कालरात्रि माता कथा (Kaalratri Mata Vrat Katha & Pooja Vidhi) Hindi

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कालरात्रि माता कथा (Kaalratri Mata Vrat Katha & Pooja Vidhi) in Hindi

Kaalratri Mata Vrat Katha - कालरात्रि माता कथा

नवरात्रि के सातवें दिन यानी महासप्तमी को माता कालरात्रि की पूजा की जाएगी।  जैसा उनका नाम है, वैसा ही उनका रूप है। खुले बालों में अमावस की रात से भी काली, मां कालरात्रि की छवि देखकर ही भूत-प्रेत भाग जाते हैं। मां वर्ण काला है। खूले बालों वाली यह माता गर्दभ पर बैठी हुई है।

इनकी श्वास से भयंकर अग्नि निकलती है। इतना भयंकर रूप होने के बाद भी वे एक हाथ से भक्तों को अभय दे रही है। मधु कैटभ को मारने में मां का ही योगदान था। मां का भय उत्पन्न करने वाला रूप केवल दुष्टों के लिए है। अपने भक्तों के लिए मां अंत्यंत ही शुभ फलदायी है। कई जगह इन्हें शुभकंरी नाम से भी जाना जाता है।

कालरात्रि माता कथा

नाम से अभिव्यक्त होता है कि मां दुर्गा की यह सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है अर्थात जिनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। नाम से ही जाहिर है कि इनका रूप भयानक है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि। काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है।

इस देवी के तीन नेत्र हैं। ये तीनों ही नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है। ये गर्दभ की सवारी करती हैं। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। यानी भक्तों हमेशा निडर, निर्भय रहो।

बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है। इनका रूप भले ही भयंकर हो लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं। इसीलिए ये शुभंकरी कहलाईं अर्थात् इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत या आतंकित होने की कतई आवश्यकता नहीं। उनके साक्षात्कार से भक्त पुण्य का भागी बनता है।

कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। इसलिए दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं।

ये ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं और अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि भय दूर हो जाते हैं। इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है।

कालरात्रि माँ की पूजा विधि

मां कालरात्रि के मंत्र:

1. ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: .

2. ॐ कालरात्र्यै नम:

3. ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ

4. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।

5. ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।

एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।

6. ॐ यदि चापि वरो देयस्त्वयास्माकं महेश्वरि।।

संस्मृता संस्मृता त्वं नो हिंसेथाः परमाऽऽपदः ॐ।

7. ॐ ऐं यश्चमर्त्य: स्तवैरेभि: त्वां स्तोष्यत्यमलानने

तस्य वि‍त्तीर्द्धविभवै: धनदारादि समप्दाम् ऐं ॐ।

कालरात्रि माँ की आरती

कालरात्रि जय जय महाकाली, काल के मुंह से बचाने वाली।
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा, महा चंडी तेरा अवतारा।
पृथ्वी और आकाश पर सारा, महाकाली है तेरा पसारा।
खंडा खप्पर रखने वाली, दुष्टों का लहू चखने वाली।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा, सब जगह देखूं तेरा नजारा।
सभी देवता सब नर नारी, गावे स्तुति सभी तुम्हारी।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा, कृपा करे तो कोई भी दुःख ना।
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी, ना कोई गम ना संकट भारी।
उस पर कभी कष्ट ना आवे, महाकाली मां जिसे बचावे।
तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह, कालरात्रि मां तेरी जय।

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