कबीर के दोहे हिंदी PDF

कबीर के दोहे हिंदी in PDF download free from the direct link below.

कबीर के दोहे हिंदी - Summary

कबीर ने भारतीय साहित्य और धार्मिक धारा में महत्वपूर्ण रूप से योगदान करने वाले माने जाते हैं। कबीर का जन्म और उनके जीवन का अधिकांश जानकारी किसी निश्चित रूप से उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनकी उपस्थिति के संदर्भ में कई कहानियाँ और परंपराएँ मिलती हैं।

कबीर को संत माना जाता है, जो अपने ग्रंथों में समाज को धार्मिक और सामाजिक उत्थान के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी रचनाओं में वे धर्म, भक्ति, समाज, न्याय, और विविधता के महत्व को उजागर करते हैं।

कबीर के दोहे अर्थ सहित

  • बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
    अर्थ: जब मैं दुनिया में दोष और कमियों को देखने के लिए निकला, मुझे कोई दोषी या दुष्ट नहीं मिला। इसका अर्थ यह है कि जो व्यक्ति अन्य लोगों की गलतियों को ढूँढने के लिए बाहर जाता है, वह अक्सर खुद भी उन गुणों में रह जाता है।
  • दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करें न कोय।
    अर्थ: सभी लोग दुःख में भगवान की स्मृति करते हैं, लेकिन सुख में उन्हें भगवान की याद नहीं आती। यह बताता है कि हमें हमेशा भगवान की याद में रहना चाहिए, चाहे हमारे जीवन में सुख हो या दुःख।
  • बिगड़ी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
    अर्थ: गलतियाँ सही नहीं होतीं, चाहे आप उन्हें कितना भी सुधारने की कोशिश करें। यह दोहा हमें सीखता है कि हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और उनसे सीखना चाहिए, न कि उन्हें छिपाने की कोशिश करनी चाहिए।
  • साईं इतना दीजिये, जा में कुटुंब समाय।
    अर्थ: हे परमात्मा, मुझे इतनी धन्यता देना कि मैं अपने परिवार की आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकूं, यह भी इतनी धन्यता देना कि मेरे और मेरे परिवार के बीच में प्रेम और समर्थता हो।
  • माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
    अर्थ: लोग युगों से माला फेरते रहे, लेकिन उनके मन का फिरना बंद नहीं हुआ। इस दोहे में कबीर यह संदेश देते हैं कि धार्मिक रीतियों का पालन करने से केवल शरीर की बदलाव होती है, मन की नहीं।

RELATED PDF FILES

कबीर के दोहे हिंदी PDF Download