सिद्ध कुंजिका स्तोत्र 2025 Siddha Kunjika Stotram Sanskrit PDF

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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र 2025 Siddha Kunjika Stotram - Summary

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाला एक मजबूत और असरदार मंत्र है। इसका नियमित पाठ आपकी सभी समस्याओं और रुकावटों को दूर करने में मदद करता है। यह 2025 में भी उतना ही असरदार है, खासकर माँ दुर्गा के भक्तों के जीवन की परेशानियों को खत्म करने के लिए। यहां श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र दिया गया है, जिसे आप PDF में डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पढ़ने से न सिर्फ जीवन की मुश्किलें कम होती हैं, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक तरक्की भी मिलती है। इस स्तोत्र का पुण्य दुर्गासप्तशती पढ़ने के बराबर माना जाता है। समय के साथ इसके असर और भी गहरे हुए हैं और 2025 में भी यह सभी बाधाओं को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र मंत्र और उनका महत्व

|| शिव उवाच ||
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।

|| मंत्र ||

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।

।।इति मंत्र:।।

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।

हूं हू हूंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।।8।।

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।

। इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पढ़ने का सही तरीका

आप दिन के किसी भी समय सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पढ़ सकते हैं, लेकिन शाम की आरती के बाद इसे पढ़ने से इसका असर जल्दी दिखता है। इसे शांति और ध्यान के साथ, बिना जल्दी किए पढ़ना चाहिए।

पढ़ते वक्त देवी के सामने दीपक जलाएं और लाल आसन पर लाल वस्त्र पहनकर प्रार्थना करें। धूप, दीपक और फूल चढ़ाएं और पूरी एकाग्रता से स्तोत्र का पाठ करें। यह तरीका 2025 में भी पारंपरिक तौर पर असरदार साबित हो रहा है।

इस सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को आप PDF फॉर्मेट में डाउनलोड कर सकते हैं, जिससे इसे आप जहां चाहें पढ़ सकते हैं और अध्ययन कर सकते हैं।

साथ ही देखें – सिद्ध कुंजिका स्तोत्र हिंदी PDF का विस्तृत संस्करण पढ़ने के लिए।

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