अष्टावक्र महागीता – Ashtavakra Mahageeta by Osho - Summary
अष्टावक्र महागीता एक अद्वितीय ग्रंथ है जो द्रष्टा की खोज और आत्मज्ञान पर आधारित है। यह संदेश हमें सिखाता है कि हम कैसे उस हलचल में खोए बिना अपने भीतर के देखने वाले को पहचान सकते हैं। जब हम परमात्मा को खोजने निकलते हैं, तो अक्सर हम सिर्फ दिखने वाले दृश्यों के पीछे भागते हैं। हम संसार और उसके भ्रामक रूपों को देख लेते हैं, लेकिन साथ ही हमें वास्तविकता से समझौता नहीं करना चाहिए।
अष्टावक्र का संदेश
दृश्यों की खोज करते-करते, हम धन, प्रेम और अन्य भौतिक सुखों के प्रति ध्यान केंद्रित करते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि जब तक हम द्रष्टा की ओर ध्यान नहीं लगाते, तब तक हम झूठ में भटकते रहते हैं। अष्टावक्र महागीता हमें याद दिलाती है कि सभी बाहरी वस्तुएँ केवल छवियाँ हैं। जब तक हमारी दृष्टि केवल दृश्यों पर है, हम असत्य में ही रहेंगे।
घर लौटने की यात्रा
जब आप यह तय करते हैं कि आपको उस दृश्य के पार जाना है जो सबको देखता है, तब आपकी यात्रा शुरू होती है। यह यात्रा केवल ज्ञान की नहीं, बल्कि आत्मा की गहराईयों तक जाने की है। इसी दिन से आप अपने घर लौटते हैं। आपके भीतर क्रांति आती है और एक नया रूपांतरण शुरू होता है। द्रष्टा की ओर आपके कदम बढ़ाना ही असली धर्म है।
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