इस दौरान श्रद्धालुजन व्रत, उपवास, ध्यान , योग और भजन- कीर्तन- मनन में संलग्न रहते हैं और अपने आपको भगवान के प्रति समर्पित कर देते हैं। इस तरह यह समय सामान्य पुरूष से उत्तम बनने का होता है, मन के मैल धोने का होता है। यही वजह है कि इसे पुरूषोत्तम मास का नाम दिया गया है।

अधिक मास के लिए पुराणों में बड़ी ही सुंदर कथा सुनने को मिलती है। यह कथा दैत्यराज हिरण्यकश्यप के वध से जुड़ी है। पुराणों के अनुसार दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने एक बार ब्रह्मा जी को अपने कठोर तप से प्रसन्न कर लिया और उनसे अमरता का वरदान मांगा। चुकि अमरता का वरदान देना निषिद्ध है, इसीलिए ब्रह्मा जी ने उसे कोई भी अन्य वर मांगने को कहा। तब हिरण्यकश्यप ने वर मांगा कि उसे संसार का कोई नर, नारी, पशु, देवता या असुर मार ना सके। वह वर्ष के 12 महीनों में मृत्यु को प्राप्त ना हो। जब वह मरे, तो ना दिन का समय हो, ना रात का। वह ना किसी अस्त्र से मरे, ना किसी शस्त्र से। उसे ना घर में मारा जा सके, ना ही घर से बाहर मारा जा सके। इस वरदान के मिलते ही हिरण्यकश्यप स्वयं को अमर मानने लगा और उसने खुद को भगवान घोषित कर दिया। समय आने पर भगवान विष्णु ने अधिक मास में नरसिंह अवतार यानि आधा पुरूष और आधे शेर के रूप में प्रकट होकर, शाम के समय, देहरी के नीचे अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यप का सीना चीन कर उसे मृत्यु के द्वार भेज दिया।

इस मास में श्रीमद्भागवत गीता में पुरुषोत्तम मास का महामात्य, श्रीराम कथा वाचन, विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र पाठ का वाचन और गीता के पुरुषोत्तम नाम के 14वें अध्याय का नित्य अर्थ सहित पाठ करना चाहिए। यह सब नहीं कर सकते हैं तो भगवान के ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादशाक्षर मन्त्र का प्रतिदिन 108 बार जप करना चाहिए।

इस माह में जप और तप के अलावा व्रत का भी महत्व है। पूरे मास एक समय ही भोजन करना चाहिए जो कि आध्यात्मिक और सेहत की दृष्टि से उत्तम होगा। भोजन में गेहूं, चावल, जौ, मूंग, तिल, बथुआ, मटर, चौलाई, ककड़ी, केला, आंवला, दूध, दही, घी, आम, हर्रे, पीपल, जीरा, सोंठ, सेंधा नमक, इमली, पान-सुपारी, कटहल, शहतूत , मेथी आदि खाने का विधान है।

पुरुषोत्तम मास की तिथिनुसार दान सामग्री :
  • प्रतिपदा (एकम) के दिन घी चांदी के पात्र में रखकर दान करें।
  • द्वितीया के दिन कांसे के पात्र में सोना दान करें।
  • तृतीया के दिन चना या चने की दाल का दान करें।
  • चतुर्थी के दिन खारक का दान करना लाभदायी होता है।
  • पंचमी के दिन गुड एवं तुवर की दाल दान में दें।
  • षष्टी के दिन अष्ट गंध का दान करें।
  • सप्तमी-अष्टमी के दिन रक्त चंदन का दान करना उचित होता है।
  • नवमी के दिन केसर का दान करें।
  • दशमी के दिन कस्तुरी का दान दें।
  • एकादशी के दिन गोरोचन या गौलोचन का दान करें।
  • द्वादशी के दिन शंख का दान फलदाई है।
  • त्रयोदशी के दिन घंटाल या घंटी का दान करें।
  • चतुर्दशी के दिन मोती या मोती की माला दान में दें।
  • पूर्णिमा/अमावस्या के दिन माणिक तथा रत्नों का दान करें।

नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके PDF प्रारूप में पुरुषोत्तम मास या मोरमास कथा डाउनलोड करें।

2nd Page of पुरुषोत्तम मास (अधिकमास) कथा – Purushottam Maas Katha PDF
पुरुषोत्तम मास (अधिकमास) कथा – Purushottam Maas Katha
PDF's Related to पुरुषोत्तम मास (अधिकमास) कथा – Purushottam Maas Katha

पुरुषोत्तम मास (अधिकमास) कथा – Purushottam Maas Katha PDF Free Download

REPORT THISIf the purchase / download link of पुरुषोत्तम मास (अधिकमास) कथा – Purushottam Maas Katha PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If this is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

SIMILAR PDF FILES