Varnocharan Shiksha (वर्णोच्चारण-शिक्षा) – स्वामी दयानन्द सरस्वती Hindi
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वर्णोच्चारण-शिक्षा, स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध ग्रंथ है। स्वामी दयानन्द सरस्वती भारतीय सनातन धर्म के एक प्रतिष्ठित दार्शनिक, धर्माचार्य और समाज सुधारक थे। उन्होंने वेदों को मूल शास्त्र मानकर भारतीय संस्कृति और धर्म को प्रमुखतः सनातन वेदांत के आधार पर स्थापित किया।
वर्णोच्चारण-शिक्षा में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने भाषा के महत्व को समझाया और उसके सही उच्चारण के लिए दिए गए मार्गदर्शन को संक्षेप में वर्णन किया है। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से लोगों को संस्कृत भाषा का ज्ञान प्रदान करने का प्रयास किया था, जो कि वेदों के अध्ययन और समझने में महत्वपूर्ण है।
वर्णोच्चारण-शिक्षा – स्वामी दयानन्द सरस्वती
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपने ग्रंथों और समाजिक प्रसारण के माध्यम से भारतीय समाज को जागृत करने का काम किया और धर्मांतरण के मूल्यों का प्रचार-प्रसार किया। उनके धर्मिक और सामाजिक विचारों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रभावित किया और आधुनिक भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया।
वर्णोच्चारण-शिक्षा उनके शिक्षानुसार उच्चारण और व्याकरण के आधार पर संस्कृत भाषा के प्रभावशाली संचय है, जिससे भारतीय संस्कृति और विचारधारा को समझने में मदद मिलती है। यह ग्रंथ उनके विचारों के प्रचार-प्रसार का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और आज भी भाषा और संस्कृति के शोधकर्ताओं और अध्यापकों के लिए महत्वपूर्ण साधना के रूप में उपयोगी है।
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