होलिका दहन व्रत कथा – Holika Dahan Vrat Katha and Pooja Vidhi Hindi PDF

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होलिका दहन व्रत कथा – Holika Dahan Vrat Katha and Pooja Vidhi - Summary

फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों में फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व काफी ज्यादा होता है। माना जाता है कि होलिका की अग्नि की पूजा करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार 7 मार्च 2023, मंगलवार के दिन होलिका दहन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।7 मार्च को भद्रा रहित और उदय तिथि की मान्यता अनुसार होलिका दहन का मुहूर्त श्रेष्ठ रहेगा। जो शाम 6:31 बजे से रात 8:58 बजे तक बन रहा है।

होलिका दहन व्रत कथा – Holika Dahan Vrat Katha

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, हिरण्यकशिपु का ज्येष्ठ पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। पिता के लाख कहने के बावजूद प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता रहा। दैत्य पुत्र होने के बावजूद नारद मुनि की शिक्षा के परिणामस्वरूप प्रह्लाद महान नारायण भक्त बना। असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की भी कई बार कोशिश की परन्तु भगवान नारायण स्वयं उसकी रक्षा करते रहे और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी।

होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई। दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई, जिससे प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गई। इस प्रकार हिन्दुओं के कई अन्य पर्वों की भाँति होलिका-दहन भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।

होलिका दहन पूजा विधि

  • फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सुबह नहाकर होलिका व्रत का संकल्प करें।
  • दोपहर में होलिका दहन स्थान को पवित्र जल से शुद्ध कर लें। उसमें लकड़ी, सूखे उपले और सूखे कांटे डालें। शाम के समय उसकी पूजा करें।
  • होलिका के पास और किसी मंदिर में दीपक जलाएं। होलिका में कपूर भी डालना चाहिए। इससे होली जलते समय कपूर का धुआं वातावरण की पवित्रता बढ़ता है।
  • शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक-एक कर होलिका को अर्पित करें। होलिका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को होलिका की तीन या सात परिक्रमा करनी चाहिए।
  • इसके बाद घर से लाए हुए जौ, गेहूं, चने की बालों को होली की ज्वाला में डाल दें। होली की अग्नि और भस्म लेकर घर आएं और पूजा वाली जगह रखें।

होलिका दहन पूजा मंत्र

‘असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिषै:।

अतस्तवां पूजायिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।’

इस मंत्र का उच्चारण करते हुए होलिका की सात परिक्रमा करें। इसी मंत्र के साथ होलिका कोअर्ध्य भी दें।

होलिका दहन की पूजन सामग्री

  • एक कटोरी पानी,
  • गाय के गोबर से बनी माला, रोली,
  • अक्षत,
  • अगरबत्ती और धूप,
  • फूल,
  • कच्चा सूती धागा,
  • हल्दी का टुकड़ा,
  • मूंग की साबुत दाल,बताशा,
  • गुलाल पाउडर,
  • नारियल,
  • नया अनाज (गेहूं).

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