श्री विश्वकर्मा आरती (Vishwakarma Aarti) - Summary
श्री विश्वकर्मा आरती और उनकी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। विश्वकर्मा जी को दुनिया का पहला इंजीनियर कहा जाता है। वे शिल्पकला और वास्तुकला में निपुण थे, इसलिए शिल्प और वास्तु के क्षेत्रों से जुड़े लोग विश्वकर्मा जी को अपने गुरु के रूप में पूजते हैं। इस दिन ऋषि विश्वकर्मा की पूजा करने से कारोबार में वृद्धि होती है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
विश्वकर्मा दिवस पर श्री विश्वकर्मा आरती का बहुत महत्व है। यह दिन व्यापार में तरक्की के लिए पूजा करने का सबसे शुभ समय माना जाता है। सही विधि से पूजा करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है। विश्वकर्मा पूजा के दिन कंपनियों में अबीर गुलाल लगाकर कर्मचारी एक-दूसरे को विश्वकर्मा पूजा की बधाई देते हैं।
विश्वकर्मा पूजा आरती – Vishwakarma Aarti Lyrics
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥1॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥2॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥3॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥4॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥5॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥6॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥7॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥8॥
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